बारह पौधे जो साल-भर फूलते हैं
(संकलित)
१२- चंपा
बीच में पीले और किनारे पर सफेद
रंग के फूलों के गुच्छों से
लदे हुए चंपा के पेड़ किसी भी बड़े बगीचे की शोभा में चार
चाँद लगा देते हैं। ये फूल हाईब्रिड वैरायटी में कई अन्य
रंगों में भी मिलते हैं। साल भर खिलने वाले इन फूलों की
मोहक सुगंध किसी का भी मन मोह सकती है।
१५ से २५ फुट ऊँचा चम्पा एक सुंदर उष्णकटिबंधीय वृक्ष है,
इसे काफी धूप की आवश्यकता होती है और सर्दी से बचाना होता
है।
इसे कटिंग से या किसी बड़े पेड़ से काटी गई शाखाओं से
उगा सकते हैं। कम से कम १२ इंच या उससे कुछ अधिक लंबाई की
एक मोटी और स्वस्थ कटिंग को कैंची या आरी से काट लें। वसंत
या गर्मियों की शुरुआत में कटिंग लेना सबसे अच्छा होता है।
कटिंग से फूलों और पत्तियों को हटा दें। हाथ में दस्ताने
पहनें, क्योंकि चम्पा में एक चिपचिपा रस होता है जो हाथों
पर लग सकता है। कटिंग को १ से २ सप्ताह के लिए छायादार जगह
में रखें। इसे लगाने से पहले, सुखाना जरूरी होता है। कटिंग
को १-२ सप्ताह तक रख देने से, कटिंग का ताजा काटा हुआ सिरा
कठोर हो जाएगा और इसका तना भी सूख जाएगा। सबसे अच्छे
रिजल्ट के लिए कटिंग को गर्म और नमी वाली जगह में छोड़
दें। इस पेड़ को चिकनी मिटटी छोड़कर किसी भी मिटटी में
लगाया जा सकता है। अगर पेड़ चिकनी मिटटी में लगा हुआ है,
तो उसकी सफ्ताह में एक बार अच्छी तरह से गुड़ाई करके पानी
डालना चाहिये।
हर कटिंग के लिए चार लीटर या बड़े गमले खरीदें। अगर आप
पौधे को बड़ा बनाना चाहते हैं तो बड़ा गमला लेना चाहिये।
बराबर-बराबर मात्रा में बालू, सामान्य मिट्टी और वर्मी
कम्पोस्ट मिलाकर इसमें कटिंग ३–४ इंच तक दबा दें। मिट्टी
को नम रखें पर पानी के भराव नहीं होना चाहिये। गमले को
गर्म जगह पर रख दें और इसमें जड़ों के आने की प्रतीक्षा
करें। आमतौर पर ४ से ८ सप्ताह नये पत्ते आने लगते हैं। अगर
पौधा जमीन में लगाया गया है तो १० डिग्री सेल्सियस और उससे
नीचे के तापमान में यह तीन महीने तक निष्क्रिय पड़ा रहेगा।
अगर गमले में है तो इसे ऐसे बरामदे में रखें जहाँ रात की
ठंडी हवा से बचाव हो और दिन में धूप आती हो। बढ़ते मौसम
यानि भारत में मार्च से नवंबर तक हर पहले और तीसरे सप्ताह
में तरल खाद का छिड़काव करें। इससे फूलों को खिलने में मदद
मिलेगी। मनचाहा आकार देने के लिये इसकी छँटाई करें। बीमार
पौधे को बचाने के लिये कीटनाशक स्प्रे करें और स्प्रे करने
से पहले या बाद में पौधे को अधिक गर्मी के संपर्क में न
आने दें। संक्रमण को रोकने के लिए कीटनाशक साबुन का भी
प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे हर हफ्ते दोहराना होगा। |