बारह पौधे जो साल-भर फूलते हैं
(संकलित)
९- पोर्टुलका
पोर्टुलाका के पौधों में विविध रंगों की सुंदर बहार देखने
को मिलती है। इसके फूल वसंत ऋतु में खिलने लग जाते हैं और
अक्टूबर तक खिलते रहते हैं। देश के उन भागों में जहाँ
ज्यादा सर्दी और वर्षा नहीं होती, ये सारे साल खिलते रहते
हैं। जहाँ ज्यादा सर्दी और वर्षा होती है उन स्थानों पर
इन्हें नवंबर दिसंबर जनवरी और फरवरी के महीनों में बचाकर
रखना होता है, ताकि वसंत आने पर खाद मिलाते है ये खिल
उठें।
यह तेजी से धरती पर फैल जाने वाला, गर्मी और धूप का सामना
करने के लिए एक आदर्श पौधा है। बगीचों के विस्तार को और
लंबी क्यारियों को गर्मी और धूप में रंग बिरंगा बनाए रखने
के लिये इससे बेहतर कुछ भी नहीं। इसकी २०० से अधिक
प्रजातियाँ हैं लेकिन पोर्टुलाका ग्रैंडिफ्लोरा और
पोर्टुलका अम्ब्राटिकोला भारतीय बगीचों के लिये सर्वोत्तम
है। इसकी पत्तियाँ मोटी होती हैं जो अपने ऊतकों में पानी
जमा कर सकती हैं और इस कारण लंबे समय तक धूप और उच्च
तापमान का सामना कर सकती हैं। पानी को स्टोर करने में
सक्षम होने की इस विशेषता के कारण उन्हें गर्मियों में भी
दिन में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है। इसकी जड़
प्रणाली है विशेष प्रकार की है जो बड़े पैमाने पर विकसित
होती है और अधिक गहराई तक नहीं जाती। इसलिये अगर मिट्टी
६-७ इंच तक भी गहरी है तो यह पौधा बहुत स्वस्थ रहता है।
इसके फूलों का रंग लाल गुलाबी नारंगी सफेद और पीला होता
है। जिस क्यारी में यह फैला होता है वह सुबह दस बजे तक रंग
बिरंगे फूलों से भर जाती है। इसके फूल शाम तीन बजे तक बंद
हो जाते हैं। इस कारण इसे टेन-ओ-क्लौक या गुलदोपहरी भी
कहते हैं। हालाँकि इसकी कुछ हाईब्रिड प्रजातियाँ ऐसी हैं
जिनके फूल शाम या तेज दोपहर में बंद नहीं होते। पोर्टुलका
की पत्तियाँ भी सुंदर होती हैं। इनके पत्ते चिकने,
गुच्छेदार, गहरे हरे, अंडाकार और मांसल होते है। अगर आप
अपने पौधे पर सैकड़ों फूल पाना चाहते है , तो इसे पूर्ण
सूर्य प्रकाश में रखे। इस पौधे को धूप बहुत पसंद है। अगर
धूप कम मिलती है तो इसमें या तो फूल ही नहीं आएँगे या फिर
कम संख्या में खिलेंगे। गर्मी के मौसम में शाम को एक बार
पानी जरूर दें अन्यथा इनके पत्ते पीले होकर झर जाएँगे।
इन्हें साल एक बार मार्च के महीने में कंपोस्ट खाद देना
अच्छा रहता है। अधिक स्वस्थ फूलों के लिये स्प्रे करने
वाली तरल खाद को हर पन्द्रह दिन में शाम के समय छिड़कें जब
सूरज की रोशनी न हो। |