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पर्व पंचांग २५. २. २००

इस प्ताह
समकालीन कहानी के अंतर्गत
यू.के. से ज़किया ज़ुबैरी की कहानी मारिया
मार्था भी जिधर को कदम उठे चल दी। कुछ अंदाज़ा ही नहीं था कि किधर जा रही है। पतली-सी एक पगडंडी थी जिसके दोनों ओर शाह-बलूत के पेड़ अपने हरे-हरे पत्तों से मुक्ति पा चुके थे। काली-काली शाख़ें लिए नंग धड़ंग, लजाए-लजाए, शर्मिंदा-शर्मिंदा से खड़े थे। पीले और आग के रंग में रंगे हुए पत्ते मार्था के कदमों के नीचे दब-दब कर ऐसे कराह रहे थे जैसे किसी बच्चे का गला घोंटा जा रहा हो। जो हाथ बढ़ा-बढ़ा कर सहायता माँग रहा हो, गिड़गिड़ा कर प्रार्थना कर रहा हो कि मुझे बचाओ, मुझे बचाओ। मेरा क्या कुसूर है? मैंने क्या अपराध किया है? मुझे किस बात की सज़ा दी जा रही है? मार्था घबरा कर तेज़-तेज़ और लंबे-लंबे कदम उठाने लगी, किंतु आवाज़ भी वैसी ही तेज़ होती चली गई। मार्था का गला रुँध गया।

*

सप्ताह का विचार
ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।
-- हितोपदेश

 

डॉ. फ़कीरचंद शुक्ला का व्यंग्य
तुम्हारी कसम डार्लिंग

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कलादीर्घा में कला और कलाकार के अंतर्गत
अमृता शेरगिल

*

प्रौद्योगिकी में रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
फिर अटक गया कंप्यूटर

क्या आप जानते हैं?
यदि आप ध्वनि की गति से तेज़ चलने वाले विमान
कांकॉर्ड में लंदन से न्यूयॉर्क के लिए चलें तो वहाँ उस समय से भी दो घंटे पहले पहुँच जाएँगे जब आप चले थे।

साहित्य समाचारों में

 

अनुभूति में- अनूप अशेष, प्रमोद कुमार कुश 'तनहा', निर्मल गुप्त, हरि जोशी और हरेराम समीप की रचनाएँ

कलम गही नहिं हाथ
   अभिव्यक्ति और अनुभूति का 17 मार्च का अंक होली विशेषांक होगा। इस अंक के लिए कविता, कहानी, व्यंग्य, संस्मरण, लेख तथा निबंध आमंत्रित किए जाते हैं। प्रकाशित रचनाओं पर मानदेय की व्यवस्था है, जिसे भारत में किसी भी स्थान पर भेजा जा सकेगा।
  
ये रचनाएँ मौलिक तथा अप्रकाशित होनी चाहिए। इन्हें किसी भी पत्र-पत्रिका, या वेब साइट अथवा ब्लॉग पर पहले प्रकाशित नहीं होना चाहिए। यदि बाद में यह पता चला कि रचना मौलिक नहीं थी या पहले प्रकाशित हो चुकी थी तो मानदेय की धनराशि का भुगतान रोका जा सकता है। यदि भुगतान कर देने के बाद इनके पूर्व प्रकाशित होने की जानकारी मिलती है तो भविष्य में उस कवि लेखक की रचनाओं का प्रकाशन अभिव्यक्ति व अनुभूति में हमेशा के लिए रोका जा सकता है।
   रचनाओं को यूनिकोड फॉन्ट में एम. एस. वर्ड फ़ाइल में टंकित कर,  ईमेल के साथ संलग्न कर 10 मार्च से पहले भेज दिया जाना चाहिए।
पता है-
 -पूर्णिमा वर्मन (टीम अभिव्यक्ति)

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

 

 

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