इस सप्ताह- |
1
अनुभूति
में-
राजेश कुमार श्रीवास्तव,
अशोक रावत, अंकिता जैन, गौतम सचदेव और धीरेन्द्र प्रेमर्षि की रचनाएँ। |
- घर परिवार में |
रसोईघर में- अंतर्जाल पर सबसे लोकप्रिय भारतीय
पाक-विशेषज्ञ शेफ-शुचि के रसोईघर से राजस्थानी व्यंजनों की
शृंखला
में- मिस्सी रोटी। |
बचपन की
आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में
संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु-
हवाई यात्रा में।
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बागबानी में-
बगीचे की देखभाल के लिये टीम अभिव्यक्ति के अनुभवजन्य अनमोल
सुझाव- इस अंक में-
बगीचे में
पक्षी। |
वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की
जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से-
१६ जून से ३० जून २०१२ तक का भविष्यफल।
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- रचना और मनोरंजन में |
नवगीत की पाठशाला में-
कार्यशाला-२२, विषय
'गर्मी के दिन'
के लिये आमंत्रित नवगीतों का प्रकाशन निरंतर जारी है। |
साहित्य समाचार में-
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों,
सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये
यहाँ देखें |
लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है-
१६ मार्च २००६ को प्रकाशित यू.के. से कादंबरी मेहरा की कहानी-
हिंजड़ा।
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वर्ग पहेली-०८५
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से
|
सप्ताह
का कार्टून-
कीर्तीश
की कूची से |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
1
समकालीन कहानियों में
भारत से
जयनंदन की कहानी-
बाबा का चोला
‘संसार मिथ्या है....ईश्वर ही
परम सत्य है’। सोहाने गड़ेरी को बहुत गुस्सा आता था यह वाक्य
सुनकर....जब संसार मिथ्या है तो साले तू हिमालय की बर्फ में
जाकर जम क्यों नहीं जाता! क्यों शहर-शहर जाकर लाखों की
गुरू-दक्षिणा और चढ़ावा वसूलते रहते हो और अपने आलीशान आश्रम
में संपूर्ण कुनबों के साथ अय्याशी करते हो ?
शहर में बाबाओं की बाढ़ आ गयी थी। हर सप्ताह किसी न किसी कोने
में बाबा हाजिर। विशाल पंडाल... भव्य मंच...पुष्पसज्जित
नयनाभिराम राजसी सिंहासन... बाबा विराजमान.....लंबी दाढ़ी,
लंबे बाल या फिर पूरी तरह सफाचट, तन में गेरूआ चोंगा...मुख
मण्डल से प्रवचन रूपी अमृत वर्षा जारी...उसमें सामने बैठकर
भींगते हुए भारी संख्या में श्रद्धालू भक्तजन। (प्रवचन को वह
शब्दों की जुगाली और श्रोताओं को बुद्धि के द्वार बंद किये हुए
एक निरीह प्राणी समझता रहा था।) पंडाल के चारों ओर छोटे-छोटे
मंडप, जिनमें शोभायमान रुद्राक्ष, चंदन, अगरबत्ती, धूप-दीप...
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*
इंद्रनाथ मदान का व्यंग्य
बहानेबाजी
*
स्वाद एवं स्वास्थ्य में
चीड़फल चिलगोजा
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शिखा वार्ष्णेय की पुस्तक
स्मृतियों में रूस- से परिचय
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पुनर्पाठ में गजाला जैगम का
नगरनामा- मौसम मेरे शहर के |
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पिछले सप्ताह-
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१
अशोक भाटिया की लघुकथा
तीसरा
चित्र
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भक्तदर्शन श्रीवास्तव की विज्ञानवार्ता
शुक्र का पारगमन
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प्रभु जोशी का संस्मरण
महान गायक
उस्ताद अमीरखां
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पुनर्पाठ में प्रभात कुमार
का आलेख-
अभावों का ऋणजल
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समकालीन कहानियों में
भारत से
पुष्पा तिवारी की कहानी-
फेसबुक वाया फार्मविले
समय ऐसे गुजरा कि कब हाथ पैर
ढीले पड़ने लगे और समय शरीर में पसर गया, पता ही न चला। आलस्य
बेतरतीबी ले आया। दिनचर्या सुस्त हो गई, सुबह उठने का दिल न
करता, सोई अलसाती रहती। नहाना धोना सब घड़ी में खसकता रहता। रात
आती तो थोड़ी सी फुर्ती आती। सब आस पड़ोस... घर सोया रहता। यहाँ
तक कि वस्तुएँ निर्जीव लगने लगतीं। अँधेरा घबराहट भर देता।
रोशनी कुछ करने ने देती। अब रात को क्या करूँ। कहाँ तक पढ़ूँ
लिखूँ मन नहीं लगता। ऊब होने लगी... यह सब बिटिया से फोन पर
शिकायत करती रहती। वह कहती इसीलिए तो कहती हूँ ‘नेट सीख लो।
अपन फ्री में खूब सारी बातें करेंगे।‘ नेट का मतलब कम्प्यूटर
और उसका भी मतलब एक मशीन। मशीनों में मेरी दिलचस्पी बातें करने
तक ही सीमित रही। घर में माइक्रोवेव से लेकर वॉशिंग मशीन तक
है। सब मैं ही लाई हूँ।
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