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19.  10.  2006 

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पिछले सप्ताह

दशहरा विशेषांक में
 जवाहर चौधरी का व्यंग्य
रहस्य राम–वनवास का

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पर्व परिचय में
रणवीर सेठी का आलेख
नेपाल का दशहरा

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कला दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष दीर्घा
लोक कलाकृतियों में दुर्गा

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फुलवारी में
दशहरे के लिए बनाएं
दुर्गा का मुखौटा

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कहानियों में
भारत से मधुसूदन आनंद की कहानी
तलवार

दशहरे का दिन था। सुबह से ही परिवार में
उत्साह था। मां पड़ोस से गोबर ले आई थी।
उससे रावण के दस सिर बनाए जाने थे। पिता पिछली शाम को ही गन्ना और लौकी ले आए थे। गन्ना दशहरे के दिन पूजा में रखा जाता है। लौकी रायते के लिए आई थी। मां ने रात में ही दही जमा दिया था। दही के बर्तन को
उन्होंने आटे के कनस्तर में रखा था ताकि थोड़ी गर्मी मिले और दही अच्छा जम जाए। हम भाई बहनों को उठते ही उन्होंने दही के दर्शन कराए और फिर कहा, "आया जो भैया पायता, राम खिलाए रायता।" हम सब भाई बहनों ने समवेत स्वर में यह दोहराया।
हल्की–सी खटास लिए मीठे दही का स्वाद हमारे मुंह में भर गया।
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इस सप्ताह
1
नाटकों में
भारत से शिबन कृष्ण रैणा का नाटक
श्रीभट्ट

सुलतान जैनुलाबदीन 'बड़शाह' कश्मीर के बड़े ही लोकप्रिय शासक हुए हैं। जनता प्यार से
उन्हें 'बड़शाह' के नाम से पुकारती थी। एक बार उनकी छाती पर एक जानलेवा फोड़ा हुआ जिसका इलाज बड़े से बड़े हकीम और वैद्य भी न कर सके। देश विदेश से नामवर हकीमों को बुलाया गया मगर वे सभी नाकाम रहे। तब कश्मीर के ही एक हकीम पंडित श्रीभट्ट ने अपनी समझदारी और अनुभव से 'बड़शाह' का इलाज किया और उन्हें सेहत बख्शी। बादशाह सलामत ने इस एहसान के बदले में श्रीभट्ट के लिए शाही खज़ानों के मुंह खोल दिए और उन्हें कुछ मांगने के लिए अनुरोध किया। श्रीभट्ट ने जो मांगा वह कश्मीर के इतिहास का एक ऐसा बेमिसाल पन्ना है जिसपर समूची कश्मीरी पंडित बिरादरी को गर्व है।

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हास्य व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव उर्फ रवि रतलामी की
हार्दिक बधाई

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पर्व परिचय में
दीपिका जोशी मना रही हैं
करवा–चौथ

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सोईघर में
अभी से तैयार हो रहे हैं
दीपावली के पकवान

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घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी कर रही हैं
सुबह के नाश्ते को सलाम

 सप्ताह का विचार
धैर्यवान मनुष्य आत्मविश्वास की नौका पर सवार होकर आपति की नदियों को सफलतापूर्वक पार कर जाते हैं।—भर्तृहरि

 

संतोष कुमार के गीत, शोभनाथ यादव की कविताएं, विनय मिश्र के दोहे और दिशांतर में रामकृष्ण द्विवेदी मधुकर की रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
पुराने कपड़े–शरद सिंह
लौटते हुए–सी पी श्रीरामन
बाबू जी–डा शिबन कृष्ण रैणा
भटकन–संतोष गोयल
गुलाबी हाथी–दीपक शर्मा
फोकस–अलका पाठक
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हास्य व्यंग्य में
कहां रहती हो तुम, जाना – समीर लाल
हिंदी की स्थिति–अनूप कुमार शुक्ल
समाजसेवा–अंतरा करवड़े
अथ गणेशाय नमः–शरद जोशी
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विज्ञान वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप के साथ मंगल ग्रह पर
रोवर बग्घियों के आगे
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव सिखा रहे हैं
दाहिने क्लिक का कमाल
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फिल्म इल्म में
भावना कुंअर परख रही हैं
हृषिदा का फिल्म संसार
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हिंदी दिवस के अवसर पर
दो विशिष्ट रचनाएं

लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का आलेख
संविधान में हिंदी
और
डा विवेकानंद शर्मा की कलम से
फ़ीजी में हिंदी
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साहित्यिक निबंध में
रिंपी खिल्लन सिंह की रचना
लोक–संवेदना के कवि सर्वेश्वर

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

   

 

 
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