कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
यू.एस.ए. से
अनिल प्रभा कुमार की कहानी
फिर से
केशी
पाँच सीढ़ियाँ नीचे धँसे फ़ैमिली रूम में, आराम-कुर्सी पर अधलेटे से
चुपचाप पड़े थे। व्यस्तता का दिखावा करने के लिए सीने पर किताब नन्हे
से बच्चे की तरह सोयी थी। आँखे टेलीविजन के स्क्रीन को घूर रही थीं
पर देखती कुछ और ही थीं। कानों में ही जैसे सभी इन्द्रियाँ समाहित हो
गईं। ऊपर से आने वाली एक-एक आवाज़ को वह बरसों से प्यासे की तरह पीने
को आतुर हो उठे।
बाहर घंटी बजी। वह उठ कर सीधे बैठ गए। सोहम के तेज़ क़दमों से बढ़कर
बाहर का दरवाज़ा खोलने की आवाज़ आई।
आवाज़ों का एक जुलूस घर के अन्दर घुस आया। संजना और करण अपनी माँ को
लेकर लौटे होंगे? शायद सोहम ने तिया के पाँव छुए होंगे।
''ओह, माई गॉड!'' तिया की ही आवाज़ थी। वही उल्लास भरी। बच्चों जैसी
चहक, ज़िन्दादिल।
''कितना ख़ूबसूरत घर है मेरी बच्ची का?'' आवाज़ सुनाई दी। तिया ने शायद
ड्राइंग-रूम में बाहें फैला कर, चारों ओर घूमते हुए कहा होगा।
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गुरमीत बेदी का व्यंग्य
सारी खुदाई एक तरफ़
*
धारावाहिक में प्रभा
खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का दूसरा भाग
*
घर परिवार में अर्बुदा ओहरी से जानें
सुगंधित पत्तियों का संसार
*
फुलवारी में बबर शेर के विषय में
जानकारी,
शिशु गीत और
शिल्प
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पिछले सप्ताह
होली विशेषांक में
राजेंद्र त्यागी का व्यंग्य
होली, दो पाटन के बीच में हो ली
1
कपिलमुनि पंकज की कलम से
बौराया फागुन होली के रंग
* कला
दीर्घा में
होली आधुनिक कलाकारों की तूलिका
से
*
रसोईघर में होली के अवसर पर
होली के पकवान
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समकालीन कहानियों के
अंतर्गत
यू.एस.ए. से
इला प्रसाद की कहानी
होली
वेदिका
की आँखें ''साइन्टिफ़िक अमेरिकन'' के उस पन्ने पर ठहर-सी गई हैं - ''सीज्रोफ़ेनिया''
की मूल वजह फ्लू के कीटाणु हैं, जो गर्भावस्था के दौरान माँ के शरीर
से बच्चे के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं और परिणामत: बच्चा जन्म
से सिज्रोफ़ेनिया का रोगी हो सकता है।'' किसे बताए जाकर? वह तो उससे
इतनी दूर चली गई है अब, कि चाह कर भी वह उस तक नहीं पहुँच सकती। इतनी
खूबसूरत, इतना ज़हीन दिमाग और सीज्रोफ़ेनिया! ''आम तौर पर इस रोग के
रोगी असाधारण प्रतिभाशाली होते हैं। सिमी भी है। भाषा पर ग़ज़ब का
अधिकार। अंग्रेज़ी में इसके दो कविता-संग्रह मैकमिलन वालों ने छापे
हैं। खूब बिक रहे हैं।'' स्मिता ने जानकारी दी थी।
''तब भी, मुझे तो डर ही लगेगा इसके साथ होली खेलते हुए।'' वेदिका ने
हिचकते हुए कहा था।
''कमाल करती हैं आप? हम इसे एक सहज वातावरण देने की कोशिश कर रहे हैं
कि यह अपनी परेशानी भूल जाए और आप हैं कि....''
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अनुभूति
में-
जगदीश गुप्त, सजीवन मयंक, प्रो. महावीर सरन जैन, म्रता शुक्ला
क्रांति, श्यामसखा श्याम की नई
रचनाएँ |
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कलम गही नहिं
हाथ- होली का हुलास प्रवासियों को होली
के रंग में डुबो देता है। देखिए देखिए यकीन होता है कि यह फोटो दुबई का है? ..
आगे पढ़े |
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रसोई
सुझाव-
पालक को पकाते समय उसमें एक चुटकी चीनी मिला दी जाए तो उसका रंग
और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं। |
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नौ साल पहले-
१५ नवंबर २००० के अंक से अमेरिका में बसी भारतीय लेखिका उषा
प्रियंवदा
की कहानी वापसी |
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क्या आप जानते हैं?
कि गुझिया उत्तर भारत में होली के अवसर पर बनाई जाती है जब कि
दक्षिण भारत में दिवाली के अवसर पर। |
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शुक्रवार चौपाल-
आज चौपाल में होली मनाई जानी थी। सबसे पहले प्रकाश दिखाई पड़े, सफेद
कामदार कुर्ता, हाथ में जलेबियों का डब्बा... आगे
पढ़ें |
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सप्ताह का विचार- शारीरिक वीरता
एक पाशविक प्रवृत्ति है। मनुष्य की असली वीरता तो मानसिक और
नैतिक होती है। - अज्ञात |
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हास
परिहास |
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सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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