बिरियानी की ख़ुशबू
मे डूबा- हैदराबाद
नीरज त्रिपाठी
डरता हूँ कि कभी ऐसा न हो कि
कोई आंध्र प्रदेश की राजधानी पूछे और मेरे मुँह से अनायास
ही निकल जाए बिरियानी। अब बिरियानी होती ही इतनी स्वादिष्ट
है कि क्या कहें, जहाँ सुना बिरियानी, मुँह में आया पानी।
इस पर भी मेरा ये लेख पढ़कर आपको बिरियानी की खुशबू न आए तो
ये मेरे लेखन का कच्चापन है बिरियानी के स्वाद का नहीं।
हैदराबाद में रहते-रहते कई बार मैंने महसूस किया कि मुझे
इस शहर से प्यार हो गया है। एक बेहद साफ़-सुथरा शहर जो
तकनीकी क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू रहा है और साथ ही
अपनी शाही और निज़ामी पहचान को बचाए रखने में भी कामयाब
रहा है। चलिए हैदराबाद भ्रमण की
शुरुआत करते हैं चार सौ साल से हैदराबाद को फलते फूलते देख
रही चारमीनार से। दिन में चारमीनार के ऊपर जाकर मक्का
मस्जिद, गोल कुंडा किला, शहर के नज़ारे और शाम को रोशनी में
चारमीनार को देखते-देखते पता ही नहीं चलता कि कब हमारा मन
इतिहास में चला जाता है। चारमीनार के पास लाख
बाज़ार में रंग बिरंगी चूड़ियों की दुकानें, कभी ग़लती से
भी किसी महिला के साथ वहाँ न जाएँ नहीं तो जेब के वारेन्यारे हो जाएँगे, चूड़ी बाज़ार में चूड़ियाँ इतनी प्यारी
कि पुरुष भी पहनने को लालायित हो जाएँ। ख़रीददारी के मामले में
कोटी की बाज़ार ऐसी जगह है जहाँ जो चाहो मिलेगा, पायदान से
वाशिंग मशीन तक, लेकिन वहाँ तभी जाओ जब दुकानदार पाँच सौ
कहे और सौ रुपए में माँगने पर भी आपकी आवाज़ न थरथराए।
चलिए इतिहास में थोड़ा और
झाँका जाए, चलते हैं गोल कुंडा क़िले की ओर। ऐसी बनावट कि
मुख्य द्वार पर ताली बजाओ तो सबसे ऊपर तक आवाज़ जाती है।
हम भी अपने कुछ दोस्तों के साथ गए और ताली की जगह
सीटी बजाई। यहीं पीछे है हौज कटोरा जहाँ रानियाँ नाव में
बैठे-बैठे स्नान करती थीं। हम वहाँ भी गए लेकिन कृपा
हो प्रदूषण देव की, हमें वहाँ भैंसें नहाती मिलीं। सात
किलोमीटर की परिधि में बना ये गोलकोंडा किला निशानी है सात
जनम के प्यार के वादों का जो राजकुमार ने किए थे ये अपने
प्रेमिका से। आगे की पूरी कहानी जानने के लिए कभी आएँ और
मज़ा लें लाइट एंड साउंड शो का और ढेर सी दिलचस्प बातों के
साथ।
सलारजंग म्यूज़ियम में
रखी तरह-तरह की मूर्तियाँ, हाथी-दाँत की बनी चीज़ें, सजावट
के सामान, हथियार और संगीतमय घड़ी देख लोग दाँतों तले
उँगलियाँ दबा लेते हैं और बिना दाँत वाले बुज़ुर्ग मसूढे
तले। अगर ये देखना है कि नकली
को असली कैसे बनाते हैं तो चल पड़िए रामोजी फ़िल्म सिटी की
ओर।
फ़िल्म सिटी जाने का मतलब है पूरा दिन किसी और ही दुनिया
में बिताना और फिर क्या पता कि किसी निर्देशक को खलनायक की
ज़रूरत हो और नज़र आप पर आ रुके। फ़िल्म सिटी में आप
ऐसा मंदिर पाएँगे जहाँ भगवान नहीं है। फ़िल्म के निर्देशक
जब शूटिंग के लिए आते हैं तो अपनी पसंद के भगवान लेकर आते
हैं और शूटिंग ख़त्म होते ही भगवान को लेकर चले जाते हैं।
यहीं एक पार्क है साड़ी पार्क, कहते हैं कि अभिनेत्री जिस
रंग की साड़ी पहनती है उसी रंग के फूलों से सजा देते हैं
पार्क को, लेकिन इस पार्क में शूटिंग काफ़ी दिनों से नहीं
हुई क्यों कि अभिनेत्रियों ने साड़ी पहननी बंद कर दी हैं।
हैदराबाद के थ्री सीटर
में सात और सेवेन सीटर ऑटों में बारह सवारियों को देख किसी
बाहरी व्यक्ति को ये किसी सर्कस से कम नहीं लगेगा लेकिन यहाँ यह
मामूली बात है। हैदराबाद आए और हुसैन सागर न गए तो ये किसी
अपराध से कम नहीं होगा। गोल-गोल हुसैन सागर के चारों ओर
बनी सड़क पर जलती स्ट्रीट लाइट माला की तरह लगती हैं
इसीलिए इस सड़क को नेकलेस रोड कहते हैं। बहुत कुछ है
घूमने टहलने का नेकलेस रोड के आस-पास। बिड़ला मंदिर में
