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अभिव्यक्ति हिंदी पुरस्कार- २०१२ //  तुक कोश  //  शब्दकोश //
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३१. १२. २०१२

इस सप्ताह-

अनुभूति में- विविध रचनाकारों द्वारा रचित गीत, गजल, छंदमुक्त, कुंडलिया और दोहे विधाओं में अनेक मनभावन नववर्ष रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- पनीर और सब्जियों की शृंखला रोककर क्रिसमस और नए साल के अवसर पर शुचि इस अंक में प्रस्तुत कर रही है- पीना कोलाडा मॉकटेल

चीज पुरानी रूप नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें समय के साथ पुरानी हो जाने पर, फिर से सहेजें रूप बदलकर- इस सप्ताह- एक पुराना फोटो फ्रेम

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- जादू वाली शाम

- रचना और मनोरंजन में

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला- २५ की रचनाओँ का प्रकाशन पूरा हो गया है। नई कार्यशाला की तिथि और विषय निश्चित होने पर सूचित करेंगे।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है पुराने अंकों से १ जनवरी २००७ को  प्रकाशित राजकुमार राकेश की कहानी— "शिमला क्लब की एक शाम"।

वर्ग पहेली-११४
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
          कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

नववर्ष के अवसर पर समकालीन कहानियों में
भारत से प्रवीणा जोशी की कहानी- नया सवेरा

वैन के अन्दर सभी खामोश थे उसकी तरह और वह बाहर देख रही थी इस शहर को, कितना कुछ बदल गया था, बस उसे छोड़ कर। दौड़ती सड़के, बोलते वाहन और गगनचुंबी इमारतें, विहंगम दृश्य! सड़कों पर हर ओर रंगीन झंडियाँ लगी हुई, शोर शराबा, संगीत, सजी हुई दूकानें... उसके भीतर जितनी शांति जितना अकेलापन जितनी स्थिरता थी वैन के बाहर की दुनिया उससे बिलकुल अलग थी। शोरगुल उत्सव और हंगामे की दुनिया, एक ऐसी दुनिया जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी, एक ऐसा संसार जो बहुत दूर कहीं पीछे छूट गया था। "आज नया साल है।" साथ बैठी महिला पुलिस ने बताया। नया साल! बरसों से यह दिन उसके जीवन में नहीं आया था। इतने लोग एक साथ उसने पहले देखे ही नहीं थे उसने तो कभी अपने आस–पास भी ध्यान से नहीं देखा था। शायद सूर्य देवता का कमाल था जिसकी चमक से न दिखने वाले लोग भी उसे दिखाई दे रहे थे या उस ओर से आती ठंडी हवा ने उसमे प्राण फूँकने शुरू कर दिए थे। सड़क किनारे चलते बच्चो और महिलाओं का झुण्ड देख कर लगा जैसे उसे भी अपने साथ शामिल होने को बुला रहा हो। .. आगे-
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अमिता नीरव का आलेख
व्यापार का किरदार सांता
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रचना श्रीवास्तव से जानें
अफ्रीकी नव-वर्ष क्वांजा के विषय में
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पर्वों की जानकारी के लिये
पर्व पंचांग - २०१३
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पुनर्पाठ में- गुणाकर मुले की कलम से
भारतीय कैलेंडर की विकास यात्रा

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पिछले-सप्ताह-


शंकर पुणतांबेकर की लघुकथा
आम आदमी
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मथुरा कलौनी का नाटक
लंगड़
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मधु से इतिहास के अंतर्गत
भास्कराचार्य द्वितीय
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पुनर्पाठ में- गोविंद मिश्र का यात्रा विवरण
उजाले की चलती दौड़ती लकीर

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समकालीन कहानियों में भारत से
पावन की कहानी- सांता नहीं चाहिये

खत्म होते साल के आखिरी बचे-खुचे दिन। क्रिसमस और नये साल के आगमन के इन दिनों में बाजारों में बहुत रौनक होती है। बाजार, जो सबको लूट लेना चाहता है, खाली कर देना चाहता है। कॅनाट प्लेस का ‘इनर सर्कल’ रोशनियों से जगमगा रहा है। वह ‘टी जी आई फ्राइडे’ के सामने की रेलिंग पर बैठी थी और उदास थी। लेकिन जब वह मैट्रो स्टेशन से बाहर निकलकर इनर सर्कल में आयी थी तो उदास नहीं थी बल्कि वह तो बहुत खुश थी। वह तो आज इस शाम को यादगार और लम्बी ठण्डी रात को खूबसूरत बनाकर बिताने वाली थी। टी जी आई एफ तक पहुँचते-पहुँचते उसका फोन आ गया था। उसने कहा था कि आज वह उसके साथ नहीं जा पायेगा।
‘क्यों?’, उसने हैरानी से पूछा था।

‘डियर, आज तुम मेरा ‘सैकेण्ड ऑप्शन’ थी, फर्स्ट मेरे साथ है। आज तुम फ्री हो, कुछ भी करने के लिए, वो भी जो मेरे साथ करती।’ उसकी शरारत भरी आवाज, ‘डोन्ट वरी, अभी तो न्यू ईयर भी है।’
वह हमेशा दो ऑप्शन्स लेकर चलता था। आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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