सप्ताह का विचार-
बलवान व्यक्ति की भी
बुद्धिमानी इसी में है कि वह जानबूझ कर किसी को शत्रु न बनाए। -
शुक्रनीति |
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अनुभूति
में-
1
कौशलेन्द्र, उदयभानु हंस,
प्रकाश पंकज, एन के सोनी और अभिलाष शुक्ल की रचनाएँ। |
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इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में
भारत से
विनीत गर्ग की कहानी
बसवाली लड़की
धीरज की आँख
खुलीं, तो सामने टँगे हुए कैलेंडर ने एक परंपरागत पड़ोसी
की तरह मौका मिलते ही सच्चाई का ज्ञान करा देने के अंदाज़ में
उसे आज की तारीख़ बता दी और बड़ी ही बेरहमी से उन २५ साल, १०
महीने, १२ दिनों का एहसास भी करा दिया जो धीरज ने इस धीरज के
साथ बिताए थे कि धीरज का फल मीठा होता है। ठीक एक महीना पहले
पूरे हुए एम.बी.ए. के एक महीने बाद आज २६ अप्रैल, २००९ को भी
उसका जीवन उतना ही खाली था जितना एम.बी.ए. में प्रवेश लेते समय
या उससे पहले के किसी भी पल। बढ़िया सेंस आफ ह्यूमर, ठीक-ठाक
शक्ल, औसत कद, अति-औसत वज़न, गेहुँआ रंग, काम चलाऊ बुद्धि और
अनावश्यक रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली एक बड़ी-सी नाक
वाले धीरज ने लड़कियों को उनकी उस पसंद के लिए अक्सर कोसा था
जिसके अंतर्गत वह लड़कियों को कभी पसंद नहीं आया था। यों पसंद
वह लड़कों को भी कुछ ख़ास न था पर...
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रवीन्द्र
स्वप्निल प्रजापति
का व्यंग्य
कुर्ता-पायजामा पहनने के लाभ
*
स्वदेश राणा का धारावाहिक
नचे
मुंडे दी माँ का सातवाँ भाग
*
डॉ. हीरालाल
बछोतिया का
आलेख
सतलुज की कहानी
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घर-परिवार में गृहलक्ष्मी से सुनें
रूमाल की कहानी
1 |
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पिछले सप्ताह
प्रमोद ताम्बट
का व्यंग्य
आज़ादी सपने देखने की
*
स्वदेश राणा का धारावाहिक
नचे
मुंडे दी माँ का छठा भाग
*
कैलाश जैन का
आलेख
अद्भुत औषधि- ईसबगोल
*
समाचारों में
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ
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समकालीन कहानियों में
भारत से
बलराम अग्रवाल की कहानी
खुले पंजोंवाली चील
दोनों आमने-सामने बैठे
थे-काले शीशों का परदा आँखों पर डाले बूढ़ा और मुँह में सिगार
दबाए, होठों के दाएँ खखोड़ से फुक-फुक धुँआ फेंकता फ्रेंचकट
युवा। चेहरे पर अगर सफेद दाढ़ी चस्पाँ कर दी जाती और चश्मे के
एक शीशे को हरा पोत दिया जाता तो बूढ़ा 'अलीबाबा और चालीस चोर'
का सरदार नज़र आता और फ्रेंचकट लम्बोतरे चेहरे और खिंची हुई
भवों के कारण वह चंगेजी-मूल का लगता था। आकर बैठे हुए दोनों को
शायद ज़्यादा वक्त नहीं गुज़रा था, क्योंकि मेज़ अभी तक
बिल्कुल खाली थी। बूढ़े ने बैठे-बिठाए एकाएक कोट की दायीं जेब
में हाथ घुमाया। कुछ न मिलने पर फिर बायीं को टटोला। फिर एक
गहरी साँस छोड़कर सीधा बैठ गया।
''क्या ढूँढ रहे थे?'' फ्रेंचकट ने पूछा,''सिगार?''
''नहीं…''
''तब?'' ...
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