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हास्य-व्यंग्य में
वीरेन्द्र जैन लिख रहे हैं
गरमी के खिलाफ़ मौसम मंत्री का बयान
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सामयिकी में मनोहर पुरी का आलेख
बुद्ध पूर्णिमा
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डॉ अश्विनी केशरवानी का अमरकंटक यात्रा संस्मरण
चरो रे भैया, चलिहें
नरबदा के तीर
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पूर्णिमा वर्मन का धारावाहिक
अंतरजाल पर
लेखन की लगाम
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समकालीन कहानियों में
अरुण प्रकाश की कहानी
नहान
मैं
जब उस मकान में नया पड़ोसी बना तो मकान मालिक ने हिदायत दी थी - ''बस
तुम नहान से बच कर रहना। उसके मुँह नहीं लगना। कुछ भी बोले तो ज़बान
मत खोलना। नहान ज़बान की तेज़ है। इस मकान में कोई १८ सालों से रहती
है। उसे नहाने की बीमारी है। सवेरे, दोपहर, शाम, रात। चार बार नहाती
है। बाथरूम एक है। इसलिए बाकी पाँच किरायेदार उससे चिढ़ते हैं। उसे
नहान कह कर बुलाते हैं। वैसे वह अच्छी है। बहुत साफ़ सफ़ाई से रहती
है। मैंने मकान मालिक की बात गाँठ बाँध ली। मैंने सोचा मुझे नहान से
क्या लेना देना! मुझे कितनी देर कमरे पर रहना है? दस बजे ट्रांसपोर्ट
कंपनी के दफ्तर जाऊँगा फिर दस बजे रात में उधर ही से खाना खाकर लौटा
करूँगा। मेरा परिवार गाँव में रहता है। वहाँ मेरे माता पिता, पत्नी
और दो बच्चे हैं। |
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अनुभूति में-
सुमित्रानंदन पंत, रामेश्वर
कांबोज हिमांशु, सुधीर विद्यार्थी, सतपाल ख्याल और
राम निवास मानव की नई
रचनाएँ |
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कलम
गही नहिं हाथ
मौसम कुछ अजीब सा है। पिछले दो दिन
सुहावने रहे उसके पहले दो दिन अच्छे गर्म रहे थे। इमारात में जून तक
मौसम सुंदर रहता है। दोपहर की कड़क गरमी भूल जाएँ तो सुबह आराम से
बिना पंखा चलाए लॉन में चाय पीते हुए बैठा जा सकता है। शुक्रवार
छुट्टी की सुबह जब भारत से फ़ोन आते हैं तो लोग पूछते हैं कैसी गरमी
हो रही है? और हम कहते हैं मौसम सुहावना
है। अजीब सी बात है कि जब भारत में जुलाई अगस्त की बरसात गिर रही
होती है, हम भयंकर गरमी और उमस से जूझ रहे होते हैं। हमारे घरों में
खिड़कियों के काँच अंदर से ए.सी. की ठंड और बाहर से गरमी की मार खाकर
धुँधले हो रहे होते हैं। शाम तक तो उनके भी पसीने छूट जाते हैं।
ऐसे अगस्त के महीने में भारत से फोन आता है-- यहाँ खूब बारिश हो रही
है वहाँ बरसात शुरू हुई या नहीं, तो हम चौंकते हैं बरसात?
यहाँ बरसात नाम का कोई मौसम नहीं? सिर्फ दो
मौसम होते हैं। पहला आरामदायक
गरमी और दूसरा कष्टदायक गरमी। इसी कष्टदायक गरमी में मुझे लग गया
सर्दी बुखार और मेरी कविताओं के रूसी अनुवादक गुराम ब्रौन भयंकर हैरान!
पूछते हैं- "हे भगवान, आप तो इतने गरम देश में रहती हैं फिर भी आपको
सर्दी कैसे हो गई?" अब मैं क्या जवाब दूँ? -पूर्णिमा वर्मन (टीम अभिव्यक्ति)
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सप्ताह का विचार
यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर
रो पड़ोगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देख सकेंगी?
— रवींद्रनाथ ठाकुर |
क्या
आप जानते हैं?
सत्रहवीं शती में मुग़ल
सम्राट औरंगज़ेब के आक्रमण के बाद वृंदावन में कृष्ण की राधा-रमण
नामक केवल यह एक प्रतिमा बची थी। |
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