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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
यू.एस.ए. से उमेश अग्निहोत्री की कहानी बनियान


‘पिछले जन्म में जो आपके दुश्मन होते हैं, वे आपकी औलाद बन कर पैदा होते हैं।‘
न जाने पापा जी से यह बात किसने कही थी, लेकिन यह बात उन्हें इतनी पसंद आयी थी कि अगले-पिछले जन्मों में यकीन न होने के बावजूद उनके दिमाग़ में रह गई थी, और उस वक्त तो खासतौर पर याद हो आती थी जब वह अपने बेटे को बनियान उलटी पहने देखते।
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तब वह उन्नीस-बीस साल का रहा होगा। उन्होंने उसे एक बार टोका था - तूने बनियान उलटी पहन रखी है।
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वह दिन और आज का दिन, वह तीस का हो चला था उसने फिर कभी बनियान सीधी पहन कर नहीं दी थी।
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पापा जी ने कहा – तू बनियान उलटी पहनता है, यह जताने के लिये कि मेरी बात की परवाह नहीं है ।
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बेटा कुछ नहीं बोला। वह अक्सर पापा जी के सामने नहीं बोलता था। उसकी कोशिश रहती थी कि उनके सामने न ही पड़े। वह कुछ कह देंगे, तो बहसबाज़ी होगी। वह उनके कमरे में तो जाता ही नहीं था।

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