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घर-परिवार जीवन शैली - भारत के विचित्र गाँव


भारत के विचित्र गाँव
जैसे विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं हैं


५- मंदिरों का गाँव मलूटी और गुप्त काशी

झारखंड के दुमका जिले में शिकारीपाड़ा के पास बसे एक छोटे से गाँव "मलूटी” में जिधर नज़र दौड़ाएँ प्राचीन मंदिर नज़र आते हैं। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है।

यह गाँव सबसे पहले ननकार राजवंश के समय में प्रकाश में आया था। उसके बाद गौर के सुल्तान अलाउद्दीन हसन शाह (१४९५–१५२५) ने इस गाँव को बाज बसंत राय को इनाम में दे दिया था। राजा बाज बसंत शुरुआत में एक अनाथ किसान थे। एक बार की बात है जब सुल्तान अलाउद्दीन की बेगम का पालतू पक्षी बाज उड़ गया तो बाज को उड़ता देख गरीब किसान बसंत ने उसे पकड़कर रानी को वापस लौटा दिया। बसंत के इस काम से खुश होकर सुल्तान ने उन्हें मलूटी गाँव इनाम में दे दिया और बसंत राजा बाज बसंत के नाम से पहचाने जाने लगे। इन्हीं राजा बाजबसंत के वंशजों ने यहाँ १०८ भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया।

प्रारंभ में कुल १०८ मंदिर थे, लेकिन संरक्षण के आभाव में अब सिर्फ ७२ मंदिर ही रह गए हैं। सुप्रसिद्व चाला रीति के इन मंदिरों का निर्माण १७२० से लेकर १८४० के मध्य हुआ था। छोटी-छोटी लाल ईंटों से निर्मित ये १५ फीट से लेकर ६० फुट तक ऊँचे हैं। मंदिरों की दीवारों पर रामायण-महाभारत के दृ़श्यों का चित्रण अत्यंत आकर्षक है।

मंदिरों के संरक्षण की तो बिहार के पुरातत्व विभाग ने १९८४ में गाँव को पुरातात्विक प्रांगण के रूप में विकसित करने की योजना बनाई थी। इसके अंतर्गत मंदिरों का संरक्षण कार्य शुरू किया गया था और आज पूरा गाँव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण पर्यटक यहां रात में रुकने से घबराते हैं।

 १ मई २०१८

(अगले अंक में एक और गाँव)  पृष्ठ- . . . . . . . . . १०. ११. १२.

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