महिलाएँ एक
दिन में औसतन 62 बार मुसकुराती हैं, पुरुष 8 बार और बच्चे
400 बार, यह बात हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में सामने
आई। मुसकुराता चेहरा किसे आकर्षक नहीं लगता? और
स्वच्छ-स्वस्थ दाँत सुन्दर मुस्कुराहट में चार चाँद लगा देते
हैं। अमेरिका में किए गए एक अन्य सर्वेक्षण में पता लगा कि
83 प्रतिशत लोग चेहरे की सुंदरता के मामले में दाँतों को
बालों और आँखों से भी अधिक महत्व देते है। यह स्वाभाविक ही
है क्यों कि दाँतों से चेहरे की माँसपेशियों को आकार तथा
सहारा मिलता है। दाँत मुँह में हवा के बहाव को नियंत्रित
करते हैं इसीलिये हम शब्दों का सही उच्चारण कर पाते हैं।
चबाने की प्रक्रिया के समय मुँह में कुछ विशेष एन्ज़ाइम
निकलते हैं जो भोजन को पचाने के लिये बहुत ज़रूरी होते हैं।
इस प्रकार ये भोजन को काटने और चबाने के साथ-साथ पचाने में
भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुल मिलाकर यह कि शरीर का
स्वास्थ्य और सौंदर्य बनाए रखने के लिए दाँतों से दोस्ती
ज़रूरी है
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक आज दाँतों की तकलीफ से हर कोई
परेशान है। असल में आधुनिक खान पान का दाँतों पर बुरा असर
पड़ा है। जंक फूड, सोडा, जूस, चाकलेट आदि दाँतों को कितना
नुकसान पहुँचाते हैं इस सबसे हम अनभिज्ञ रहते हैं। जब दाँतों
में दर्द, सड़न या छेद महसूस होते हैं तब हम सचेत होते हैं।
दाँतों की देखभाल के लिये ज़रूरी है कि हम दाँतों की संरचना
को भली प्रकार समझ लें। दाँत के मुख्य रूप से दो भाग होते
हैं –
- ऊपरी भाग जो हमें दिखाई
देता है उसे क्राउन कहते हैं।
- दूसरा भाग जड़ या रूट
कहलाता है जो दाँतों को मजबूती से जबड़े में जकड़े रहता
है।
दाँत की तीन परतें होती
हैं।
- पहली इनैमेल कहलाती है
यह बाहरी परत होती है। इनैमेल की चमक से ही दाँत सुन्दर
दिखाई देता है।
- इनेमल के नीचे वाली
परत डेंटाइन कहलाती है। डेंटाइन दाँतों के भीतर
तंत्रिकाओं को सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
- और तीसरी परत पल्प
कहलाती है जिसमें रक्त का प्रवाह रहता है तथा तंत्रिकाएँ
भी इसी परत में होती हैं।
दाँतों का इनैमेल शरीर
को सबसे कठोर और मज़बूत भाग होता है लेकिन मुँह में बनने
वाला अम्ल या ऐसिड धीरे धीरे इसको खोखला करता रहता है।
इससे बचने कि लिए नियमित रूप से दिन में दो बार अच्छी
तरह से ब्रश करना चाहिए। दाँतों को साफ रखने का यह सबसे
सरल तथा सस्ता उपाय है। अच्छी तरह से ब्रश करने से
दाँतों तथा मसूड़ों में जीवाणु (बेक्टीरिया) तथा रोगाणु
(जर्म्स) नहीं पनप पाते। जीवाणु तथा रोगाणु ही दाँतों पर
फलक यानी सफ़ेद सा दिखने वाला प्लाक् बनाने की प्रक्रिया
को शुरू करते हैं। प्लाक् एसिड बनाकर दाँतों को बहुत
नुकसान पहुँचाता है। प्लाक से बचने के लिए हर भोजन
पश्चात दाँतों को पानी से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए
और रात को सोने से पहले अच्छी तरह से ब्रश करना चाहिए।
जीवाणुओं और रोगाणुओं को पनपने के लिये अन्न तथा अंधेरे
की आवश्यकता होती है। रात को ब्रश न करने से इनको वृद्धि
करने के लिये अनुकूल परिस्थिति मिल जाती है, इसलिये रात
को ब्रश करना अत्यंत आवश्यक है।
अच्छे टूथब्रश के चयन के लिये डाक्टर सलाह देते हैं कि
नर्म ब्रश का इस्तेमाल करें, ब्रश ज़्यादा बड़ा नहीं
होना चाहिए। आकार में बड़े ब्रश से दाँत साफ करने में
कठिनाई तो होगी ही साथ ही साथ ब्रश करते समय मसूड़ों को
नुकसान भी पहुँच सकता है। ब्रश करने के लिये ब्रश के साथ
साथ अच्छे पेस्ट का भी चयन करना ज़रूरी है। पेस्ट में
मुख्य रूप से डिटर्जेंट, झाग बनाने का पदार्थ, एब्रेसिव
व फ्लोराइड होता है। परंतु सुनिश्चित कर लें कि पेस्ट
में फ्लोराइड की मात्रा ज़रूर हो। फ्लोराइड मसूढ़ों की
रक्षा करते हुए उन्हें सड़ने से रोकता है। ऐसा माना जाता
है कि दस में से एक व्यक्ति के दाँतों में टार्टर जमने
की संभावना रहती है। टार्टर ही प्लाक् को जन्म देता है।
