इस अंक में-
कहानियों में
मोहन राकेश की कहानी
आर्द्रा
बिन्नी न रात को घर
आया था न सुबह से अब तक उसने दर्शन दिये थे। इस लड़के की वजह से ही वह
परदेस में पड़ी हुई थी जहां न कोई उसकी जबान समझता था न वह किसी की
जबान समझती थी। एक इरावती थी जिससे वह टूटी फूटी हिन्दी बोल लेती थी
हालाँकि उसकी पंजाबी हिन्दी और इरावती की
कोंकणी हिन्दी में जमीन आसमान का अन्तर था। जब
इरावती भी उसकी सीधे-सादे शब्दों में कही हुई साधारण-सी बात को न समझ
पाती, तो वह बुरी तरह अपनी विवशता के खेद से दब जाती थी।
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साहित्य संगम में
गुलाबदास ब्रोकर की गुजराती कहानी-
आखिरी झूठ
कितनी सुंदर है वह
बात करने का मौका मिल जाए तो मज़ा आ जाए। नरेश घिया ने अपने आप से कहा।
और बात करने के इरादे से उसने अपनी ओर बढ़ती हुई लड़की की तरफ मुसकरा
कर देखा। उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट थी। वह कह रही थी "मैं आपके पास
आ ही रही थी।" "सचमुच मुझे बहुत खुशी हुई मिस "नंदिता मेहता।" उसने
वाक्य पूरा किया। |
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हास्य व्यंग्य में
काका हाथरसी का व्यंग्य
प्यार किया तो मरना क्या
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कला दीर्घा में
विश्व के कोने कोने से
कला कार्यक्रम
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घर परिवार में
नन्हें बच्चों से संबंधित
महत्वपूर्ण प्रश्न
जब बिस्तर खिलौनों से
भर जाए
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पर्यटन में
जैसलमेर के विषय में विशेष लेख
सोने के शहर में रेत के सपने
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साहित्यिक निबंध में
नवगीत परंपरा के विषय में
डा मोहन अवस्थी का आलेख
अनुगीत
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उपहार में
गणतंत्र दिवस के अवसर पर
प्रसिद्ध कविता जावा आलेख के साथ
विजयी विश्व तिरंगा
प्यारा
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रसोईघर में
झटपट तैयार भोजन
मैकरोनी पुलाव
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पद्य में
हिन्दी कविताओं की एक सम्पूर्ण
अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका
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पिछले
अंक से-
बधाई हो बधाई
में विश्व
के पहले बधाईपत्र की कहानी गृहलक्ष्मी की जुब़ानी
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देश देश में
नव वर्ष
नव वर्ष के अवसर पर चीन और जापान के रीति रिवाज़ों का लेखा
जोखा आशीष की कलम से।
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पर्व परिचय में
जनवरी माह के भारतीय पर्वो का
परिचय
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फुलवारी में
इला प्रवीन की बाल कथा
नए
साल का उत्सव
तथा
पूर्णिमा वर्मन की कविता
नया साल है
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लावण्या शाह का
प्रेरणाप्रद संस्मरण
विनोबा के
अनुयायी मेरे मामाजी
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साहित्य संगम
में
गुलज़ार की कहानी धुआँ
बात
सुलगी तो बहुत धीरे से थी, लेकिन देखते ही देखते पूरे कस्बे में 'धुआँ' भर
गया। चौधरी की मौत सुबह चार बजे हुई थी। सात बजे तक चौधराइन ने रो-धो कर
होश सम्भाले और सबसे पहले मुल्ला खैरूद्दीन को बुलाया और नौकर को सख़्त
ताकीद की कि कोई ज़िक्र न करे। |