सप्ताह
का
विचार-
जिस प्रकार जल कमल के पत्ते पर नहीं ठहरता है, उसी प्रकार मुक्त
आत्मा के कर्म उससे नहीं चिपकते हैं। --छांदोग्य उपनिषद |
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अनुभूति
में-
कमल के फूल से संबंधित विभिन्न विधाओं की चुनी हुई काव्य रचनाएँ। |
कलम गहौं नहिं हाथ-
चीन की थ्येनशान पर्वत माला में समुद्र सतह से तीन हजार मीटर
ऊँची चट्टानों पर उगता है हिम कमल।
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रसोईघर से सौंदर्य सुझाव-
कमल की पत्तियों को पीस कर झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की जलन
दूर होती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है। |
पुनर्पाठ में- १ फरवरी
२००३
के अंक में विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा के अंतर्गत प्रकाशित
उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी-
पहेली |
क्या आप जानते
हैं? कि कमल के फूल को भारत के साथ साथ वियतनाम के
राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव भी प्राप्त है। |
शुक्रवार चौपाल- जैसे
जैसे रूहे इश्क के प्रदर्शन के दिन समीप आ रहे हैं,
पूर्वाभ्यास में भी गंभीरता आने लगी है।
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नवगीत की पाठशाला में-
कार्यशाला-९ में गीतों का प्रकाशन शुरू नहीं हुआ है लेकिन
चुने हुए कुछ गीत अनुभूति के कमल विशेषांक में पढ़े जा सकते हैं। |
हास
परिहास1 |
1सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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इस सप्ताह कमल
विशेषांक में
समकालीन
कहानियों में भारत से
पावन की कहानी
शिवरतन स्वामी और सुनयना
मैं आनन्द
बाग, वाराणसी के श्री सारभूत मठ में रहता हूँ। इस मठ के
कर्ता-धर्ता मेरे गुरूजी श्री सदानन्द जी स्वामी हैं। मुख्य
व्यक्तियों में गुरूजी के अलावा श्री सजीवानन्द जी स्वामी और
श्री तेजोमय जी स्वामी हैं। मैं मठ के विभिन्न कार्यों का
संचालन व प्रबन्धन करता हूँ। आज गुरूजी एक विशेष पूजा पर बैठने
वाले हैं जो सन्ध्या से आरम्भ होकर भोर तक चलेगी। इस पूजा में
अन्य सामग्रियों के अलावा जो विशेष चीज चाहिए, वे हैं कमल
पुष्प, डंठल सहित अट्ठारह कमल पुष्प, जिनका प्रबन्ध गुरूजी के
एक भक्त द्वारा किया गया है जो लखनऊ में रहता हैं। इस पूजा का
सारा प्रबन्ध मेरे जिम्मे है। अभी कुछ देर पहले जो बंडल नन्दन
पुष्प विक्रेता ने भेजा है, वह मेरे सामने खुला रखा है...
लेकिन आश्चर्य इसमें कमल के फूल नहीं हैं इसमें तो गुलाब की
पंखुड़ियाँ हैं और एक संदेश है पत्र के रूप में......
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मयंक सक्सेना का व्यंग्य
यथा राष्ट्र तथा पुष्प
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पंकज त्रिवेदी
से जानकारी
कमल के पौराणिक उल्लेख
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अर्बुदा ओहरी
का आलेख
संस्कृति की साँसों में कमल
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पूर्णिमा वर्मन के शब्दों में
डाक टिकटों पर काया कमल की
1 |
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पिछले सप्ताह
प्रमोद ताम्बट का व्यंग्य
मालामाल करने की चिरौरियाँ
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तिलक परमार का
लेख
वीरांगना
रानी लक्ष्मीबाई
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ज्योति खरे के
साथ पर्यटन
दुर्ग कलिंजर का
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फुलवारी में बच्चों के लिए वनमानुष
के विषय में
जानकारी,
शिशु गीत
और
शिल्प
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समकालीन
कहानियों में भारत से
राजीव पत्थरिया की कहानी
मरब्बा
पंडित जी
सुना है सरकार हमारे इलाके में डैम बनाने जा रही है,
अगर यहाँ डैम बन गया तो हम लोगों के तो दिन फिर गए।`` घसीटू
खुशी से अपना कुप्पा सा मुँह फुलाकर बोला।
यह दोनों लँगड़े हलवाई की दुकान पर बैठे चाय की चुस्कियाँ ले
रहे थे कि सामने से पंचायत प्रधान ठाकुर लच्छीयाराम भी मूँछों
को ताव देते हुए कारिंदों के साथ आते दिखे तो बिहारी पंडित हाथ
जोड़ बोला ''जयराम जी की प्रधान जी, आइये चाय पीजिये।``
''ओ जय-जय पंडित जी, क्या महफिल लगी है।``
''कुछ नहीं प्रधान जी सुना है सरकार यहाँ कोई बड़ा डैम बना रही
है। आपको तो सरकार की सारी खबर रहती है, क्या यह सच है?``
बीच में लंगड़ा हलवाई भी बोला, ''प्रधान जी अगर यहाँ
डैम बन गया तो हमारा क्या होगा...
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