कंप्यूटरीकृत हॉल-नुमा
प्रयोगशाला के एक कोने में दो जोड़ी आँखें लगातार एक स्क्रीन पर
जमी हुई थीं। उस सुपर कंप्यूटर की अंतर्निहित शक्ति अपने बगल
में स्थित एक सतरंगे ग्लोब-नुमा मशीन की जाँच करने में व्यस्त
थी। लगभग आठ फिट व्यास का वह सतरंगा ग्लोब अपने गर्भ में अनंत
संभावनाएँ छिपाए हुए था। उन्हीं संभावनाओं की तह तक पहुँचने
में व्यस्त था सुपर कंप्यूटर।
परिणाम की प्रतीक्षा में
गड्ढे में धँसी जा रही वे दो जोड़ी आँखें आकाश की तरह शांत थीं।
अबाध गति से धड़कते हृदय और अनियंत्रित गति से चलती साँसें भी
उनकी एकाग्रता को भंग करने में समर्थ न हो सकी थीं।
''देखा विजय, हम जीत गए।'' अगले ही क्षण प्रोफ़ेसर यासीन ने
हाल की निस्तब्धता तार–तार कर दी, ''समय की अबाध गति पर हमारे
'समय-यान' ने विजय हासिल कर ली। अब हम समय की सीमा को चीरकर
किसी भी काल, किसी भी समय में बड़ी आसानी से जा सकते हैं।''
वर्षों की शरीर झुलसा देने वाली कठिन तपस्या के फल को प्राप्त
होने से प्रोफ़ेसर के सूख चुके शरीर में चमक आ गई थी। इस महान
सफलता से उत्पन्न प्रसन्नता को वे सँभाल नहीं पा रहे थे।
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