इस सप्ताह
होली विशेषांक में
समकालीन कहानियों के
अंतर्गत
यू.एस.ए. से
इला प्रसाद की कहानी
होली
वेदिका
की आँखें ''साइन्टिफ़िक अमेरिकन'' के उस पन्ने पर ठहर-सी गई हैं - ''सीज्रोफ़ेनिया''
की मूल वजह फ्लू के कीटाणु हैं, जो गर्भावस्था के दौरान माँ के शरीर
से बच्चे के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं और परिणामत: बच्चा जन्म
से सिज्रोफ़ेनिया का रोगी हो सकता है।'' किसे बताए जाकर? वह तो उससे
इतनी दूर चली गई है अब, कि चाह कर भी वह उस तक नहीं पहुँच सकती। इतनी
खूबसूरत, इतना ज़हीन दिमाग और सीज्रोफ़ेनिया! ''आम तौर पर इस रोग के
रोगी असाधारण प्रतिभाशाली होते हैं। सिमी भी है। भाषा पर ग़ज़ब का
अधिकार। अंग्रेज़ी में इसके दो कविता-संग्रह मैकमिलन वालों ने छापे
हैं। खूब बिक रहे हैं।'' स्मिता ने जानकारी दी थी।
''तब भी, मुझे तो डर ही लगेगा इसके साथ होली खेलते हुए।'' वेदिका ने
हिचकते हुए कहा था।
''कमाल करती हैं आप? हम इसे एक सहज वातावरण देने की कोशिश कर रहे हैं
कि यह अपनी परेशानी भूल जाए और आप हैं कि....''
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राजेंद्र त्यागी का व्यंग्य
होली, दो पाटन के बीच में हो ली
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कपिलमुनि पंकज की कलम से
बौराया फागुन होली के रंग
* कला
दीर्घा में
होली आधुनिक शैली की
कलाकृतियों में
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रसोईघर में होली के अवसर पर
होली के पकवान
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पिछले सप्ताह
गिरीश बिल्लौरे मुकुल का व्यंग्य
फुर्सत के रास्ते
पर्यटन दीपक नौगांई के
साथ
मंदाकिनी
के किनारे
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संस्कृति में सुरेश ऋतुपर्ण का आलेख
ट्रिनीडाड
कार्निवालः मर्यादाओं से मुक्ति का उत्सव
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स्वाद और स्वास्थ्य में
लाभदायक लीची
* समकालीन कहानियों में
यू.एस.ए. से
उमेश अग्निहोत्री की कहानी
हार पर हार
''व
व्हट? व्हाट? और मुँह भी खुला का खुला रह गया। एक हाथ कान पर चला गया
जैसे जो सुना हो, उस पर यकीन न आया हो। लेकिन जिस तरह ''व व व्हट?
व्हाट?'' शब्द उनके मुँह से निकला, और गर्दन भी कुछ आगे की तरफ़ हो
आई थी, उससे ऐसा लगा कि गले के कुछ तंतु पहली बार हरकत में आए हैं।
वह नमिता को देखते रहे, जिसने सूती वी-नेक शर्ट और जीन्स पहन रखी
थीं, गले से छोटा-सा लॉकेट लटक रहा था। नमिता ने अपनी बात दोहरायी।
भाटिया जी की नज़रें पहले कमरे की छत, फिर ज़मीन और फिर नमिता की
आँखों से टकराते हुए कमरे के एक किनारे में सजे श्री रामपरिवार के
चांदी की मंदिर पर जा टिकीं, जो वह भारत से ख़ासतौर पर लेकर आए थे।
इस बार मुँह से निकला, 'हाओ? हाओ?' और फिर बोले, ''आइ नो.. आइ नो…।''
मतलब था कि अपने कज़न का असर हुआ है। नमिता का ममेरा भाई देव ईसाई बन
चुका था।
सहसा पुकारा, '' सुना! नमिता क्या कह रही है?''
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अनुभूति
में-
1
होली के सदाबहार संकलन, शुभकामनाएँ और ढेर सी रंग-बिरंगी
रचनाएँ |
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कलम गही नहिं
हाथ-मार्च का महीना है बदलते मौसम का ख़ुमार और
बुखार दोनों फ़िजां में हैं। वसंत की सेल में खरीदारियों से इमारात...
आगे पढ़े |
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रसोई
सुझाव-
बेसन, नीबू, हल्दी और नारियल के तेल को मिलाकर बनाए गए लेप से
होली के रंग आसानी से छूटते हैं और त्वचा भी स्वस्थ रहती है। |
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नौ साल पहले-
१ मार्च २००१ के अंक से घर-परिवार के अंतर्गत गृहलक्ष्मी का
आलेख- एक और रंग रंगोली |
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क्या आप जानते हैं?
कि होली का पर्व राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, प्रह्लाद-होलिका और
कंस-पूतना जैसे पौराणिक चरित्रों से जुड़ा हुआ है। |
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शुक्रवार चौपाल-
६ मार्च को दो कहानियों को पाठ होना था। प्रेमचंद की 'गुल्ली-डंडा'
और हरिशंकर परसाईं की 'भोलाराम का जीव'। ... आगे
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सप्ताह का विचार- जलाने की लकड़ी ही होलिका है जब वह जलती है
तब प्रह्लाद की प्राप्ति होती है। प्रह्लाद जो आह्लाद का ही
विशेष रुप है। -मुक्ता |
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हास
परिहास |
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1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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