पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE HELP / पता-


२३. ८. २०१०

सप्ताह का विचार- खुद के लिये जीनेवाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख लेते हैं तो वे आपके लिये जीते हैं। - योगानंद

अनुभूति में-
अवनीश सिंह चौहान, डॉ. गौतम सचदेव, रेखा मैत्रा, जयजयराम आनंद और राजेन्द्र नागदेव की  रचनाएँ।

सामयिकी में- शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का शंखनाद करती "शिक्षांतर" के विषय में रामस्वरूप रावतसरे का आलेख-शिक्षांतर’ बनाती शिक्षा को बेहतर।

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव- नारियल को कसकर निकाले गए ताज़े दूध को चेहरे पर लगाने से त्वचा स्वस्थ व आकर्षक बनती है।

पुनर्पाठ में- विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरव गाथा के अंतर्गत १ फरवरी २००२ को प्रकाशित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी - 'पद्मा और लिली'

क्या आप जानते हैं? कि जयपुर में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय द्वारा १७२४ में निर्मित जंतर मंतर विश्व की सबसे बड़ी पत्थर निर्मित वेधशाला है।

शुक्रवार चौपाल- इस सप्ताह स्वदेश दीपक के नाटक कोर्ट मार्शल का पाठ होना था। चौपाल के प्रारंभ में नाट्य शास्त्र और भारतीय साहित्य आगे पढ़ें...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-९ के नवगीतों पर आशा है कोई न कोई विशेषज्ञ की टिप्पणी मिलेगी जो सदस्यों के लिये ज्ञानवर्धक सिद्ध होगी।


हास परिहास


सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में भारत से
मन्नू भंडारी की कहानी सयानी बुआ

फैजाबाद की ओर जाने वाली किसान एक्सप्रेस रद्द थी। इसके सब पर मानो बुआजी का व्यक्तित्व हावी है। सारा काम वहाँ इतनी व्यवस्था से होता जैसे सब मशीनें हों, जो कायदे में बँधीं, बिना रुकावट अपना काम किए चली जा रही हैं। ठीक पाँच बजे सब लोग उठ जाते, फिर एक घंटा बाहर मैदान में टहलना होता, उसके बाद चाय-दूध होता। उसके बाद अन्नू को पढने के लिए बैठना होता। भाई साहब भी तब अखबार और ऑफिस की फाइलें आदि देखा करते। नौ बजते ही नहाना शुरू होता। जो कपडे बुआजी निकाल दें, वही पहनने होते। फिर कायदे से आकर मेज पर बैठ जाओ और खाकर काम पर जाओ। सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, सो तो मैं आज भी नहीं जानती, पर इतना अवश्य कहूँगी कि जिसने भी उनका यह नाम रखा, वह नामकरण विद्या का...पूरी कहानी पढ़ें।
*

अशोक गीते का व्यंग्य
रिश्वतऽमृतमश्नुते
*

सुबोध कुमार नन्‍दन का आलेख
बैजनाथधाम का श्रावणी मेला

*

कला दीर्घा में प्रभु जोशी की कलम से
राजा रवि वर्मा का कला संसार

*

मनोहर पुरी के शब्दों में
प्यारा सा बंधन रक्षाबंधन

पिछले सप्ताह

बलराम अग्रवाल की लघुकथा
गुलमोहर
*

तुलसी जयंती के अवसर पर
संकलित आलेख- हुलसी के तुलसी
*

मजीद अहमद का निबंध
तुलसीदास की प्रथम रचना- राम लला नहछू

*

डॉ.अनुराग विजयवर्गीय से जानें
तुलसी का महत्त्व

*

समकालीन कहानियों में भारत से
सुकेश साहनी की कहानी पुल

फैजाबाद की ओर जाने वाली किसान एक्सप्रेस रद्द थी। इसके बावजूद इलाहाबाद पैसेंजर में, जिसे हम प्यार से लढ़िया कहते थे, अधिक भीड़ नहीं थी। घर से चलते समय हमें इस बात का कतई अनुमान नहीं था कि राजनीतिक हो–हल्ले का इतना अधिक असर दिखाई देगा। बहुत से लोगों ने आज एहतियातन अपनी यात्राएँ स्थगित रखी थीं। हमारे डिब्बे में डेली पैसेंजर अधिक थे। माहौल भी रोज जैसा ही था। कुछ पैसेंजर ऊपर वाली सीट पर चढ़कर सो गए थे, कुछ अखबार पढ़ रहे थे और कुछ ताश में मशगूल थे। प्रभात अपनी आदत के मुताबिक किसी पत्रिका के पन्नों में डूबे हुए थे। डेली पैसेंजरी के मामले में वे मेरे गुरु थे। उन्हें इस रूट पर चलते हुए दस वर्ष हो गए थे ;जबकि मेरा यह तीसरा साल था। उनके गम्भीर स्वभाव के चलते...पूरी कहानी पढ़ें।

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए फ़ेसबुक पर अभिव्यक्ति समूह के
सदस्य और अभिव्यक्ति अनुभूति के प्रशंसक बनें। यह निःशुल्क है।
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०