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 २७. ४. २००९

कथा महोत्सव में पुरस्कृत- कैनेडा से सुमन कुमार घई की कहानी उसने सच कहा था  
ड्यूमारिए लाईट देना”, - स्वर में अपरिपक्वता का आभास होते ही मैंने सर उठाया तो सामने मेकअप की पर्तों की असफलता के पीछे से झाँकता बचपन दिखाई दिया। कोई पंद्रह-सोलह बरस की लड़की अपनी उम्र से बड़ी लगने का भरपूर प्रयास कर रही थी।
“तुम्हारे पास कोई प्रूफ़ ऑफ़ एज है?”
“क्या मतलब?” उसकी अनभिज्ञता भी उसके प्रयास की तरह ही झूठी थी। मैं जानता था कि वह यही प्रश्न न जाने कितनी बार सुन चुकी होगी।
“मतलब क्या? ड्राईवर लाईसेंस, बर्थ सर्टीफिकेट... कुछ भी... तुम जानती तो होगी”, मैंने उसके चेहरे को टटोला।
उसने कन्धे से लटके बड़े पर्स में ढूँढने का बहाना किया और फिर से मेरे चेहरे पर नज़रें टिका कर भोलेपन से बोली, “मिल नहीं रहा, मेरा विश्वास करो... कोई समस्या नहीं होगी, सब ठीक है”, उसने मुझे झूठा आश्वासन दिया।
“कुछ भी ठीक नहीं, जानती हो तुम्हें सिगरेट बेचने से मेरा लाईसेंस जाता रहेगा”, मैंने दृढ़ता से कहा।
पूरी कहानी पढ़ें-

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रामेश्वर काम्बोज हिमांशु का व्यंग्य
शिक्षा : कुछ साक्षात्कार

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आज सिरहाने
जम्मू जो कभी शहर था

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धारावाहिक में प्रभा खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का सातवाँ भाग

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साहित्य समाचार में
देश-विदेश से अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

पिछले सप्ताह

पराशर गौड़ का व्यंग्य
हाय रे पुरस्कार

कथा महोत्सव-२००८ के परिणाम
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२४ अप्रैल दिनकर की पुण्यतिथि के अवसर पर

राजेश श्रीवास्तव शंबर का आलेख
दिनकर की प्रेम-प्रतिमा उर्वशी

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महेन्द्र भटनागर की लेखनी से
रामधारी सिंह दिनकर का बाल-काव्य

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डा आई पी चेलीशेव का संस्मरण
लाल कमल तुझे नमस्कार है

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कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
यू.के. से तेजेंद्र शर्मा की कहानी ओवर-फ़्लो पार्किंग
1
वह आज एक बार फिर पत्नी को नाराज़ कर बैठा है।
उसकी भूल जाने की आदत अब परेशानी पैदा करने लगी है। बाहर वाले तो कभी कभी ही परेशान होते हैं; किन्तु पत्नी के साथ तो पूरा जीवन बिताना है। जब जब पत्नी से किया वादा भूलता है, घर में परेशानी खड़ी हो जाती है। पत्नी को हैरानी होती है कि अभी तो पचास का ही हुआ है, यह पैंसठ वाली समस्या का शिकार क्यों होता जा रहा है।
आज भी यही हुआ है। पत्नी की बात मान गया कि शाम पांच तीस  के शो में पत्नी को निःशब्द दिखाने ले जाएगा। दो दिन पहले ही वादा किया था। उस समय कहाँ मालूम था कि निःशब्द में से कितने शब्द निकल कर उसका मुंह चिढ़ाने लगेंगे। भूल गया कि आज शाम चार बजे के लिये पहले ही हाँ कह चुका था। पत्नी को भी बता दिया था। लेकिन अब की बार उसके साथ साथ वह भी भूल गयी थी। उसका भूलना उसे याद नहीं आ रहा; शब्द बाणों से घायल उसे ही होना पड़ रहा है। पूरी कहानी पढ़ें-

अनुभूति में- अभिज्ञात, श्यामल सुमन, एकांत श्रीवास्तव, नवल किशोर बहुगुणा और मीराबाई की नई रचनाएँ

 

कलम गही नहिं हाथ- बड़े भाई साहब का रिहर्सल फिर जारी है। यह देख कर अद्भुत आश्चर्य होता है कि कहानी में नाटकीय तत्वों को  .. आगे पढ़े

 
रसोई सुझाव- पुराने पापड़ के छोटे टुकड़े करें, पानी में उबालें, छानें, राई का छौंक लगाकर टमाटर और दही मसाले के साथ स्वादिष्ट सब्जी बनाएँ।
 

पुनर्पाठ में -  ९ मई २००१ के अंक में प्रकाशित शैलेश मटियानी की कहानी मैमूद

 

इस सप्ताह विकिपीडिया पर
विशेष लेख-
उदंत मार्तंड

 

क्या आप जानते हैं?  मई, १८२६ में कलकत्ता से साप्ताहिक आवृत्ति में प्रकाशित उदंत मार्तंड हिंदी का प्रथम समाचार पत्र था।

 

शुक्रवार चौपाल- आज की चौपाल में अगली प्रस्तुति दस्तक का रिहर्सल और निर्मल वर्मा की कहानी "धूप का एक टुकड़ा" का पाठ होना था ... आगे पढ़ें

 

सप्ताह का विचार- अगर भगवान से माँग रहे हो तो हल्का बोझ मत माँगो, मजबूत कंधे माँगो।
-- अमिताभ बच्चन


हास परिहास

 

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

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