इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
1
दीपावली के अवसर पर कंदील के सौंदर्य, संवेदना और उजाले को
समर्पित, अनेक रचनाकारों द्वारा रची,
ढेर-सी रचनाएँ। |
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घर परिवार में |
रसोईघर में-
दीपावली के अवसर पर हमारी रसोई संपादक शुचि
एक विशेष मिष्ठान्न प्रस्तुत कर रही हैं-
बादाम दीप। |
सौंदर्य सुझाव -- चाय के पानी
में चुकंदर का रस मिलाकर ओंठों पर लगाने से उनका रंग
गुलाबी होता है और वे फटते नहीं। |
संस्कृति की पाठशाला- -मिट्टी
के दीये अच्छी तरह जलें और तेल अधिक न सोखें इसके लिए
उन्हें तीन घंटे तक पानी में भिगोने के बाद सुखाकर प्रयोग करें। |
क्या आप जानते हैं?
कि
मध्य प्रदेश के साँवेर गाँव में स्थित
हनुमान जी का मंदिर उलटे हनुमान के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें
स्थापित मूर्ति
का सिर नीचे और पैर ऊपर हैं। |
- रचना और मनोरंजन में |
गौरवशाली भारतीय- क्या आप जानते हैं
कि नवंबर के महीने में कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म
लिया? ...विस्तार से
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सप्ताह का विचार-
जैसे
दीपक का प्रकाश घने अंधकार के बाद दिखाई देता है उसी प्रकार सुख
का अनुभव भी दुःख के बाद ही होता है। |
वर्ग
पहेली-३४३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से |
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हास परिहास में
पाठकों
द्वारा
भेजे गए चुटकुले |
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साहित्य और संस्कृति-
दीपावली विशेषांक में- |
कैनेडा से
डॉ. हंसादीप के उपन्यास ''केसरिया
बालम''
का एक अंश-
रंगोली के रंग
जब
धानी के जीवन में बाली का प्रवेश हुआ तो एक टीस थी कि सखी बहुत
दूर जा रही है पर उसकी चमकती आँखें इस बात का संतोष देतीं कि
वह बहुत खुश है इस रिश्ते से। वैसे भी देश-विदेश में कोई दूरी
नहीं थी अब।
“देख, यहीं से दिख जाता है अमेरिका”
“कहाँ” धानी आँखें मिचमिचाती पूछती।
“अपने मन की आँखों से देख, वो दिखाई तो दे रहा है!”
और सचमुच धानी देख लेती। पानी के किनारे अट्टालिकाओं का झुरमुट
दिख जाता जो सस्नेह आमंत्रित कर रहा होता। राजस्थान की अपनी
बेटी को सपने दिखाता। वह पहुँच जाती वहाँ, बगैर किसी ना-नुकुर
के। कुँवारी कल्पनाएँ कितनी मासूम थीं! जीवन एक ऐसा सुंदरतम
अहसास देता कि हर पल अनूठा हो जाता। उम्र के उस दौर के बेहतरीन
और खुशनुमा पल जो छुई-मुई से मिले-जुले भावों की सिहरन होते,
अंग-अंग से छलकती कल्पनाएँ अपने शीर्ष पर होतीं। मन मचल-मचल
जाता, संभाले नहीं संभलता।
आगे...
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मधु जैन की
लघुकथा
झिलमिलाते नयन
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नर्मदा प्रसाद उपाध्याय
का ललित निबंध
चित्रकूट में बसत हैं रहिमन अवध नरेश
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पूजा अनिल से पर्व परिचय
में
स्पेन में दीपावली का उत्सव
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डॉ. शोभा निगम से जाने-
रामराज्य और उसकी विशेषताएँ
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पिछले माह- विजयदशमी विशेषांक में- |
मुक्ता पाठक की कलम से
पुराण कथा-
विजयदशमी
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परिचयदास का निबंध-
राम-रावण का अपराजेय समर
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डॉ. शरद सिंह से पर्व
परिचय में-
बुंदेली दशहरे की रोचक परंपराएँ
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पुनर्पाठ में डॉ. अरुणप्रकाश अवस्थी
का संस्मरण-
मौरावां की रामलीला जहाँ रावण कभी नहीं मरता
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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है यू.एस.ए. से
इला प्रसाद की कहानी-
कुंठा
यामिनी
खुश थी, बेहद! बावजूद इसके कि हॉल में घुसते ही वह उस औरत से
टकराई थी, जिसके वहाँ होने का उसे गुमान तक न था। हालांकि होना
चाहिए था, क्योंकि इस शहर का भारतीय समुदाय इतना भी बड़ा नहीं!
फिर वह उसी की तरह गुजराती है। दरअसल कुछ लोग इतने गैर जरूरी
होते हैं आपकी जिन्दगी में कि स्मृति से उस अल्पकालिक मुलाकात
के तत्काल बाद बाहर हो जाते हैं जो ऐसी ही किन्हीं
परिस्थितियों में होती है। फिर यामिनी के मष्तिष्क ने तो उसे
सोच- समझकर खारिज किया था कुछ अल्पकालिक मुलाकातों के बाद।
पहली बार जब उसने अन्विता और वशिष्ठ को देखा था, तो उसे
बिल्कुल ही अन्दाजा न था कि वह एक पिछले आकाश के सितारे से मिल
रही है। रवि ने ही पहचाना और परिचय कराया -''इन्हें मिलो, ये
हैं अन्विता, कभी हौकी के मैदान में दिखाई पड़ती थीं।
आगे... |
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