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१२. . २०११

इस सप्ताह-

1
अनुभूति में-
हिंदी दिवस के अवसर पर विविध विधाओं में विभिन्न रचनाकारों की हृदयस्पर्शी रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- उत्सव का मौसम आ गया है। इसे स्वाद और सुगंध से भरने के लिये पकवानों की शृंखला में इस सप्ताह प्रस्तुत है-- मूँगदाल हलवा

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का ३७वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- शारीरिक दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनी।

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १६ सितंबर से ३० सितंबर २०११ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- ऐसे जालस्थल जिनके पन्नों में किसी भी तरह का बदलाव ब्राऊज़र में ही किया जा सकता है उन्हें विकी कहते हैं।  ...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-१७ के सारे गीत प्रकाशित हो चुके हैं। इस सप्ताह विशेषज्ञ की टिप्पणी के बाद नए विषय की घोषणा हो जाएगी।  

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों में से प्रस्तुत है- १६ दिसंबर २००४ को प्रकाशित सी. वी. श्रीरमण की कहानी— लौटते हुए

वर्ग पहेली-०४६
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य व संस्कृति में- हिंदी दिवस के अवसर पर

1
हास्य-व्यंग्य में भारत से
रवीन्द्र कुमार की रचना - दाखिला अँग्रेजी स्कूल में

(हिंदुस्तान में अंग्रेजी पब्लिक स्कूलों में दाखिले के लिए मची मार-काट से मैकाले की आत्मा को कितनी शांति मिलती होगी)। अगर घर की बड़ी-बूढ़ियों को को बच्चों का दाखिला कराने की कवायद सौंप दी जाए तो बच्चू सबकी सिट्टी-पिटटी गुम हो जाएगी और सारी चौकड़ी भूल जाएँगी। ये जो दूधों नहाओ पूतो फलो का आशीर्वाद बाँटती फिरती हैं। मेरे यहाँ भी जब ये आशीर्वाद फला तो चिंता होना स्वाभाविक थी, मैंने सोचा अब इस बच्चे के लिए एक अदद मोबाइल फोन, मारुति का अगला मॉडल, व डिस्को की मैम्बरशिप चाहिये। लेकिन सबसे प्रथम आवश्यकता नर्सरी में दाखिला कराने की थी। मूलतः भेड़ होने के कारण मैं भी अन्य के साथ भेड़ चाल में शामिल हो गया। एक दिन शाम से ही डिनर टिफन में बाँध कर स्कूल के अहाते में जा पहुँचा। वहाँ कारें खड़ी करने की जगह नहीं थी। मैंने देखा की लोगों ने कारों में एक पोर्टेबल साइकल रखी हुई थी। तथा स्कूल के पास ट्रेफिक जाम होने के कारण सभी पैदल या साइकल पर स्कूल गेट की ओर भागे जा रहे थे। विस्तार से पढ़ें...

मधु संधु की लघुकथा
साक्षात्कार
*

विजय कुमार का दृष्टिकोण
विश्व बाजार और हिंदी

*

डॉ. राकेश शर्मा के शब्दों में
विश्व हिंदी सचिवालय का सफरनामा
*

डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय से जानें
हिंदी का वैश्विक परिदृष्य

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पिछले सप्ताह-

1
अशोक गौतम का व्यंग्य
इस दर्द की दवा क्या है
*

डॉ. भक्तदर्शन श्रीवास्तव की
विज्ञानवार्ता- कागज पर सौर ऊर्जा

*

दिविक रमेश का संस्मरण
कवि-चिन्तक शमशेर बहादुर सिंह
*

पुनर्पाठ में पर्यटक के साथ घूमें-
इतिहास प्रसिद्ध इस्तांबूल

*

समकालीन कहानियों में भारत से
मनमोहन सरल की कहानी- चाबी के खिलौने

वह लॉबी में खड़ा था। उसकी औरत चमकदार कपड़ों में सोफ़े पर बैठी थी। वह पहले खड़ा नहीं था। जब मैंने वहाँ प्रवेश किया था तो दोनों को दूर से बैठे देखा था लेकिन मैं नहीं पहचान पाया था कि वह होगा। उसकी किसी औरत के साथ सटकर बैठे और चिडि़यों की तरह गुपचुप बातें करने की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती थी। मुझे आते देखकर वह बहुत पहले से ही खड़ा हो गया था लेकिन उसकी औरत वैसे ही बैठी रही थी। नज़दीक आते ही उसने खीसें निपोर कर नमस्‍कार किया और एक मर्दाना-सा नाम लेकर उस औरत से भी नमस्‍ते करने को कहा। मैंने देखा, आज उसकी शक्‍ल पर तीन बज रहे थे - ठीक तीन, चाहे तो कोई घड़ी मिला ले और मैंने सचमुच अपनी घड़ी मिला भी ली। मुझे खुशी हुई क्‍योंकि इससे पहले वह जब भी मिलता था, उसके चेहरे पर बारह ही बजे होते थे। दोनों नमस्‍कार कर चुके थे। पूरी कहानी पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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