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व्यक्तित्व

अभिव्यक्ति में
उमेश अग्निहोत्री की रचनाएँ

व्यंग्य में
अमेरिका में गुल्ली डंडा
अमेरिका में दर्पण
मैं और फेसबुक

दृष्टिकोण में
हिंदी मीडिया कहाँ जा रहा है

कहानियों में
क्या हम दोस्त नहीं रह सकते
मैं विवाहित नहीं रहना चाहता
हार पर हार

उमेश अग्निहोत्री

'सन ६०' में आकशवाणी दिल्ली में उद्घोषक बनने के बाद किसी न किसी रूप में प्रसारण की दुनिया से जुड़ा रहा। पहली कहानी ''सन ६४'' में छपी। उसके बाद भी लिखता रहा और यदा-कदा छपता भी रहा। कई एक कहानियाँ और लेख प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं मे भी प्रकाशित हुए।

एक कहानी संग्रह 'गॉड गिवन फ़ैमिली', मेधा बुक्स से प्रकाशित। दो टेली-नाटक लिखे 'मूक-बधिर' और 'विक्रेता', दो मंच-नाटक 'सुबह होती है, शाम होती है और 'धर्मयुद्ध'। ये नाटक रंग-प्रसंग के 'जुलाई २००३' के अंक में प्रकाशित हुए। एक पुस्तक "वाह रे हम और हमारे ग़म" प्रकाशित।

अब मुख्यत: रंगकर्मी हूँ। अमेरिका में अपनी नाटक मंडली प्रवासी कला मंच के लिए लगभग '२०' नाटकों का मंचन और निर्देशन किया है। 'सन १९९६' से वॉशिंग्टन महानगर क्षेत्र के 'इमेज इन एशियन' टेलीविजन प्रोग्राम के लिए तीन-चार मिनट का एक पाक्षिक प्रकरण पेश कर रहा हूँ, जिसका विषय रहता है अमेरिका में भारतीयों के सांस्कृतिक अनुभव।

अक्षरम प्रवासी हिंदी साहित्य सम्मान २००७ से सम्मानित।

संपर्क- uagnihot@yahoo.com

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