ऊपर बैठकर शाम को शहर देखना मन को अजीब-सा सुकून देता है।
यहीं बना है प्रसाद मल्टीप्लेक्स जहाँ फ़िल्मों के शौकीन
मज़ा ले सकते हैं और फिर लुंबिनी पार्क के लेज़र शो का
आनंद उठाते हुए नाव से निकल पड़िए हुसैन सागर के बीच खड़े
बुद्ध भगवान से बतियाने के लिए। वहीं पास में बने राम
कृष्ण मठ के ध्यान कक्ष में दिव्यता का अनुभव कभी भी किया
जा सकता है। उसी के पड़ोस में है स्नो वर्ल्ड जिसमें गर्मी
के मौसम में अंदर पूरी बर्फ़ जमी रहती है। बाहर कितनी गर्मी है अंदर
कितनी सर्दी है। लेकिन इस सर्दी गर्मी का लुत्फ़ उठाने के
लिए जेब में गर्मी होनी चाहिए। घूमते-घूमते थक गए हों तो
पेट पूजा कर सकते हैं हुसैन सागर के किनारे ईट स्ट्रीट
में। मस्त-मस्त ताज़ी बहती हवा में खाने का मज़ा लीजिए
सुहावने नज़ारे के साथ।
हैदराबाद में उर्दू को
बबल गम की तरह जिसने जितना चाहा खींचा, खींचा, थोड़ा और
खींचा। मिठास के मामले में अगर शहद और उर्दू में तुलना
करेंगे तो उर्दू ज़्यादा मीठी निकलेगी। लेकिन हैदराबाद की
खिंची हुई उर्दू? यही मनाता हूँ कि किसी के साथ ऐसा बुरा न
हो जो यहाँ उर्दू के साथ हुआ, बोलचाल की हिंदी की भी तबीयत ख़राब है। वहीं अगर बात करें साहित्यिक गतिविधियों
की तो इतनी गोष्ठियाँ इतने कवि सम्मेलन और हिंदी से जुड़ा
जितना कार्य दक्षिण के इस शहर में हो रहा है वो उत्तर में
भी बहुत कम जगहों पर मिलेगा।
हैदराबाद में लड़कियाँ एक
ही फैशन करती हैं और वो हे बालों में फूल लगाने का।
अजीब-सी सादगी है लड़कियों में और लड़के सादगी में
लड़कियों से भी दस कदम आगे। पान, तंबाकू, सिगरेट थोड़ा कम
ही पसंद करते हैं लोग, हाँ दारू बह जाती है कभी-कभी
अरमानों और भावनाओं के साथ। जगह-जगह बड़ी-बड़ी
इमारतें बन रहीं हैं चट्टानों को तोड़कर। प्रकृति से प्यार
करने वालों को ये कुछ रास नहीं आ रहा है। पढ़ाई के क्षेत्र
में भी हैदराबाद दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति पर है। नया
आई.आई.टी. खुल रहा है। आई. एस. बी., आई. आई.आई.टी., इक्काई,
निफ्ट जैसे कॉलेज पहले से ही देश भर के दिमाग़ी शैतानों को
आकर्षित करते रहे हैं। यहीं है २२००
एकड़ में बना हैदराबाद विश्वविद्यालय जहाँ से ढेरों दिग्गज
निकले जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में नाम रोशन किया।
जहाँ इतने दिग्गज निकले वहाँ दो चार हमारे जैसे भी तर गए।
मैंने अपनी एम. सी. ए. की डिग्री हैदराबाद विश्वविद्यालय से
पूरी की।
शहर में आप जगह-जगह ईरानी
चाय बिकती पाएँगे। कहते हैं इतनी महारत है यहाँ कि लोग
ईरान से भी हैदराबाद ईरानी चाय पीने आ जाते हैं। लगता है
थोड़ा ज़्यादा हो गया, लेकिन ईरानी चाय वास्तव में
ज़बरदस्त होती है। जी.पुल्ला रेड्डी की
मिठाई की दुकानें शहर में कहीं न कहीं तो आपको अपने पास
बुला ही लेंगी। आलमंडस हाउस की मिठाई खाकर भी बातों में
मिठास आ जाती है। तेलुगु नव वर्ष उगादी के
अवसर पर अलग ही मस्ती दिखती है यहाँ के लोगों में। ढेरों
पकवान बनाए जाते हैं और बड़े प्यार से मिलते हैं लोग
एक-दूसरे से। नामपल्ली स्टेशन के पास
मोखमजाह रोड़ पर आइस क्रीम की बहुत मशहूर दुकान है। मैं जब
पहले बार गया तो ग़लत दुकान में चला गया था। मेरे दिमाग़
में गाना बजने लगा गोलमाल है भाई सब गोलमाल है। बाद में
सही दुकान पर गया तो लगा कि कुछ तो है इस आइसक्रीम में जो
इतनी मशहूर है। वहीं है कराची बेकरी जिसके बिस्कुट का
स्वाद बयाँ नहीं किया जा सकता, उसे तो कभी मौका मिले तो
खाकर देखिए।
अब और क्या लिखें... हैदराबाद में भी रात को एक चाँद निकलता है और दिन में एक
सूरज, तारे गिनने का समय नहीं मिल पाया। कभी भी आएँ और सैर
करें इस निराले शहर की जो किसी को भी बाँहें पसार कर दिल
खोल कर अपनापन देने को हमेशा तैयार रहता है। |