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३. १. २०११

इस सप्ताह

अनुभूति में-
नव वर्ष की शुभ कामनाओं, संकल्पों, दृश्यों और अभिनंदनों से रची बसी ढेर सी मनमोहक कविताएँ।

कलम गहौं नहिं हाथ

नए साल में शुभकामनाओं की दौर के साथ कुछ पुराने स्तंभ विदा ले रहे हैं और कुछ नए हमारे साथ सम्मिलित हो रहे हैं... आगे पढ़ें

-घर परिवार में

सप्ताह का व्यंजन- मारिशस की सुप्रसिद्ध पाक विशेषज्ञ मधु गजाधर की स्वास्थ्यवर्धक रसोई से- बिना तले दही बड़े

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु का पहला सप्ताह

स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- इस पक्ष का भविष्य फल।

-रचना और मनोरंजन

कंप्यूटर की कक्षा में- ब्राउजर- एक ऐसा अनुप्रयोग जिसके द्वारा विश्वजाल पर उपलब्ध जालघरों को देखा तथा उनपर काम किया जाता है।

नवगीत-की-पाठशाला-में- कार्यशाला १२ के लिये भेजी गई सभी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। जल्दी ही नए विषय की घोषणा की संभावना है। आगे पढ़ें...

वर्ग पहेली- ०१०
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

शुक्रवार चौपाल- २४ दिसंबर की शुक्रवार चौपाल में सुबह के पहले सत्र में कंप्यूटर पर इनस्क्रिप्ट टाइपिंग का अभ्यास हुआ... आगे पढ़ें

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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 साहित्य और संस्कृति

समकालीन कहानियों में भारत से
शुभदा मिश्रा की कहानी नव वर्ष शुभ हो

फोन करने जाना था बेटा... परेशानी में डूबे बाबू जी तीसरी बार कह चुके थे। नीलू स्वयं बहुत परेशानी में पड़ गई थी। फोन तो रखा था बगल के कमरे में। दरवाजा खोलो तो रखा है फोन। लेकिन दरवाजा थोड़े ही खोला जा सकता है। दरवाजा तो उस तरफ से बंद है। और उस तरफ है आफिस। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का जोनल आफिस। सारे दिन काम चलता रहता है वहाँ। बैठा रहता है वहाँ सारे दिन नया मैनेजर। नो नानसेंस टाइप का कड़ियल आदमी। सारे दिन इस नए बास की सधी हुई फरमाबदार आवाज गूँजती रहती है आफिस में। आफिस के बाद वाले कमरे में ही तो रहते हैं नीलू लोग। सारे दिन आफिस की एक एक बात सुनाई पड़ती है नीलू लोगों को। जरूर नीलू लोगों की बातें भी उधर सुनाई देती होंगी ही। यह आफिस देखकर ही बिदके थे नीलू और नितिन। जब यह मकान देखने आए थे। उस समय आफिस के मैनेजर थे अस्थाना साहब। पूरी कहानी पढ़ें...

*

हास्य व्यंग्य में शरद तैलंग की रचना
शुभकामनाएँ नए साल की

*
 

सुभाष राय का साहित्यिक निबंध
अनंत काल में एक वर्ष का अर्थ

*
 

डॉ. हरिकृष्ण देवसरे और डॉ. मनोहर भंडारी
के शब्दों में कैलेंडर शब्द की उत्पत्ति

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पिछले वर्षों के नववर्ष विशेषांकों का संग्रह
नववर्ष विशेषांक समग्र

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पिछले सप्ताह

लेखिका का वक्तव्य
चौथी ऋतु- मेरी प्रिय कहानी

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मनीष कुमार जोशी से सामयिकी में
एशियाड- २०१० सफलता की नई उड़ान

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1प्रो. सत्य भूषण वर्मा का आलेख
हाइकु कविताओं के देश में

*

समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

*
 

मेरी प्रिय कहानी के अंतर्गत यू.के. से
अचला शर्मा की कहानी चौथी ऋतु

लिंडा ने फ़ायरप्लेस के ऊपर सजे क्रिसमस कार्ड्स पर एक भरपूर नज़र डाली और फिर टाईम्स की सुर्ख़ी पर- तीस साल बाद लंदन में इतनी भारी बर्फ़ पड़ी है। वह बुदबदाईं, चाहो तो एक मिनट में उँगलियों में गिन लो, चाहो तो तीस वसंत याद करो या फिर तीस पतझड़। भला कितने साल की थीं वे तीस साल पहले। यही कोई चालीस-इकतालीस की। घुटनों पर रखा टाईम्स फिसल कर ज़मीन पर नीचे गिर गया। ऐसे ही तो गुज़र जाता है वक्त-एक हल्की सरसराहट के साथ। अब तो उनके पति को गुज़रे भी दस साल हो गए। लिंडा की नज़र दीवार पर टंगी जॉर्ज की तस्वीर की और गई। मन में एक उलाहना सा उठा- बुढ़ापा काटने की बारी आई तो अकेला छोड़ गए। दस साल से नितांत अकेली ही तो हैं वह। साल में एकाध बार बेटी आकर मिल जाती है। उसके बच्चों से घर महक उठता है। पर कितने दिन...हफ़्ता...ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन... लेकिन लिंडा शिकायत नहीं करतीं। अपने आप से भी नहीं। मार्गेरेट, उनकी बेटी ने एक बार... पूरी कहानी पढ़ें...

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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