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शिवरतन स्वामी
मैं आनन्द बाग, वाराणसी के श्री
सारभूत मठ में रहता हूँ। इस मठ के कर्ता-धर्ता मेरे गुरूजी
श्री सदानन्द जी स्वामी हैं। मुख्य व्यक्तियों में गुरूजी के
अलावा श्री सजीवानन्द जी स्वामी और श्री तेजोमय जी स्वामी हैं।
मैं मठ के विभिन्न कार्यों का संचालन व प्रबन्धन करता हूँ।
आज गुरूजी एक विशेष पूजा पर बैठने वाले हैं जो सन्ध्या से
आरम्भ होकर भोर तक चलेगी। इस पूजा में अन्य सामग्रियों के
अलावा जो विशेष चीज़ चाहिए, वे हैं कमल पुष्प, डंठल सहित
अट्ठारह कमल पुष्प, जिनका प्रबन्ध गुरूजी के एक भक्त द्वारा
किया गया है जो लखनऊ में रहता हैं। इस पूजा का सारा प्रबन्ध
मेरे जिम्मे है। अभी कुछ देर पहले जो बंडल नन्दन पुष्प
विक्रेता ने भेजा है, वह मेरे सामने खुला रखा है... लेकिन
आश्चर्य इसमें कमल के फूल नहीं हैं इसमें तो गुलाब की
पंखुडियाँ हैं और एक संदेश है पत्र के रूप में...
लाल गुलाब के फूलों की कम
से कम दो किलो पंखुड़ियों में अच्छी तरह से टेप से बन्द किया
हुआ जो लिफाफा मिला था उसके भीतर चिकने और महक भरे कागज़ में
जो संदेश लिखा था वह अत्यंत हृदयस्पर्शी था। तीन बार मैं
सन्देश पढ़ चुका हूँ और तीनों बार भीतर तक झनझना गया हूँ।
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