सात बातें जिनके लिये झिझक नहीं होनी चाहिये
कुछ उपयोगी सुझाव (संकलित)
५- अपने विचार प्रकट करने में-
अक्सर महिलाएँ अपने विचारों को प्रकट नहीं करती हैं। इसके
कई कारण होते हैं, कभी यह शर्म कि कहीं उनकी राय को गलत न
समझा जाए, कभी यह संकोच कि लोग मेरे विषय में क्या
सोचेंगे, कभी यह भय कि उनके विचार का उपहास न उड़ाया जाय।
परिवार या समाज में अनेक लोगों के अनेक विषयों में अलग अलग
विचार होते हैं। इसलिये अपने विचार प्रकट करने में कोई झिझक नहीं होनी
चाहिये। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिये कि अपना विचार
प्रकट करते समय कोई जिद या अहंकार जैसा भाव न हो। अगर
विचार सबके लिये अच्छा हो तो लोग उसका पालन करने में संकोच
नहीं करते। इसलिये अपने विचारों को विनम्रता से प्रकट
करें। दूसरे उससे सहमत न हों या आपको बहुमत न मिले तो भी
निराश या नाराज नहीं होना चाहिये। आखिर जिनका बहुमत नहीं
होता उन्हें भी अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है। अपनी
जानकारी को ताजा रखें और विनम्रता पूर्वक परिवार या समाज
में अपने विचार रखें फिर ये विचार चाहें आपकी पढ़ाई
कार्यक्षेत्र प्रेम या विवाह जैसे विषयों पर हों या फिर
राजनीति-प्रशासन के विषय में। घुट घुट कर जीने से अच्छा है
अपने विचारों को प्रकट करना। (अगले अंक
में एक और सुझाव)
१९ मई १९१४
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