गौरव गाथा में
महाकवि निराला की कहानी
पद्मा और लिली
डॉक्टर
चले गये। रामेश्वरजी ने अपनी पत्नी से कहा
"यह एक दूसरा फसाद खड़ा हुआ। न तो कुछ कहते बनता है
न करते। मैं कौम की भलाई चाहता था
अब खुद ही नकटों का सिरताज हो रहा हूँ। हम लोगों में अभी तक यह बात
न थी कि ब्राह्मण की लड़की का किसी क्षत्रिय लड़के से विवाह होता। हाँ ऊच
कुल की लड़किया
ब्राह्मणों के नीचे कुलों में गयी हैं। लेकिन
यह सब आखिर कौम ही में हुआ है।"
पर्व परिचय में
आस्था का आलेख
पतंगों का पर्व उत्तरायण
सुबह
सुबह सब लोग अपनी अपनी छतों पर चढ जाते हैं। पतंग डोर
खाने का सामान वगैरह लेकर। साथ में छत पर म्युज़कि सिस्टम भी ले जाते हैं।
ज़ोर ज़ोर से गाने बजते हैं और घर का हर व्यक्ति पतंग उड़ाने के लिये तत्पर
रहता है। बडे बूढे बच्चे महिलायें सब लोग बहुत ही उत्साह से पतंग
उड़ातें हैं।
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अनुभूति
में
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गौरवग्राम
में
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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डा कुंवर बेचैन
साथ ही
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रसोईघर में
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