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कहानियां
। कविताएं । साहित्य
संगम ।
दो पल ।
कला दीर्घा
। साहित्यिक निबंध
।
उपहार
। परिक्रमा |
° परिक्रमा में ° रसोईघर में ° ° दो
पल में ° प्रेरक प्रसंग में ° फुलवारी
में
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कहानियों में बहुत साल से अशोक इस कॉलेज में प्रोफेसर है मगर अब तक थिएटर में लेक्चर देने की बारी नहीं आई। चकित हो गया थियेटर की भव्यता देखकर। सोचने लगा, 'इतने सालों के बाद मेहरबानी है उपरवाले की, मेरी आवाज मजबूत है। भर दूंगा इस थियेटर को मेरी आवाज़ से! मेरे गले पर माइक्रोफोन का हार नहीं लटकेगा!' ° फ्रांस से सुचिता भट की
कहानी पेरिस के ये रास्ते मुझे
बुलाते नहीं सिर्फ ले जाते हैं। कुछ पतले गली कूचों से गुजरते हैं तो कुछ लंबे चौड़े आसमान से नीचे, गर्द झाडियों के बीच मीलों दूर दौड़ते
है। सब एक जैसे साफ सुथरे और तमीज वाले। शहरी रास्ते संकरे से जिनके दोनों तरफ
दूकानें, बेकरी, दफ्तर, रेस्तराँ घर, सब एक ही सांचे से निकाले हुए से। हास्य व्यंग्य में ° साहित्यिक
निबंध में ° उपहार
में |
° पुराने अंकों से ° गौरव
गाथा में ° वास्तु
विवेक में ° रत्न
रहस्य में ° कला
दीर्घा में ° कहानियों
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चंद्रकांता की कहानी न्दि°ञन्दि साहित्य
संगम में °ञ पर्यटन
में हास्यव्यंग्य
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना
परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी
सहयोग : प्रबुद्ध कालिया
साहित्य संयोजक : बृजेश कुमार
शुक्ला