इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
शशिकान्त गीते, मयंक
अवस्थी, विक्रम पुरोहित, आशुतोष द्विवेदी और श्रीकृष्ण शर्मा
रचनाएँ। |
- घर परिवार में |
रसोईघर में- सर्दियों के मौसम में पराठों के क्या कहने ! १५ व्यंजनों की स्वादिष्ट
शृंखला, भरवाँ पराठों में इस सप्ताह प्रस्तुत हैं-
पुदीना पराठा।
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बचपन की
आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में
संलग्न इला गौतम से जानें यदि शिशु एक साल का है-
बेबीवाकर
हाँ या ना।
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बागबानी में-
हाथों की सुरक्षा-
बागबानी से न केवल हाथ की त्वचा पर असर पढ़ता है बल्कि उस पर
रोगाणुओं के हमले का डर भी रहता है। इसलिये
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स्वाद और स्वास्थ्य में- क्या आप
जानते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ हमारी नष्ट होती कोशिकाओं को
रोकने में सोयाबीन बहुत सहायक होता है।
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- रचना और मनोरंजन में |
कंप्यूटर की कक्षा में-
प्रश्नोत्तर- कंप्यूटर पर हिंदी लिखने के लिये सबसे अच्छे उपकरण
कौन से हैं।
गूगल आई.एम.ई, बारहा आई.एम.ई या इंडिक...
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नवगीत की पाठशाला में-
आशा है इस सप्ताह कार्यशाला- २० के
लिये नए विषय की घोषणा हो जाएगी । |
लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत-
प्रस्तुत है- १६ अक्तूबर २००४ को यू.के. से दिव्या माथुर की कहानी—
फिर कभी सही।
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वर्ग पहेली-०६२
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से
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सप्ताह
का कार्टून-
कीर्तीश
की कूची से |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
1
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए.
से
नीलम जैन की कहानी
संस्कार
सुबह की चुप्पी में अचानक
घर्र- घर्र करते ट्रक की आवाज कानों में पड़ी तो मानसी जान गई
कि साढ़े छः बज चुके हैं। हर बृहस्पतिवार को कूड़ा कचरा उठाने
वाली गाड़ी लगभग इसी समय आया करती है।
बुधवार की रात को ही लोग
अपने घर का सप्ताह भर का कचरे का एक बड़ा कूड़ादान घर के आगे,
सड़क के किनारे रख देते हैं। अगले रोज सुबह ट्रक के आगे लगी दो
विशालकाय यंत्रित बाहें बढ़ कर उस बड़े से कूड़ेदान को उठा कर
ट्रक के पीछे वाले खुले मुँहनुमा हिस्से में डालती हैं और वहाँ
एक और चक्की सी मशीन कूड़े को दबाते रौंदते अन्दर खींच लेती है।
उसके बाद यह सभी ट्रक जमा किये कूड़े को शहर के एक खास
व्यवस्थित हिस्से में जाकर फेंक आते हैं। मन ही मन मानसी ने
सोचा कि उसके पति ने उनका कूड़ेदान रख दिया होगा ना. . . वरना
सप्ताह भर घर का कूड़ा बाहर वाले कूड़ादान में भरना मुश्किल हो
जाएगा और ऊपर से सड़ांध बदबू अलग।
विस्तार
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*
विनोद विप्लव का व्यंग्य
कुर्सी में जान डालने की
तकनीक
*
श्रीश बेंजवाल शर्मा के साथ
२०११ का
तकनीकी सफर
*
सुधा अरोड़ा का आलेख
सावित्री बाई फुले
*
पुनर्पाठ में पर्यटक
के साथ- आरामगाह
आस्ट्रेलिया
1 |
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पिछले सप्ताह- |
1
कुमार शर्मा
'अनिल' की लघुकथा
नववर्ष का स्वागत
*
घर परिवार में जाने-
एक संसार ढेरों नए साल
*
साल भर के भारतीय पर्वों की
जानकारी के लिये-
पर्व पंचांग
*
समाचारों में
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ
*
नववर्ष के अवसर पर अज्ञेय का
उपन्यास
अपने अपने अजनबी
एकाएक सन्नाटा छा गया। उस सन्नाटे में ही योके ठीक से समझ सकी कि उससे निमिष भर
पहले ही कितनी जोर का धमाका हुआ था-बल्कि धमाके को मानो अधबीच में दबाकर ही
एकाएक सन्नाटा छा गया था। वह क्या उस नीरवता के कारण ही था, या कि अवचेतन रूप से सन्नाटे का ठीक-ठाक अर्थ
भी योके समझ गयी थी, कि उसका दिल इतने जोर से धडकने लगा था? मानो सन्नाटे के
दबाव को उसके हृदय की धडकन का दबाव रोककर अपने वश कर लेना चाहता हो। बर्फ तो पिछली रात से ही पड़ती रही थी। वहाँ उस मौसम में बर्फ का गिरना, या
लगातार गिरते रहना, कोई अचम्भे की बात नहीं थी। शायद उसका न गिरना ही कुछ
असाधारण बात होती। लेकिन योके ने यह सम्भावना नहीं की थी कि बर्फ का पहाड़ यों
टूटकर उनके ऊपर गिर पड़ेगा और वे इस तरह उसके नीचे दब जाएँगे। जरूर वह बर्फ के
नीचे दब गयी है... विस्तार
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