इस
सप्ताह-
समकालीन कहानी के अंतर्गत
भारत से
सुदर्शन रत्नाकर की कहानी
मृगतृष्णा
जीवन
में पहली बार वह अपनी आशाओं, इच्छाओं की पोटली बाँधे हवाई
जहाज़ में सवार हुए। पूरी यात्रा में वह बच्चों की तरह चहकते
रहे। वह सब कुछ अपने अंदर समेट लेना चाहते थे। व्योम में
उड़ते, तैरते बादलों को पास से देखते रहे थे, लेकिन नदियाँ,
पहाड़ उनकी पहुँच से अभी भी दूर थे। चौबीस घंटे की यात्रा के
पश्चात वह न्यूयार्क पहुँचे। अभिमन्यु उन्हें लेने पहुँचा हुआ
था। कार में बैठे उन्होंने चारों ओर दृष्टि दौड़ाई। नभ छूती
ऊँची अट्टालिकाएँ, सड़क पर भागती कारें, रोशनियों में नहाया पूरा
शहर। यह सारा दृश्य उन्हें चकाचौंध कर देने वाला था। घर पहुँचे तो स्मिता और बच्चे
उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। बच्चे दादा–दादा कहते भागकर उनके
गले लग गए। वह भावविह्वल हो उठे।
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आशीष अग्रवाल का रेखा चित्र
चुनाव में हार
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हृषिकेश सुलभ का मंच
चिंतन
सूत्रधार की रंगछवियाँ
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शांति जैन का निबंध
चैत मास का विशेष गीत चैती
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स्वाद और स्वास्थ्य में अंजीर से परिचय
अनोखे अंजीर
1
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पिछले सप्ताह
मनोहर पुरी हास्य व्यंग्य के साथ करवा रहे हैं
पुस्तक मेले में लोकार्पण
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प्रकृति और पर्यावरण में महेश परिमल का आलेख
पानी रे पानी
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कलादीर्घा में
होली पारंपरिक कलाकृतियों में
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समकालीन कहानी के अंतर्गत
यू.के.
से
उषा राजे की कहानी
मेरा
अपराध
क्या था
मुझे
पापा के सामने जाने की सख़्त मनाही थी। मैं अपना बिस्तर उन दिनों
दुछत्ती में लगा लेती। स्कूल से
आते ही मैं रसोई के वर्क-टाप पर रखे सैंडविच का पैकेट और पानी
की बोतल उठा चूहे की तरह ख़ामोश, लटकने वाली सीढियाँ चढ़
दुछत्ती
में पहुँच, ट्रैप-डोर बंद कर लेती। दुछत्ती में रहना मुझे कोई
बुरा नहीं लगता था। वह मेरे अकेलेपन को रास आता। उन दिनों मैं
वहाँ अपनी एक अलग दुनिया बसा लेती। एटिक में दुनिया भर के अजूबे
और ग़ैर-ज़रूरी पुराने सामान ठुसे हुए थे। इन सामानों से
खेलना, और उन्हें इधर-उधर सजा-सँवार कर रखना मुझे अच्छा लगता
था।
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देश विदेश के साहित्य समाचारों में
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जगदीप सिंह दांगी
पुरस्कृत,
डॉ. रमा द्विवेदी और
शरद तैलंग सम्मानित,
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भारतीय उच्चायोग,
लंदन द्वारा सम्मान घोषित
तथा मध्य-प्रदेश लेखक संघ
द्वारा विभिन्न सम्मानों के लिए प्रस्ताव आहूत,
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साहित्य अकादमी, दिल्ली के
कथा-संधि कार्यक्रम में एस आर हरनोट का कहानी पाठ और
'क्षण के घेरे में घिरा
नहीं' का लोकार्पण
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अनुभूति में-
रामेश्वर शुक्ल अंचल, अवतंस
कुमार, दीपिका ओझल, प्रेम रंजन अनिमेष, सुशील कुमार पाटियाल,
मधुकर पांडेय की रचनाएँ |
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कलम
गही नहिं हाथ
अरबी घोड़ों का बड़ा नाम और
बड़ी शान है पर अरबी ऊँटों की शान से उनका कोई मुकाबला नहीं। इसको
समझने के लिए इमारात की ऊँट-दौड़ देखना ज़रूरी है। यहाँ के राज परिवार
और रईसज़ादे इस खेल को बड़ी रुचि से खेलते हैं। घोड़ों के रेसकोर्स
की तरह ऊँटों के भी रेसकोर्स होते हैं पर घोड़ों की तरह उनके सवार
इंसान नहीं होते। इनके जॉकी होते हैं
हाईटेक रोबोट। ये रोबोट एक छोटे
बच्चे जैसे दिखाई देते हैं और कोड़ा चलाते हुए चिल्लाकर ऊँट को दिशा
निर्देश देते हैं। रोबोट का रिमोट होता है मालिकों के हाथ में। जिन
दीर्घाओं (लेन) में ऊँट दौड़ते है वे कच्ची होती हैं, पर उसके साथ ही
एक चौड़ी पक्की दीर्घा भी बनाई जाती है जिस पर ऊँट मालिकों की कारें
ऊँटों के साथ-साथ दौड़ती हैं। एक कार में आमतौर पर दो व्यक्ति होते
हैं। एक जो कार चलाता है और दूसरा जो रिमोट संचालित करता है। क्या
दृश्य होता है! एक गली में ऊँट रेस तो तो दूसरी गली में कार रेस और
वह भी एक दूसरे के साथ संतुलन साधती हुई। दौड़ में प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले विजयी ऊँटों को
तुरंत सम्मानित किया जाता है उनके सिर और गले पर केसर का लेप लगाकर।
इस प्रकार के लाल सिर वाले ऊँट की विशेष कार को जब अरबी अपनी फ़ोर
व्हील ड्राइव से जोड़ कर घर लौटता है तो लोग उसे मुड़ मुड़ कर देखते
हैं। तब उसकी शान देखते ही बनती है।
-पूर्णिमा वर्मन (टीम अभिव्यक्ति)
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क्या
आप जानते हैं?
चंदबरदाई को हिंदी का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिंदी
की पहली रचना होने का गौरव प्राप्त है। |
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सप्ताह का विचार
ऐश्वर्य के मद से मस्त व्यक्ति
ऐश्वर्य के भ्रष्ट होने तक प्रकाश में नहीं आता।
-मुक्ता |
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