समकालीन कहानियों में
इस माह
प्रस्तुत है- भारत
से
मीनल गुप्ता की
कहानी माँ के हाथ का चिकन
लॉकडाउन
का कुछ दो-ढाई साल लम्बा दौर खत्म हो रहा था। कामकाज और
नौकरीपेशा जनता अपनी जन्मभूमि से कर्मभूमि में वापस लौटने की
तैयारी में मुँह लटकाए व्यस्त थी। ऋचा भी सामान बाँध चुकी थीए
बस खाने-पीने के सामान वाले बैग की जिम्मेदारी माँ की थी।
निकलने का वक्त हो गया था और इन्क्वायरी से पता भी हो गया था
की गाड़ी समय से चल रही और प्लेटफार्म नंबर दो पर आएगी सो खाने
का बैग भी अब बाहर लाकर रख लिया जाये, यह सोचकर ऋचा माँ को
पुकारती हुई रसोई की ओर तेज कदमों से चल पड़ी। माँ हड़बड़ी में
बैग उठाकर ला ही रही थी कि याद आया- ओहो! ऋचा जरा ठहर वो तेरा
चिकन वाला मसाला मैंने बनाकर रखा तो है पर बैग में डालना भूल
गयी। ऐसा कर तू ये बैग लेकर चल, मैं मसाले का डिब्बा लेकर आती
हूँ। ऋचा माथा पीटकर हँसते हुए बोली माँ तुम और कुछ तो भूली
नहीं और चिकन का मसाला जो मैंने कम से कम सौ बार याद दिलाया
होगा, वह ही भूल गयी। वाह जी वाह! ... आगे-
***
रसोईघर में- हमारी रसोई संपादक शुचि अग्रवाल प्रस्तुत कर
रही हैं- गर्मी के मौसम में मीठी तरावट के लिये स्वास्थ्य
वर्धक पेय-
केसरिया ठंडाई की
व्यंजन विधि।
बागबानी में- नन्हीं पत्तियाँ प्यारे पौधे जो घर का रूप सँवारें और
पर्यावरण निखारें- इस शृंखला में प्रस्तुत है-
सिन्गोनियम
स्वस्थ भोजन स्वस्थ शरीर में-
दीर्घायु प्रदान करने वाले १२ पौष्टिक-तत्व जिन्हें प्रतिदिन
खाना चाहिये। इस शृंखला में प्रस्तुत है-
दही।
डाक टिकटों पर
पौराणिक पात्र- देश विदेश
के वे टिकट जिन पर देवी-देवताओं के चित्र प्रकाशित किये गए हैं
इस अंक में प्रस्तुत है-
लाओस के डाक टिकटों पर रामकथा।
बतरस
से लिखवट तक - रतन मूलचंदानी के फोटो निबंधों की शृंखला में
इस माह-
एकला चलो रे
गौरवशाली
भारतीय- क्या आप जानते हैं कि अप्रैल
महीने में कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया?
...विस्तार से
नवगीत संग्रहों
और संकलनों से परिचय की शृंखला में- सुधांशु उपाध्याय के नवगीत
संग्रह-
अक्षरों के पार जाकर
का परिचय डॉ. मंजु सिंह की कलम से।
वर्ग
पहेली-३६०
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और
रश्मि आशीष के सहयोग से