दीर्घायु प्रदान करने वाले पौष्टिक-भोजन
जिन्हें नित्य खाना चाहिये(संकलित)
४- दही
दही भारतीय भोजन का प्रमुख
अंग है। जिन लोगों को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के अनेक
लाभ दही से मिल जाते हैं। इसमें कैल्शियम काफी मात्रा में
होता है, जो हड्डियों के रखरखाव के लिये आवश्यक है। इसके
अतिरिक्त दही में प्रोटीन, लैक्टोज, आयरन, राइबोफ्लेविन,
विटामिन बी६, विटामिन बी१२, पोटैशियम, मैग्नीशियम और
फास्फोरस भी काफी अच्छी मात्रा में होते हैं। दही के साथ
खाया हुआ भोजन सहजता से पच जाता है और उस भोजन के विटामिन
और प्रोटीन सरलता से अपने खून में मिल जाते है। इसीलिये
दही को ‘परिपूर्ण आहार’ कहा गया है।
चरक संहिता के सूत्र २७ में ऋषि चरक दही के अनेक लाभ
गिनाते हुए लिखते हैं कि दही स्वाद, पाचन शक्ति, यौन
शक्ति, ताकत और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढानेवाला, वात को
संतुलित करनेवाला, पोषण बढानेवाला, दस्त को नियंत्रित
करनेवाला, आंत्र ज्वर कम करनेवाला, भोजन का स्वाद
बढानेवाला, दुर्बलता कम करनेवाला, पवित्र, स्वादिष्ट,
बलवर्धक, और पौष्टिक है। दही की तासीर ठंडी होती है ऐसे
में दही शरीर की गर्मी को दूर करता है। गर्मी के मौसम में
दही और उससे बनी छाछ का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता
है, क्योंकि छाछ और लस्सी पीने से पेट की गर्मी शांत होती
है। दही का नित्य सेवन करने से शरीर की बीमारियों से लड़ने
की क्षमता बढती है।
आधुनिक चिकित्सक भी मानते
हैं कि दही खाने से देर तक पेट भरे रहने का अनुभव होता है
इसलिये यह बार बार भूख लगने की आदत से छुटकारा दिला देता
है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह को नियंत्रित
रखने, पाचन क्रिया सुधारने कोलोस्ट्राल कम करने, आँतों के
स्वास्थ्य को सुधारने तथा बालों और त्वचा को चमकदार बनाने
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिये एक कटोरी दही
सुबह नाश्ते या दोपहर के भोजन में खाना स्वास्थ्य के लिये
बहुत लाभप्रद है।
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