इस
सप्ताह-
मान्यम रमेश कुमार की
तेलुगू कहानी का हिंदी रूपांतर- शब्द,
रूपांतरकार हैं कोल्लूरि सोम शंकर खामोशी
की तो वहाँ जगह ही नहीं होती। समंदर के तट पर हलचल की क्या कभी कमी
होती है? कुछ
बच्चे जमा होकर शोर मचा रहे हैं। जब लहरें पीछे जाती हैं तो, बच्चे
आगे बढ़ते हैं और जब लहरें आगे बढ़ती हैं, तो बच्चे पीछे। पास में एक
छोटी लड़की को उसका पिता समंदर की ओर ले जाना चाहता है, पर वह डरती
है और पापा को भी पीछे खींचती है। ''कुछ नहीं होगा बेटा, मैं हूँ
ना...'' कहते हुए बाप बेटी को दिलासा दे रहा है।
पीछे अलग-अलग खाद्य पदार्थ बेचनेवालों का हंगामा...पाव-भाजी, मसाला
पूरी, भुट्टा आदि। सारे तट पर शोरगुल, चीख़ें, शोरगुल। मुझे ये सब
सुनाई नहीं देते। खामोशी...सब जगह घनघोर सन्नाटा। जैसे सामने एक मौन
चलचित्र को देख रहा हूँ, टी.वी. की आवाज़ बंद करके सिनेमा देख रहा
हूँ। खामोशी... कहीं कोई आवाज़ नहीं...।
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मृदुल कश्यप का
व्यंग्य
परमाणु बिजली और हैरतगंज के पेलवान जी
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कृष्णानंद कृष्ण की लघुकथा
बेबस
विद्रोह
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नवरात्र के अवसर पर अश्विनी केशरवानी का आलेख
छत्तीसगढ़ की देवियाँ
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कला दीर्घा में दुर्गा की
20 कलाकृतियाँ
आधुनिक और
पारंपरिक
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पिछले सप्ताह
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आशीष अग्रवाल का रेखा चित्र
चुनाव में हार
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हृषिकेश सुलभ का मंच
चिंतन
सूत्रधार की रंगछवियाँ
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शांति जैन का निबंध
चैत मास का विशेष गीत चैती
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स्वाद और स्वास्थ्य में अंजीर से परिचय
अनोखे अंजीर
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समकालीन कहानी के अंतर्गत
भारत से
सुदर्शन रत्नाकर की कहानी
मृगतृष्णा
जीवन
में पहली बार वह अपनी आशाओं, इच्छाओं की पोटली बाँधे हवाई
जहाज़ में सवार हुए। पूरी यात्रा में वह बच्चों की तरह चहकते
रहे। वह सब कुछ अपने अंदर समेट लेना चाहते थे। व्योम में
उड़ते, तैरते बादलों को पास से देखते रहे थे, लेकिन नदियाँ,
पहाड़ उनकी पहुँच से अभी भी दूर थे। चौबीस घंटे की यात्रा के
पश्चात वह न्यूयार्क पहुँचे। अभिमन्यु उन्हें लेने पहुँचा हुआ
था। कार में बैठे उन्होंने चारों ओर दृष्टि दौड़ाई। नभ छूती
ऊँची अट्टालिकाएँ, सड़क पर भागती कारें, रोशनियों में नहाया पूरा
शहर। यह सारा दृश्य उन्हें चकाचौंध कर देने वाला था। घर पहुँचे तो स्मिता और बच्चे
उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। बच्चे दादा–दादा कहते भागकर उनके
गले लग गए। वह भावविह्वल हो उठे।
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अनुभूति में-
कैलाश गौतम,
महावीर शर्मा, डॉ. सुरेंद्र भूटानी,
मधुकर पांडेय,
मोहन कीर्ति
की रचनाएँ |
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कलम
गही नहिं हाथ
-पूर्णिमा वर्मन (टीम अभिव्यक्ति)
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क्या
आप जानते हैं?
दुनिया
में चीनी का वार्षिक उत्पादन 13.4 मीट्रिक टन होता है जब
कि नमक का
21 करोड़ टन, यानी चीनी से डेढ़ गुना ज़्यादा। |
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सप्ताह का विचार
काम से ज़्यादा काम के पीछे निहित
भावना का महत्व होता है। --डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
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