अभिव्यक्ति-चिट्ठा
पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हमारे लेखक लेखकों से
शब्दकोश // SHUSHA HELP // UNICODE HELP / पता-


२३. ५. २०११

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
निर्मल शुक्ल, मधुलता अरोरा, रचना दीक्षित, डॉ. सुधा गुप्ता और सुनील सिंह सजवान की रचनाएँ।

- घर परिवार में

मसालों का महाकाव्य- देश-विदेश में लोकप्रिय चटपटे मिश्रणों के बारे में प्रमाणिक जानकारी दे रहे हैं शेफ प्रफुल्ल श्रीवास्तव। इस अंक में- साल्सा

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का २१वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध

अभिव्यक्ति का २० जून का अंक टेसू या पलाश विशेषांक होगा। इस अंक के लिये हर विधा में गद्य रचनाओं का स्वागत है। रचनाएँ हमें १० जून से पहले मिल जानी चाहिये। पता इसी पृष्ठ पर ऊपर है।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- लेख को सारणी (टेबल) में बदलना झंझट का काम होता है। ऐसा करने के लिए पहले अपने लेख को अल्पविराम, टैब या किसी

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-१६, टेसू के फूल पर आधारित नवगीतों का प्रकाशन इस सप्ताह शुरू हो जाएगा। रचनाएँ अभी भी भेजी जा सकती हैं-

वर्ग पहेली-०३०
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

शुक्रवार चौपाल- आज का दिन वार्षिकोत्सव की तैयारी का था। इस आयोजन की तिथि २७ मई निश्चित हुई है। कुछ सदस्यों ने इसका अभ्यास...आगे पढ़ें...

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

साहित्य और संस्कृति में-

1
समकालीन कहानियों में भारत से
दीपक शर्मा की कहानी- नौ तेरह बाईस

'मैं निझावन बोल रहा हूँ, सर', मेरे मोबाइल के दूसरी तरफ़ मेरे बॉस हैं, मेरे जिले के एस.पी.। अपनी आई.पी.एस. के अन्‍तर्गत। जबकि मेरी प्रदेशीय पुलिस सेवा ने मेरी तैनाती यहाँ के चौक क्षेत्र में सर्कल आफिसर के रूप में कर रखी है। अभी कोई तीन माह पूर्व। 'एनी इमरजेंसी?' राजधानी से बॉस आज सुबह लौटे हैं और इस समय ज़रूर अपनी शृंगार-मेज़ पर अपने प्रसाधन के मध्‍य में हैं। 'येस सर। मेरे सर्कल के नवाब टोला की वारदात है। कल शाम स्‍पोर्टस कॉलेज की कोई लेक्‍चरर आग में झुलस कर मर गयी थी, सर।'
'नवाब टोला कहाँ पड़ेगा?' वे अपनी अनभिज्ञता प्रकट करते हैं। दूसरों को गोल-गोल घुमाकर उन्‍हें फिर नौ-तेरह बाइस बताने में उनका कोई सानी नहीं। 'मेरे थाने की दिशा से वह धक्‍कम-धक्‍के वाले एक चूड़ी बाज़ार का अन्तिम छोर है, सर और आपके बंगले की दिशा से बड़े चौराहे की एक तिरछी काट।' हमारे जिले में बड़ा चौराहा एक ही है। पूरी कहानी पढ़ें...

*

अनूप कुमार शुक्ल का व्यंग्य
फटाफट क्रिकेट और चियर बालाएँ
*

प्रवीण गार्गव का दृष्टिकोण
लिखे हुए शब्दों के प्रति श्रद्ध

*

डॉ. मनोज मिश्र का आलेख
दूर संवेदी रिसोर्ट उपग्रह - २
*

पुनर्पाठ में महेन्द्र राजा जैन के विचार
क्या उपन्यास लेखन सिखाया जा सकता है

अभिव्यक्ति समूह की निःशुल्क सदस्यता लें।

पिछले सप्ताह-

1
प्रवीण कुमार शर्मा की लघुकथा
राजनीतिक बाप
*

दिविक शर्मा का आलेख
२१वीं सदी का बाल-साहित्य: विभिन्न भाषाओं से अनुवाद के संदर्भ मे

*

प्रवीण गार्गव का दृष्टिकोण
लिखे हुए शब्दों के प्रति श्रद्धा
*

पुनर्पाठ में कृपाशंकर तिवारी का आलेख
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा

*

समकालीन कहानियों में यू.एस.ए से
उमेश अग्निहोत्री की कहानी- बनियान

‘पिछले जन्म में जो आपके दुश्मन होते हैं, वे आपकी औलाद बन कर पैदा होते हैं।‘
न जाने पापा जी से यह बात किसने कही थी, लेकिन यह बात उन्हें इतनी पसंद आयी थी कि अगले-पिछले जन्मों में यकीन न होने के बावजूद उनके दिमाग में रह गई थी, और उस वक्त तो खासतौर पर याद हो आती थी जब वह अपने बेटे को बनियान उलटी पहने देखते।
तब वह उन्नीस-बीस साल का रहा होगा। उन्होंने उसे एक बार टोका था - तूने बनियान उलटी पहन रखी है। वह दिन और आज का दिन, वह तीस का हो चला था उसने फिर कभी बनियान सीधी पहन कर नहीं दी थी। पापा जी ने कहा – तू बनियान उलटी पहनता है, यह जताने के लिये कि मेरी बात की परवाह नहीं है। बेटा कुछ नहीं बोला। वह अक्सर पापाजी के सामने नहीं बोलता था। पूरी कहानी पढ़ें...

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

blog stats
आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०