हिमाचल
प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन और
बर्फ के खेल |
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शिमला आइस स्केटिंग रिंक | |
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एक समय था जब हिमाचल प्रदेश में सर्दियों के दिनों में
जनजीवन शून्य सा हो जाता था। बर्फ़बारी के साथ ही इसके कुल
55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से लगभग 33,000 वर्ग
किलोमीटर का क्षेत्र बर्फ की चादर से ढक जाता था और लगभग
सात लाख से भी ज्यादा लोग बर्फ की दीवारों में कैद होने को
विवश हो जाते थे। हालांकि आज भी बर्फ गिरने से लाहुल-स्पिति, भरमौर, पांगी, डोडराक्वार और किन्नौर सहित
कुछ अन्य क्षेत्र हिमाचल के निचले इलाकों से चार-पांच
महीनों के लिए कट जाया करता हैं। लेकिन कुछ सालों से अब कम
बर्फ़बारी के कारण जनजीवन उतना प्रभावित नहीं होता जितना
आज से पन्द्रह-बीस वर्ष पहले हुआ करता था।
मनाली और शिमला जैसे
प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में कोई चहल पहल शीतकालीन मौसम में
नहीं होती थी। लेकिन आज हिमाचल में जिस तरह से शीतकालीन
खेल- स्कीइंग, हेली स्कीइंग और आइस स्केटिंग
लोकप्रिय हुए है उससे सर्दियों के मौसम का स्वागत भी
पर्यटक-मौसम की ही तरह होने लगा है। हिमाचल प्रदेश की पर्वत-मालाएँ जब बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेती है तो उनका
नज़ारा देखते ही बनता है। देश तथा विदेश से आने वाले
पर्यटकों के लिए शीतकाल का यह मौसम अलग ही आकर्षण लिए रहता
है। इसके साथ ही बर्फ़ के खेल के प्रेमियों के लिए तो यह
बर्फ़ीला मौसम कुछ अधिक उल्लास और स्फूर्ति लिए आता है।
इनकी आँखे अनवरत दिसम्बर मास से ही आसमान की ओर टकटकी लगाए
रहती हैं कि कब धरती बर्फ की वर्षा से आच्छादित हो और
वे इन खेलों का आनन्द ले सकें। यही हाल देश व विदेश से
यहाँ भ्रमण के लिए आए पर्यटकों का भी होता है। वे भी वर्ष
भर बर्फ़बारी का इंतज़ार करते रहते हैं। तकरीबन उन सभी ऐसे
सैरगाहों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है जहां से बर्फ
के परिदृश्य बिल्कुल करीब से देखे जा सकते हैं। हिमाचल में
जिन सैरगाहों पर स्कीइंग होती है, वहां का वातावरण तो
रोमांच और उल्लास से भरा रहता है।
नारकण्डा में स्कीइंग |
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