मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


हमारे लेखक

अभिव्यक्ति में अनुपम मिश्र की
रचनाएँ

प्रकृति और पर्यावरण में-
तैरने वाला समाज डूब रहा है
पानी के रास्ते में खड़े हम
सिमट सिमट जल भरहिं तड़ागा

आज सिरहाने में-
आज भी खारे हैं तालाब

विस्तृत परिचय-
तालों के तारणहार अनुपम मिश्र

 


अनुपम मिश्र

जन्म- १९४८ में वर्धा में ।
शिक्षा- स्नातकोत्तर उपाधि।

कार्यक्षेत्र-
अनुपम मिश्र जाने माने गांधीवादी पर्यावरणविद् हैं। पर्यावरण के लिए वह तब से काम कर रहे हैं, जब देश में पर्यावरण का कोई विभाग नहीं खुला था। बगैर बजट के बैठकर मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली है, वह करोड़ों रुपए बजट वाले विभागों और परियोजनाओं के लिए संभव नहीं हो पाया है। गांधी शांति प्रतिष्ठान में उन्होंने पर्यावरण कक्ष की स्थापना की। वे इस प्रतिष्ठान की पत्रिका गाँधी मार्ग के संस्थापक और संपादक भी है। उन्होंने बाढ़ के पानी के प्रबंधन और तालाबों द्वारा उसके संरक्षण की युक्ति के विकास का महत्वपूर्ण काम किया है। वे २००१ में दिल्ली में स्थापित सेंटर फार एनवायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। चंडी प्रसाद भट्ट के साथ काम करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के चिपको आंदोलन में जंगलों को बचाने के लिये सहयोग किया था। उनकी पुस्तक आज भी खारे हैं तालाब ब्रेल सहित १३ भाषाओं में प्रकाशित हुई जिसकी १ लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं।

वे राजेन्द्र सिंह के बनाये तरूण भारत संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे, २००७-२००८ में उन्हें मध्यप्रदेश सरकार के चंद्रशेखर आज़ाद राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें २००९ में उन्होंने टेड (टेक्नोलॉजी एंटरटेनमेंट एंड डिजाइन) द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया। २०११ में उन्हें देश के प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९९६ में उन्हें देश के सर्वोच्च इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।