सप्ताह
का
विचार- भौतिक सुखों के
लिए पैसे कमाना आवश्यक है, लेकिन प्रसन्नता बनाए रखना उससे
कहीं अधिक आवश्यक है। -श्री परमहंस योगानंद |
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अनुभूति
में-
मधु प्रधान, विद्याभूषण, डॉ. उमेश महादोषी और
महावीर शर्मा की रचनाओं के साथ कार्यशाला-११ से चुने हुए गीत।1 |
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इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में भारत से
प्रत्यक्षा की कहानी
ब्याह
मृगनयनी को यार नवल रसिया मृगनयनी .... उसके
कँधे तक बाल झूम रहे थे। जैसे उनका अलग अस्तित्व हो। आँखें
बन्द थीं, नशे में चूर। शरीर का आकार हवा में घुल रहा था। किसी
बच्चे ने साफ खिंची रेखा पर उँगली चला दी हो। सब घुल मिल गया
था। सब।
तस्वीर में वो सीधी सतर बैठी थी। चेहरे पर एक उदास आभा। कोमल,
नाज़ुक , शाँत। तस्वीर और सचमुच में कोई तार नहीं था। जैसे किसी
और की तस्वीर देखी जा रही हो।
पीछे शोर शराबा था, हलचल अफरा तफरी थी। गाँव से आईं औरतें तेज़
आवाज़ में बोल रही थीं। क्या बोलती थीं, महत्त्वपूर्ण नहीं था।
बोलती थीं ये महत्त्वपूर्ण था। उनके जीवन का रस यही था। पाँवों
से लाचार, उठने बैठने से लाचार, हाँफती, चुकु मुकु बैठी, शरीर
को जाने किस शक्ति से समेटे, पाँवों में भर भर तलवे आलता
लगाए...
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प्रेम जनमेजय का व्यंग्य
हे देवतुल्य ! तुम्हें प्रणाम
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राम गुप्त का आलेख-
नानक की जबानी बाबर की कहानी
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गीता शर्मा का आलेख
विद्यालय हंगरी का और परीक्षा भारतीय फैशन की
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रचना प्रसंग में सदीप निगम से जानें
गल्प नहीं संकल्पना है विज्ञान कथा |
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पिछले सप्ताह
मनोहर पुरी का व्यंग्य
स्वागत बराक ओबामा का
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पुष्कर मेले के अवसर पर
पर्यटन के अंतर्गत- कहानी पुष्कर की
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डॉ. भारतेन्दु मिश्र का आलेख-
समकालीन गीत: आलोचना के आयाम
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गृहलक्ष्मी के साथ जियें
तनाव मुक्त जीवन
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समकालीन कहानियों में यू.एस.ए से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी
सूरज क्यों निकलता है
वे गत्ते का एक बड़ा सा टुकड़ा हाथ में लिए
कड़कती धूप में बैठ गए, जहाँ कारें थोड़ी देर के लिए रुक कर
आगे बढ़ जाती हैं। बिना नहाए-धोए, मैले- कुचैले कपड़ों में वे
दयनीय शक्ल बनाए, गत्ते के टुकड़े को थामे हुए हैं, जिस पर
लिखा है -'' होम लेस, नीड यौर हैल्प।'' कारें आगे बढ़ती जा
रहीं हैं, उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। सैंकड़ों कारों में
से सिर्फ दस बारह कारों वाले, कारों का शीशा नीचे करके उनकी
तरफ कुछ डालर फैंकते हैं और फिर स्पीड बढ़ा कर चले जाते हैं।
दोनों आँखों से ही डालर गिनते हैं, एक दूसरे को देखते हैं और
ना में सिर हिला देते हैं.... अब वे सड़क के नए कोने पर खड़े
हो गए हैं, जिसमें गंतव्य स्थान पर मुड़ने के लिए एग्ज़िट के
कोने पर रुकने का चिन्ह है यानि स्टाप साइन। ज्यों ही कारें
रुकतीं हैं, वे गत्ते के टुकड़े को उनके सामने कर देते हैं...
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