कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
भारत से ज़ाकिर आली रजनीश की कहानी
इकामा फ़ी
वह
दोपहर का समय था। जैसे ही घड़ी ने बारह का घण्टा बजाया, जद्दा
शहर के सैफा मोहल्ले की तीन नम्बर गली के 'अल-हजरत' कारखाने
में जलजला उतर आया। अचानक बाहर का गेट खड़का और दरवाजा
खुलवाने के लिए कई लोग जोर-जोर से चिल्लाने लगे। उस समय
अल-हजरत में कुल सोलह लोग मौजूद थे। देर रात तक काम करने के
कारण वे लोग कुछ ही समय पहले उठे थे और हाथ मुँह धोने के बाद
नाश्ता करने जा रहे थे। बाहर से आ रही आवाज की तेजी बता रही
थी कि आने वाले लोग सुरता यानी पुलिस महकमे से ताल्लुक रखते
हैं। और जैसे ही यह बात कारखाने में मौजूद लोगों की समझ में
आई, वहाँ खलबली मच गयी। सामने रखे खाने को छोड़ कर कोई आदमी
कपड़े पहनने लगा, तो कोई पासपोर्ट की खोज में मसरूफ हो गया।
पुलिस बाहर आ चुकी थी, इसलिए पकड़ा जाना तो तय था। हाँ, पकड़े
जाने से पहले वे आगे आने वाली मुश्किलों को आसान बना लेना
चाहते थे।
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अनूप शुक्ला का व्यंग्य
गुस्से में
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धारावाहिक में प्रभा
खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का
पाँचवाँ भाग
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पर्यावरण में अभिलाष त्रिवेदी का आलेख
ऊर्जा का प्राकृतिक विकल्प पवन ऊर्जा
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संस्कृति में -डॉ. रमेशकुमार भूत्या से जानकारी
पंचकर्म और उसका औचित्य
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पिछले
सप्ताह
रामनवमी
के
अवसर
पर
अनुराग चौधरी का व्यंग्य
हनुमान किसके हैं
संस्कृति में
दक्षिण-पूर्व
एशिया के देशों में बसी रामकथा
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धारावाहिक में प्रभा
खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का
चौथा भाग
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साहित्य समाचार में
हैदराबाद, दिल्ली,
विशाखापत्तनम, कोटा और टोरांटो
से नए समाचार
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कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
यू.के. से गौतम सचदेव की कहानी
जीरे वाला गुड़
हैरिस
ने बताया था कि वे ज़रा पुराने ख़याल के हैं। उसकी इच्छा थी
कि जब वे आएँ, तो मैं उनके पैर छूकर प्रणाम करूँ। मैं सोच
रही थी कि हवाई अड्डे पर हैरिस ने तो यह काम बखूबी कर लिया
होगा, लेकिन मैं कैसे करूँगी। जब वे आए, तो मैं उनके पैरों की
ओर हाथ बढ़ाकर झुक गई, लेकिन एक तो मुझे पैर छूना नहीं आता
और दूसरे प्रसव के बाद अभी मेरे टाँके नहीं खुले थे, इसलिए
मुझे पूरा झुकने में कष्ट हुआ। उन्होंने पंजाबी में जाने
क्या कहा, जिसका हैरिस ने अनुवाद करके बताया कि वे तुम्हें
सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे रहे हैं। मैं 'थैंक यू' कहकर
कृतज्ञता से मुस्कुराने लगी। शायद उन्हें अहसास हुआ कि मैं
पंजाबी नहीं समझती, इसलिए डैडी ने पंजाबीनुमा लहजे
में दुबारा आशीर्वाद दिया, 'गौड ब्लेस यू।' उन्हें सोफे पर
बैठने के लिए कहकर आँखें नीची किए हुए मैं भी उनके सामने बैठ
गई। हैरिस मेरे साथ बैठ गया। ज्योंही मैंने नज़र उठाई, तो
पाया कि वे मुझे देख रहे थे। वे मुझसे पहली बार मिल रहे थे।
मैं भी उनसे पहली बार मिल रही थी। |
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अनुभूति
में- निर्मला जोशी, पं.माखनलाल चतुर्वेदी, राहुल राजेश, विजय
तिवारी किसलय और दुश्यंत कुमार की नई
रचनाएँ |
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कलम गही नहिं
हाथ- कंप्यूटर के साथ बनना पड़ता है कंप्यूटर,
वर्ना वह हमें जीने नही देता। अगर संस्कृत कंप्यूटर के लिए सबसे
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रसोई
सुझाव-
बादाम का छिलका आसानी से उतारने के लिए उसे १५-२० मिनट के लिए
गरम पानी में भिगो दें। |
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पुनर्पाठ
में -
९ मई २००१ के अंक में प्रकाशित शैलेश मटियानी की लंबी कहानी
अर्धांगिनी |
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क्या आप जानते हैं?
भारत की पहली कार्टून पत्रिका शंकर्स वीकली का प्रकाशन
कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई ने १९४८
से १९७५ तक किया। |
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शुक्रवार चौपाल-
९ अप्रैल को रिज़वी साहब मिलिंद तिखे का नाटक राई का पहाड़ करने वाले
हैं। इसके साथ ही होगा श्रीकांत रेले का पोस्टमॉर्टम...
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सप्ताह का विचार- प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नई कोपलें
फूटते रहना। नई कल्पना, नया उत्साह, नई खोज और नई स्फूर्ति
प्रतिभा के लक्षण हैं।-विनोबा |
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हास
परिहास |
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1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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