|  | 'मैं निझावन 
					बोल रहा हूँ, सर', मेरे मोबाइल के दूसरी तरफ़ मेरे बॉस हैं, 
					मेरे जिले के एस.पी.। अपनी आई.पी.एस. के अन्तर्गत। जबकि मेरी 
					प्रदेशीय पुलिस सेवा ने मेरी तैनाती यहाँ के चौक क्षेत्र में 
					सर्कल आफिसर के रूप में कर रखी है। अभी कोई तीन माह पूर्व। 
 'एनी इमरजेंसी?' राजधानी से बॉस आज सुबह लौटे हैं और इस समय 
					ज़रूर अपनी शृंगार-मेज़ पर अपने प्रसाधन के मध्य में हैं।
 'येस सर। मेरे सर्कल के नवाब टोला की वारदात है। कल शाम 
					स्पोर्टस कॉलेज की कोई लेक्चरर आग में झुलस कर मर गयी थी, 
					सर।'
 'नवाब टोला कहाँ पड़ेगा?' वे अपनी अनभिज्ञता प्रकट करते हैं। 
					दूसरों को गोल-गोल घुमाकर उन्हें फिर नौ-तेरह बाइस बताने में 
					उनका कोई सानी नहीं।
 'मेरे थाने की दिशा से वह धक्कम-धक्के वाले एक चूड़ी बाज़ार 
					का अन्तिम छोर है, सर और आपके बंगले की दिशा से बड़े चौराहे की 
					एक तिरछी काट।' हमारे जिले 
					में बड़ा चौराहा एक ही है। जहाँ पहुँचकर तीन सीधी और दो 
					घुमावदार सड़कें अपने फलक उसके हवाले कर देती हैं।
 'रिहायशी 
					क्षेत्र है? मुस्लिम-बाहुल्य?' 'येस सर। चौदह मकान हिन्दुओं 
					के हैं और पच्चीस मुस्लिमों के।'
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