इस
सप्ताह-
समकालीन कहानियों में
यू.के. से उषा वर्मा की कहानी
फ़ायदे का सौदा
इस
शहर में आए हुए मुझे यही कोई चार-पाँच महीने हुए थे। अभी इस शहर के
रास्ते मेरे लिए अपरिचित ही थे। सुबह उठ कर घूमने जाने के दुहरे फ़ायदे
को सोचते हुए मुझे लगा कि एक रास्ते पर बार-बार न जा कर अक्सर नए-नए
रास्ते देख कर जाने में अच्छा रहेगा, इससे आसपास की जगहों से और रास्तों
से मेरा परिचय हो जाएगा। एक सुबह कुत्ते के साथ घूमने वाली एक महिला ने
हैलो कहते ही मुझसे पूछा, ''क्या इस शहर में नई आई हो।'' मैंने मुस्कराते
हुए कहा, ''जी हाँ, अभी यही कोई चार महीने हुए होंगे। रोज़ ही टहलने
निकलती हूँ, मेरा नाम अंजू है। इधर ही मेरा घर है नंबर आठ, आप आइए न।''
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हास्य-व्यंग्य में
अविनाश वाचस्पति दे रहे हैं बैटरी चार्ज करने को दिल उधार
वैज्ञानिकों
की मानें तो अब दिल सिर्फ़ दिल ही नहीं, बिजली हाउस के रूप में भी उपयोगी
होने वाला है। ये बिजली बनाएगा और करंट भी मारेगा। इस पर मेरे एक मित्र
की प्रतिक्रिया थी कि इस में नई बात क्या है, दिल तो खून को पंप करके
जीवन को पहले से ही चार्ज कर रहा है। खून में करंट की शक्ति जीवन में
जीने की ताक़त का संचार कर रही है। प्रेमी प्रेमिका दिल की ताक़त के
बलबूते ज़माने भर से लड़ जाते हैं। इसके कारनामों ने न जाने कितने गीगा
बाईट का स्पेस कब्ज़ाया हुआ है। दिल तो आख़िर दिल है ना? आज सबसे अधिक
ज़रूरत मोबाइल चार्जर की होती है और दिल उसी को चार्ज करेगा। अब मोबाइल
चार्जर लेकर घूमने के दिल लद गए।
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घर परिवार में
अर्बुदा ओहरी ढूँढ रही हैं चैन की नींद
सत्यानाश
हो मशीनीकरण का, औद्योगीकरण का, लाइट बल्ब का, जिनकी वजह से हमारी नींद
कोसों दूर भागती जा रही है। जितना हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान हो
रही है हमारी नींद में कटौती भी उसी दर से हो रही है। काम का बोझ, ऑफ़िस
में अपनी पोज़ीशन बनाए रखने के लिए मेहनत और इन सभी से ज़्यादा हाय बस आज
नींद ठीक से आ जाय इस चिंता ने हमारी ज़िंदगी उलझा दी है। वैसे भी नींद
बिना चैन कहाँ रे। अमेरिका में हुए एक सर्वे के अनुसार 38 प्रतिशत वयस्क
जितना सुकून से पाँच साल पहले सो पाते थे अब नहीं सोते। यहाँ तक कि कुछ
प्रतिशत लोग सप्ताह में इक्का दुक्का रात ही ठीक से सो पाते हैं।
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रसोईघर में
शाकाहारी मुग़लई के अंतर्गत
नवरतन
क़ोरमा
क़ोरमा
ऐसी व्यंजन विधि है जिसमें सब्ज़ियों को बिना पानी के बिलकुल धीमी आँच पर
पकाया जाता है। असली मुगलई नवरतन क़ोरमा में सभी सब्ज़ियाँ अलग अलग पकाई जाती
हैं और अलग ही रखी जाती हैं ताकि उनके स्वाद, रंग और गंध का अपना व्यक्तित्व
आपस में घुल न जाय। शोरबा अलग तैयार किया जाता है। जिसमें गाढ़ापन लाने के
लिए कसा हुआ दानेदार पनीर और रंग के लिए कश्मीरी लाल मिर्च को मिलाया जाता
है। परोसते समय सब्ज़ियों को फैले हुए बर्तन में अलग-अलग रखकर ऊपर से यह
शोरबा डाला जाता है। इस नवरतन क़ोरमे की तारीफ़ यह है कि इससे रोटी के जितने
निवाले बनाएँगे हर बार नया स्वाद पाएँगे।
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फुलवारी में
बच्चों के लिए
भावना कुँअर की पद्य-कथा चूहे
भाई
ढूँढ़
कहीं से लाए रज़ाई, छिपकर बैठे चूहे भाई।
बाहर गिरे बर्फ़ के गोले, मुश्किल से थी जान बचाई।
आई मटकती चुहिया रानी, भोजन की करती तैयारी।
बोली भूख लगी है भारी, ले आओ तुम फल-तरकारी।
उठकर दौड़े चूहे भाई, अब तो शामत ही है आई।
लानी होगी फल-तरकारी, वरना मार पड़ेगी भारी।
लेकर थैला जब वो निकले, पड़ी बर्फ़ पर ऐसे फिसले।
पहुँचे बिल्ली के आँगन में, अटकी जान काँपते तन में। |