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पिछले सप्ताह
भावना वर्मा का व्यंग्य
होना न होना नाक का
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रतिलाल अनिल का ललित
निबंध
आटे का सूरज
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पर्यटन में नंद नंदन सनाढ्य का आलेख
काठमांडू के स्वयंभूनाथ
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स्वदेश राणा का नगरनामा
तआरुफ़ अपना बकलम ख़ुद :
न्यूयॉर्क
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समकालीन कहानियों में भारत से
दीपक शर्मा की कहानी
चमड़े का अहाता
शहर
की सबसे पुरानी हाइड-मार्किट हमारी थी। हमारा अहाता बहुत बड़ा था। हम
चमड़े का व्यापार करते थे।
मरे हुए जानवरों की खालें हम ख़रीदते और उन्हें चमड़ा बनाकर बेचते।
हमारा काम अच्छा चलता था। हमारी ड्योढ़ी में दिन भर ठेलों व छकड़ों
की आवाजाही लगी रहती। कई बार एक ही समय पर एक तरफ. यदि कुछ ठेले
हमारे गोदाम में धूल-सनी खालों की लदानें उतार रहे होते तो उसी समय
दूसरी तरफ़ तैयार, परतदार चमड़ा एकसाथ छकड़ों में दबवाया जा रहा
होता। ड्योढ़ी के ऐन ऊपर हमारा दुमंज़िला मकान था। मकान की सीढ़ियाँ
सड़क पर उतरती थीं और ड्योढ़ी व अहाते में घर की औरतों व बच्चों का
कदम रखना लगभग वर्जित था। हमारे पिता की दो पत्नियाँ रहीं।
भाई और मैं पिता की पहली पत्नी से थे। हमारी माँ की मृत्यु के बाद ही
पिता ने दूसरी शादी की थी।
सौतेली माँ ने तीन बच्चे जने परंतु उनमें से एक लड़के को छोड़कर कोई
भी संतान जीवित न बच सकी। मेरा वह सौतेला भाई अपनी माँ की आँखों का
तारा था। वे उससे प्रगाढ़ प्रेम करती थीं। मुझसे भी उनका व्यवहार
ठीक-ठाक ही था। पर मेरा भाई उनको फूटी आँख न सुहाता।
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अनुभूति
में-
जन्मदिन का उत्सव और विभिन्न विधाओं में
नव वर्ष की एक सौ पैसठ सुंदर रचनाएँ |
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कलम गही नहिं
हाथ-
इस अंक के साथ यह साल हमसे विदा ले रहा है और अगले अंक से पहले नया
साल शुरू हो चुका होगा इसलिए नववर्ष के उपलक्ष्य कुछ नए परिवर्तनों के
साथ प्रस्तुत है नव वर्ष विशेषांक....
आगे पढ़े |
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रसोई सुझाव-
सख्त नींबू या संतरे को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो
उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है। |
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नौ साल पहले-
१५ अगस्त २००० के अंक में
उषा राजे सक्सेना की कहानी शुकराना |
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क्या आप जानते हैं?
सन २००८ के लिए हिन्दी का साहित्य अकादमी पुरस्कार सुप्रसिद्ध
लेखक गोविंद मिश्र को प्रदान किया गया है। |
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सप्ताह का विचार- मातृभाषा, मातृ संस्कृति और मातृभूमि ये
तीनों सुखकारिणी देवियाँ स्थिर होकर हमारे हृदयासन पर विराजें।
-ऋग्वेद |
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हास
परिहास |
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1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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