दीर्घायु प्रदान करने वाले पौष्टिक-भोजन
जिन्हें नित्य खाना चाहिये (संकलित)
७- प्याज
लहसुन अदरक
प्याज लहसुन और अदरक भारतीय
भोजन के प्रमुख अंग हैं। जो लोग प्याज लहसुन नहीं खाते वे
भी अदरक का सेवन तो करते ही हैं। अदरक लहसुन और प्याज
हमारे शरीर को अनेक प्रकार से स्वस्थ रखने में सहयोग करते
हैं। ये सभी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाते
हैं, सूजनप्रतिरोधक हैं और सर्दी-बुखार में राहत पहुँचाते
हैं।
अदरक
अदरक में उपस्थित एंजाइम पाचन क्रिया के समय आँतों में
बनने वाली गैसों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और गैस को
निकालने में मदद करते हैं। अपच, अल्सर, कब्ज और आई बी एस
जैसी पाचन समस्याओं वाले किसी भी व्यक्ति अपने नियमित आहार
में इसे शामिल कर राहत पा सकते हैं। अदरक का एंजाइम छोटी
आंत में होने वाली पाचन क्रिया में भी सहायता करता है। यह
पाचन प्रक्रिया को तेज करने और पेट को जल्दी खाली करने में
मदद करती है। कच्ची अदरक में पाया जाने वाला ''बायोएक्टिव
कंपाउंड जिंजरोल'' अपने एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुणों
के कारण इम्युनिटी को बढ़ाता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट
और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। इन गुणों के संयोजन
से खाँसी में सुधार होता है, बुखार कम होता है, इन्फेक्शन
से लड़ने में सहायता मिलती है, सिरदर्द से राहत मिलती है
और सामान्य सर्दी और फ्लू से जुड़े अन्य लक्षणों में भी
इससे लाभ होता है।
अदरक में फाइटोकेमिकल गुण
होते हैं जो सूजन का मुकाबला कर सकते हैं। अदरक ब्लड-थिनर
के रूप में भी काम करती है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय
संबंधी समस्याओं को रोकने में सहायक होता है। जब कोई
व्यक्ति कीमोथेरेपी से गुजर रहा हो तो अदरक को अपने आहार
में शामिल करने से मतली या चक्कर से निपटने में किसी हद तक
मदद मिलती है। माहवारी के पहले तीन दिनों के दौरान अदरक का
उपयोग करने से दर्द में राहत मिलती है। कुछ अध्ययनों से
पता चला है कि अदरक का सेवन वजन घटाने में मदद करता है।
अदरक इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करती है, मेटाबॉलिज्म
को बढाती है और वर्कआउट रिकवरी में भी मदद करती है। अदरक
मस्तिष्क की सूजन को कम करती है और शक्तिशाली
एंटीऑक्सिडेंट होने के कारण मस्तिष्क को फ्री रेडिकल्स से
बचाती है। अदरक डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक
बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है।
लहसुन
एक अध्ययन के अनुसार, लहसुन का सेवन करने से बीमार पड़ने
का खतरा ६१ प्रतिशत तक कम हो जाता है। कच्चा लहसुन खाने से
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसका सबसे
बड़ा फायदा जुकाम की बीमारी में मिलता है। जिन लोगों की
प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है, उन्हें सर्दी-जुकाम जैसे
आम संक्रमण परेशान नहीं कर पाते हैं। कोलेस्ट्रॉल और हाई
ब्लड प्रेशर के मरीज कच्चा लहसुन खाकर इसे कंट्रोल कर सकते
हैं। कच्चे लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ऑक्सीडेटिव
स्ट्रेस का मुकाबला करते हैं जिसके कारण अल्जाइमर और
डिमेंशिया जैसी दिमागी बीमारी से बचाव होता है।
यह महिलाओं में एस्ट्रोजन
हॉर्मोन का विकास करता है जिसके कारण हड्डियाँ मजबूत बनी
रहती हैं, थकान दूर रहती है। अदरक की तरह लहसुन में भी
एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को खत्म करके दर्द
से राहत देते हैं। लेड जैसे पदार्थों के कारण शरीर में
अवांछित तत्व इकट्ठे होते हैं, जिसे टॉक्सिन्स कहा जाता
है, लेकिन कच्चे लहसुन में मौजूद सल्फर कंपाउंड इन मेटल से
होने वाली हानि को खत्म करता है और शरीर को डिटॉक्स करता
है। कच्चा लहसुन खाने का तरीका यह है कि खाली पेट लहसुन की
२ कली छीलकर चबाएँ। इसके साथ १ गिलास गुनगुना पानी भी पी
सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, कच्चा लहसुन खाने के ३०
मिनट बाद तक आपको किसी चीज का सेवन नहीं करना है।
प्याज
प्राचीन काल से प्याज को उपचारात्मक मूल्य के लिए जाना
जाता है। हैज़ा और प्लेग की महामारी के दौरान प्याज को
ऐतिहासिक रूप से एक निवारक दवा के रूप में इस्तेमाल किया
गया था। प्याज में प्राकृतिक चीनी, विटामिन ए, बी ६, सी और
ई और सोडियम, पोटेशियम, लोहा और आहार फाइबर जैसे खनिज
शामिल हैं। प्याज फोलिक एसिड का भी एक अच्छा स्रोत है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि प्याज
पुराना दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस, आम सर्दी से संबंधित
खाँसी और ठंडे सिंड्रोम वाले रोगियों को राहत प्रदान करते
हैं। प्याज में उपस्थित बायोटिन मधुमेह और त्वचा सम्बंधी
कष्टों में लाभदायक पाया गया है। यह त्वचा को भी साफ और
आकर्षक बनाता है। इसमें उपस्थित क्रोमियम मांसपेशियों और
शरीर की कोशिकाओं को धीमा, क्रमिक ग्लूकोज जारी रखते हुए
रक्त शर्करा के स्तरों को नियंत्रित करता है।
प्याज में पाया जाने वाला फाइटोकेमिकल्स शरीर के भीतर
विटामिन सी के उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं, जो शरीर
की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाते हैं। कच्चा प्याज
चबाने से दाँत क्षय और मौखिक संक्रमणों को रोकने में मदद
मिलती है। प्याज में भी सूजन-विरोधी तत्व पाए जाते है,
इसलिए यह गठिया से लेकर मुँहासों तक में लाभदायक है। प्याज
के रस और शहद के बराबर मिश्रण से ग्रस्त गले और खाँसी के
लक्षणों को दूर करने में मदद मिल सकती है। प्याज क्वरसिटिन
में समृद्ध है, जो एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट
यौगिक है जो बहुत सी बीमारियों से हमारी रक्षा करता है।
इसके अतिरिक्त प्याज में फाइबर भी अच्छी मात्रा में मिलता
है।
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