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७. २. २०११

इस सप्ताह-

अनुभूति में- 1
डॉ. अश्वघोष, देवी नागरानी, सुशील जैन और बाल स्वरूप राही के साथ वसंत के अवसर पर ढेर सी वसंती रचनाएँ।

- घर परिवार में

सप्ताह का व्यंजन- मारिशस की सुप्रसिद्ध पाक विशेषज्ञ मधु गजाधर की स्वास्थ्यवर्धक रसोई से- माइक्रोवेव में पके भरवाँ बैंगन

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु का छठा सप्ताह

स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- बीज पपीते के स्वास्थ्य हमारा

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १ फरवरी से १५ फरवरी २०११ का भविष्य फल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- ब्राउज़र एक्सटेंशन- एक ऐसा छोटा प्रोग्राम होता है जो ब्राउज़र के साथ जुड़कर उसकी क्षमताओं का विस्तार करता है।...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला १३ की रचनाओं का प्रकाशन निरंतर जारी है। रचनाएँ अभी भी भेजी जा सकती है।... आगे पढ़ें...

वर्ग पहेली-०१५
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

शुक्रवार चौपालकुछ दिनों से मौसम बदला बदला सा है। आसमान में बादल हैं और कभी धूप तो कभी साया लगातार बनी हुई है। ... आगे पढ़ें

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य और संस्कृति में-

1
समकालीन कहानियों में भारत से
प्रवीण पंडित की कहानी अपने अपने दायरे

चौपाल अलसाई सी उठ बैठी।
पीपल ने भी अँगड़ाई ली।
गली कूचे कुलबुला उठे।
हल्की सी ठंड भरे दिन ने बदन सेंकने के लिये सुबह के नवेले गुलाबी गोले को बरसाती की मुंडेर पर लटका दिया, तो गुरजी घोसी ने भी दरवाज़े पर गुहार लगा दी__
"दो
SSS ध "
1
माँ खामोशी से चादर लपेटने लगी। अब खाट से पांव ज़मीन पर टिका कर धीरे- धीरे चट्टी (लकड़ी की खड़ाऊँ ) ढूँढ़ेंगी। दूध लाने के लिये भगौना उठा कर कोठा, सहन और चौक पार करते हुए दरवाज़े तक जाएगी-- धीरे धीरे। तब तक गुरजी की दूसरी, फुट भर ज़्यादा लम्बी गुहार लग चुकी होगी-- "दो
SSSSS ध" 
दूसरी गुहार पर बाबू जी की, सोते-सोते, कसमसाती सी आवाज़ निकलती है।
"कब तक सोती रहेगी? दूध ले ले।" पूरी कहानी पढ़ें...

*

उमेश अग्निहोत्री का व्यंग्य
मैं और फेसबुक
*

कुमार रवीन्द्र की स्मृति-यात्रा
महोबा होकर खजुराहो तक

*

प्रदीप शर्मा खुसरो का आलेख
सूफी दरगाहों में वसंत पंचमी

*

पुनर्पाठ में सूरज जोशी के साथ देखें
आस्ट्रेलिया के कंगारू

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पिछले सप्ताह-

1
रतनचंद जैन का प्रेरक प्रसंग
रूप या गुण
*

भीमसेन जोशी को प्रभु जोशी की श्रद्धांजलि
उनका स्वर ही उनका स्मारक रहेगा

*

भावना कुंअर की पुस्तक से परिचय-
साठोत्तरी हिंदी गजल में विद्रोह के स्वर

*

पुनर्पाठ में भवानी प्रसाद मिश्र का आलेख
वर्षा विगत शरद ऋतु आई

*

समकालीन कहानियों में भारत से
दीपक शर्मा की कहानी मुर्दादिल

सोने से पहले मैं रम्भा का मोबाइल जरूर मिलाता हूँ। दस और ग्यारह के बीच। “सब्सक्राइबर नाट अवेलेबल” सुनने के वास्ते।
लेकिन उस दिन वह उपलब्ध थी- “इस वक्त कैसे फोन किया, सर ?”
“रेणु ने अभी फोन पर बताया कविता की शादी तय हो गई है।“ अपनी खुशी को तत्काल काबू कर लेने में मुझे पल दो पल लग गए।
रेनू मेरी बहन है और कविता उसकी बेटी। रम्भा को मेरे पास रेणु ही लाई थी। भाई यह तुम्हारा सारा काम देखेगी। फोन, ईमेल और डाक।
“हरीश पाठक से, रम्भा हँसने लगी।
“तुम्हें कैसे मालूम?”
“उनके दफ्तर में सभी जानते थे।“
रम्भा ने कुछ महीने कविता की निगरानी की थी। रम्भा हमेशा ही कोई न कोई नौकरी पकड़े रखती थी
...  पूरी कहानी पढ़ें...

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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सहयोग : दीपिका जोशी

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