अभिव्यक्ति
में
विजयेन्द्र विज की
रचनाएँ
ग्राफिक
में
यह
तो कोई खेल न हुआ,
लावारिस,
शिशिर की शारिका,
अनन्य,
चीफ की दावत
इत्यादि अनेक कहानियों के आवरण ग्राफिक जिन्हें उनके
हस्ताक्षरों से पहचाना जा सकता है।
अनुभूति में कविताएँ
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विजेन्द्र विज
जन्म : २८ अगस्त १९७६ में, फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में
शिक्षा : बी.कॉम. तथा मल्टीमीडिया व एनीमेशन में डिप्लोमा।
विजयेन्द्र
नयी पीढ़ी के उभरते हुए ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने बहुत
थोड़े से ही समय में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति
दर्ज की है।
वे
पेन्सिल, तैल, पेस्टल और मिश्र माध्यम काम करते रहे हैं
लेकिन पिछले कुछ सालों से उन्होंने कंप्यूटर और डिजिटल
आर्ट के क्षेत्र में भारतीय कला को नया रूप और दिशा देने
का अदभुत काम किया हैं। आधुनिकता के क्षेत्र में भारतीय
परंपराओं का यह संतुलन उनकी कला को अनोखा सौंदर्य प्रदान
करता है। उन्होंने नारी, संगीतकार, नृत्य, फोटो सेशन, मां
और शिशु, पक्षी, रिश्ते, लड़की, भय, दीवानगी, आशा, अतृप्त
जीवन, अंतिम शताब्दी, अकेला मुसाफिर, शोषण, विश्राम, दर्द
इत्यादि विषयों पर श्रृखलाबद्ध काम करके अपनी प्रतिभा और
परिश्रम का परिचय दिया है।
यद्यपि तकनीकी तौर पर उन्होंने कला का प्रशिक्षण नहीं लिया
है लेकिन इलाहाबाद के संग्रहालय में उन्होंने रेखांकन का
अभ्यास किया है तथा प्रसिद्ध कलाकार बाल दत्त पांडे से से
भी उन्हें मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है, जिन्हें वे अपना
कलागुरू मानते हैं। विजयेन्द्र दिल्ली लखनऊ तथा इलाहाबाद
की कुछ प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुके हैं तथा अनेक
जालघरों पर उनकी कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी है। वे
अभिव्यक्ति की कहानियों के लिये चित्रांकन करते रहे हैं।
चित्रकला के साथ साथ वे संवेदनशील कवि और लेखक भी हैं। उनका
कहना है—
"कला मन की वह अभिव्यक्ति है जिससे यथार्थ की धारा फूटती है।
इस अभिव्यक्ति के अलग अलग माध्यम हैं। कला जहां एक ओर
सौन्दर्य का आयाम हैं, वहीं दूसरी तरफ चेतावनी का भी। वह
सहज ढंग से मन पर अपना असर छोड़ जाती है। साहित्यकार समाज
को शब्दों में अभिव्यक्त करता है और कलाकार रंगों को
सृजनात्मक रूप देकर बहुत कुछ अनकहा कहकर आगाह कर देता है।"
ई मेलः
vijendra.vij@gmail.com
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