इसलिये टार्टरनिरोधक माउथवाश या पेस्ट का इस्तेमाल करना
चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ब्रश को जीभ पर से रगड़ने से
लार ग्रंथियों को उत्तेजना मिलती है जिससे टार्टर जमने
की संभावना कम हो जाती है।
यदि दाँत गर्म, ठंडे के प्रति संवेदनशील हो गये हैं तो
बाज़ार में संवेदनशील दाँतों के लिये विशेष रूप से
उपलब्ध टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना बेहतर होता है तथा यह
परिस्थिति आगाह करती है कि आप तुरंत ही डेंटिस्ट को
संपर्क करें। ब्रश करते समय दाँतों पर ब्रश को ज़्यादा
ज़ोर से नहीं रगड़ना चाहिए। ऐसा करने से दाँतों की बाहरी
परत इनैमेल को नुकसान पहुँचता है। इनैमेल की सुरक्षा के
लिये कुछ और भी बातों पर ध्यान देना चाहिए। आप जब भी
सोडा, जूस या ऐसा ड्रिंक पी रहे हैं जिसमें अम्ल की
मात्रा हो तो उसके तुरंत बाद दाँतों में ब्रश न करें।
क्यों कि अम्ल इनैमेल को कमजोर बनाता है और जब आप ऐसे
ड्रिंक के तुरंत बाद दाँत साफ करने से इनैमेल को खरोंच
आने की संभावना बढ़ जाती है। दाँत साफ करने के लिये
डेंटल फ्लॉस का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। भोजन के बाद
च्वइंग गम चबाना भी अच्छा माना जाता है। इसके दो फ़ायदे
हैं – एक तो यह कि दाँतों के बीच अगर कुछ चिपका रह गया
है तो वह च्वइंग गम से बाहर आ जाता है। दूसरा फायदा यह
होता है कि चबाने की प्रक्रिया से दाँतों की अच्छी कसरत
हो जाती है। मिंट वाली च्वइंग गम माउथ फ्रेशनर का काम भी
कर देती है। दाँतों को सफेद तथा चमकदार बनाने के लिये
ऐसे टूथपेस्ट का उपयोग किया जा सकता है जिसमें दाँतों को
सफ़ेद करने के विशेष तत्व हों पर इसके लिए अपने दाँतों
के डॉक्टर की सलाह ले लेना ठीक रहेगा।
खाने-पीने में कुछ सावधानियाँ बरतने से भी दाँत सुरक्षित
रह सकते हैं। चीनी का सेवन दाँतों के क्षय को बढ़ावा
देता है। मिठाई या चॉकलेट अलग से खाए जाएँ तो ये ज्यादा
नुक़सान पहुँचा सकते हैं। लेकिन यदि भोजन का अंग बनाया
ये दाँतों को कम नुकसान पहुँचाते है। जूस या अन्य मीठे
और ठंडे तरल स्ट्रॉ से पीने पर दाँतों को कम नुक़सान
पहुँचाते हैं।
गर्म खाने के तुरंत बाद ठंडा या ठंडे के बाद तुरंत गरम
दाँतों को संवेदनशील बनाते हैं अतः भोजन की ऐसी पद्धति
से दूर रहना चाहिए। छोटे बच्चों को बोतल से दूध पिलाने
के बाद साफ, गीले कपड़े से मसूढे तथा दाँत साफ कर देना
अच्छा रहता है। यह भी ध्यान रखना अच्छा है कि बच्चे को
ज्यादा मीठा दूध न दिया जाय, यह दाँतों को नुकसान पहुँचा
सकता है। दाँतों में दर्द होने पर लौंग का तेल मसूड़ों
पर मलें। पिसी हुई हल्दी को भी दाँतों पर रगड़ने से भी
आराम मिलता है। ये घरेलू उपचार हैं पर यदि दाँतों में
किसी भी तरह की तकलीफ है तो डेंटिस्ट से ज़रूर मिलें।
दाँत अनमोल हैं, एक बार यदि प्राकृतिक दाँत खराब हो गये
तो फिर से वैसे ही दाँत पाना असंभव है इसलिये दाँतों से
दोस्ती रखें।
अंत में कुछ रोचक बातें, क्या आप जानते हैं कि-
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जिस प्रकार मनुष्य
के मुँह में एक बार दाँत गिरने के बाद दुबारा नए दाँत
निकल आते हैं वैसे हाथी के मुँह में आठ बार और शार्क
के मुँह में 40 बार दाँत बदलते हैं।
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दाहिने हाथ का
प्रयोग करने वाले खाना खाते समय जबड़े के दाहिने
हिस्से का ही प्रयोग अधिक करते हैं।
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फ्लश के समय हवा में
उड़ने वाले जीवाणुओं से टूथब्रश की रक्षा के लिए उसको
टॉयलेट की सीट से कम से कम 6 फ़ुट दूर होना चाहिए।
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प्रत्येक व्यक्ति के
दाँतों की बनावट, चाहें वे जुड़वाँ ही क्यों न हों,
उँगलियों के निशान की तरह भिन्न होती है जिसके कारण
फोरेंसिक विज्ञान में भी दाँतों का बहुत महत्व है।
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सिंतबर २०१४
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दिसंबर २००७ |