इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
1
विजयदशमी की विजय भावना को समर्पित, अनेक रचनाकारों द्वारा रची,
ढेर-सी प्रेरक रचनाएँ। |
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घर परिवार में |
रसोईघर में-
नवरात्र के अवसर पर
व्रत के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं-
फलाहारी व्यंजन। |
सौंदर्य सुझाव --
चेहरे, हाथों और पैरों पर थोड़ा सा एरंड तैल (कैस्टर ऑयल) लगा कर
हल्की मालिश करने से झुर्रियाँ दूर होती हैं। |
संस्कृति की पाठशाला- रामायण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि थाइलैंड में भी पढ़ी
जाती है। थाइलैंड में पढ़ी जाने वाली रामायण का नाम ‘रामाकिन’ है। |
क्या आप जानते हैं?
कि घर घर में गाई जाने वाली आरती ओम
जय जगदीश हरे के रचयिता का नाम पं. श्रद्धाराम शर्मा है। |
- रचना और मनोरंजन में |
गौरवशाली भारतीय- क्या आप जानते हैं
कि अक्टूबर के महीने में कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म
लिया? ...विस्तार से
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सप्ताह का विचार- त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहाँ भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं।
- बरुआ |
वर्ग
पहेली-३४२
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से |
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हास परिहास में
पाठकों
द्वारा
भेजे गए चुटकुले |
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साहित्य और संस्कृति-
विजयदशमी विशेषांक में- |
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है यू.एस.ए. से
इला प्रसाद की कहानी-
कुंठा
यामिनी
खुश थी, बेहद! बावजूद इसके कि हॉल में घुसते ही वह उस औरत से
टकराई थी, जिसके वहाँ होने का उसे गुमान तक न था। हालांकि होना
चाहिए था, क्योंकि इस शहर का भारतीय समुदाय इतना भी बड़ा नहीं!
फिर वह उसी की तरह गुजराती है। दरअसल कुछ लोग इतने गैर जरूरी
होते हैं आपकी जिन्दगी में कि स्मृति से उस अल्पकालिक मुलाकात
के तत्काल बाद बाहर हो जाते हैं जो ऐसी ही किन्हीं
परिस्थितियों में होती है। फिर यामिनी के मष्तिष्क ने तो उसे
सोच- समझकर खारिज किया था कुछ अल्पकालिक मुलाकातों के बाद।
पहली बार जब उसने अन्विता और वशिष्ठ को देखा था, तो उसे
बिल्कुल ही अन्दाजा न था कि वह एक पिछले आकाश के सितारे से मिल
रही है। रवि ने ही पहचाना और परिचय कराया -''इन्हें मिलो, ये
हैं अन्विता, कभी हौकी के मैदान में दिखाई पड़ती थीं। आजकल
अमेरिका में वशिष्ठ के घर की शोभा बढ़ा रही हैं।'' इन मामलों
में यामिनी की याददाश्त हमेशा अच्छी रही है,
आगे...
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मुक्ता पाठक की कलम से
पुराण कथा-
विजयदशमी
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परिचयदास का निबंध-
राम-रावण का अपराजेय समर
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डॉ. शरद सिंह से पर्व
परिचय में-
बुंदेली दशहरे की रोचक परंपराएँ
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पुनर्पाठ में डॉ. अरुणप्रकाश अवस्थी
का संस्मरण-
मौरावां की रामलीला जहाँ रावण कभी नहीं मरता
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पुराने अंकों से- |
अरुण अर्णव खरे का व्यंग्य
पी राधा और
मैं
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प्रेरणा गुप्ता की
लघुकथा
महके यों ही
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प्रकृति और पर्यावरण में
संकलित आलेख-
रजनीगंधा फूल
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शशि पाधा का संस्मरण
मंद बयार
में खनकती हँसी- पद्मा सचदेव
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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है आस्ट्रेलिया से
रेखा राजवंशी की कहानी
तुम्हारे लिये
तारा
बिस्तर में करवटें बदल रही थी। जैसे-जैसे रात गहरा रही थी
वैसे-वैसे तारा के मन की बेचैनी बढ़ रही थी। मौसम ठीक नहीं था,
सर्दी के मौसम में यहाँ बारिश भी हो जाती है और वैसे भी इस साल
वेट विंटर्स चल रहीं है। तीन चार दिन बरसात होती है और फिर
खुली धूप निकल आती है। इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में कोविड की
दूसरी वेव चल रही है। डेल्टा वैरिएँट के कुछ मामले सामने आए
हैं और यह ज़्यादा खतरनाक है।
अब तक चार राज्यों में लॉक डाउन
चल रहा है। तारा को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। ऐसी स्थिति
में न भारत वापस जाया जा सकता है, न सिडनी में ठीक से रहा जा
सकता है। न घर से बाहर निकलना संभव है और न घर में इस तरह बंद
होके रहना अच्छा लग रहा है। जब तक पढ़ रही थी तब तक मन लग रहा
था और अब एम फिल की पढ़ाई शुरू होने में अभी...
आगे... |
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