इस
सप्ताह
समकालीन कहानियों में
भारत से राजेंद्र त्यागी की कहानी
हीरामन
हीरामन बूढ़े वृक्ष के प्रवचन सुनता और आंखें बंद कर मनन करने
लगता, ''..जब फल देना वृक्षों का स्वभाव है और वे स्वभाव का
त्याग न करने के लिए विवश हैं, तो फिर एक-एक फल के लिए हमारे
बीच संघर्ष क्यों? क्या यह भी हम जीवों का स्वभाव है?''
बूढ़ा वृक्ष दार्शनिक मुद्रा में हीरामन की शंका का समाधान करता,
''हीरामन! जरा-जरा सी बात के लिए संघर्ष करना जीवों का स्वभाव नहीं, आदत
है! ..स्वभाव और आदत के मध्य अंतर होता है। स्वभाव प्रकृति प्रदत्त है और
आवश्यकता के अनुसार आदत हम स्वयं गढ़ लगते हैं। स्वभाव नहीं बदला जा
सकता, आदत बदली जा सकती है!''
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हास्य-व्यंग्य में
अविनाश वाचस्पति का सकारात्मक दृष्टिकोण
हमारी
समृद्ध भारतीय संस्कृति में वनस्पति को भी नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति नहीं
है। जीवहत्या तो दूर की बात है, किसी को हानि पहुंचाने से पहले भी हम लोग कई
बार सोचते हैं।कीड़ों को अपना दुश्मन नहीं, मित्र मानिए। आखिर सृष्टि रचयिता
ने किसी न किसी नेक कारण से ही हर जीव को उत्पन्न किया है। बस जानने भर का
फेर है। इसके लिए सकारात्मक दृष्टिकोण की जरूरत है। कीड़ों को मित्र मानने से
इसकी शुरुआत हो चुकी है। हमें इसे आगे बढ़ाना है। इस खबर से अवश्य ही मेनका
गांधी को काफी दिली खुशी मिली होगी। इसी खुशी से हमारा मन भी मुदित है और हम
गाए जा रहे हैं कि कीड़े मुझे अच्छे लगने लगे।
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प्रेरक प्रसंग में
सीताराम गुप्ता की लघुकथा दोगुना शुल्क
एक युवक जो कि संगीत में
निपुणता प्राप्त करने की इच्छा रखता था अपने क्षेत्र के सबसे
महान संगीताचार्य के पास पहुँचा और उनसे बोला, ''आप संगीत के
महान आचार्य हैं और संगीत में निपुणता प्राप्त करने में मेरी
गहरी रुचि है। इसलिए आप से निवेदन है कि आप मुझे संगीत की
शिक्षा प्रदान करने की कृपा करें।''
संगीताचार्य ने कहा कि जब
तुम्हारी इतनी उत्कट इच्छा है मुझसे संगीत सीखने की तो आ
जाओ, सिखा दूँगा। अब युवक ने आचार्य से पूछा कि इस कार्य के
बदले उसे क्या सेवा करनी होगी। आचार्य ने कहा कि कोई ख़ास
नहीं मात्र सौ स्वर्ण मुद्राएँ मुझे देनी होंगी।
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घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी की दाँतों से
दोस्ती
महिलाएँ एक
दिन में औसतन 62 बार मुसकुराती हैं, पुरुष 8 बार और बच्चे
400 बार, यह बात हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में सामने
आई। मुसकुराता चेहरा किसे आकर्षक नहीं लगता? और
स्वच्छ-स्वस्थ दाँत सुन्दर मुस्कुराहट में चार चाँद लगा देते हैं। अमेरिका
में किए गए एक अन्य सर्वेक्षण में पता लगा कि 83 प्रतिशत लोग चेहरे की
सुंदरता के मामले में दाँतों को बालों और आँखों से भी अधिक महत्व देते है। यह
स्वाभाविक ही है क्यों कि दाँतों से चेहरे की माँसपेशियों को आकार तथा सहारा
मिलता है। दाँत खाने को पचाने में भी सहायक होते हैं। कुल मिलाकर यह कि शरीर का
स्वास्थ्य और सौंदर्य बनाए रखने के लिए दाँतों से दोस्ती
ज़रूरी है।
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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत
दाल
मक्खनी
शाकाहारी
भोजन में दालें प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। दाल साबुत हो तो प्रोटीन तथा
अन्य पोषक तत्व और भी बढ़ जाते हैं, यानी स्वास्थ्य ही स्वास्थ्य। फिर इसमें
मुगलई तड़का लगा हो तो क्या कहने- स्वास्थ्य के साथ स्वाद का भी ज़बरदस्त
इंतज़ाम हो जाता है। ताज़े मक्खन और मलाई की सुगंध से भरपूर गरमागरम दाल
मक्खनी के साथ मक्की की रोटी या बासमती चावल हों तो सर्दियों का असली मज़ा
आता है। पंजाबी भोजन में भी दाल मक्खनी का विशेष महत्व है तो फिर मौसम की
रंगीनियों में प्रस्तुत है दाल मक्खनी। खुद खाएँ औरों को खिलाएँ और मौसम का
मज़ा उठाएँ।
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