'जम
गई तो फिर! वो बियर अच्छी दिखती है, चार्ली। चलो बियर से
शुरुआत करे!'
चार्ली को अमर की बात अच्छी लगी, दो बियर की बोतलें खोल दीं,
और बाकी रेफरिजरेटर में रख दीं।
चीअर्स!! बोतलें ऊँची उठीं और सल्यूट हो गया! अमर ने पहला घूँट
लिया। बियर का टेस्ट बहुत अच्छा लगा।
'चार्ली, ये बियर मुझे बहुत अच्छा लगा। शायद तुम ने खुद बनाया
है। इतना मृदु और मुलायम है की गले से सटासट नीचे उतर गया!
क्यों ना सिर्फ बियर से ही खुशी मनायें आज?'
'जरूर! बियर इन, वाइन आउट! वाइन बोतल निकाल देता हूँ, और कुछ
और बियर बोतलें ले के आता हूँ।' चार्ली वाइन बोतल के साथ अपनी
कॉटेज की ओर चल पड़ा, और दो मिनट में चार और ठंडी बियर बोतलों
के साथ लौट आया। लगता है आज हैपी आवर बड़ा लंबा होने वाला है!
'लंच मे क्या हो रहा है, अमर?'
'तुम्हे मालूम तो है कि मेरे यहाँ सब वेजिटेरियन रहता है।
कॉलेज के दिनो में बंबई के रास्तों के वेजी सेंडविच याद आ गये।
आज वो ही होगा। टमाटर, ककड़ी, आलू, हरी तीखी चटनी, और ये सब
ब्रेड के दो स्लाईसों के बीच में।'
'ये तो बड़ा जबरदस्त प्रोग्राम है, अमर!'
'हाँ, अब देखो मैं क्या कर रहा हूँ, फिर तुम्हारी बारी आयेगी।'
अमर ने बियर का एक घूँट लिया, और अपना सेंडविच बनाना शुरू
किया। ब्रेड के दो बड़े स्लाइस लिये। मार्जरिन लगाया। हरी तीखी
चटनी का मोटा स्तर ऊपर बनाया। बारी–बारी एक के ऊपर एक टमाटर,
ककड़ी, और आलू के स्तर बनाये। हर स्तर पे सीज़न्ड सॉल्ट छिड़का,
एक बड़ी छुरी से सेंडविच को चार बराबर हिस्सो में काटा।
'ये तो बहुत अच्छा दिख रहा है!'
'वो मेरा सेंडविच था। अब तुम अपना बनाओ। चटनी लगाने में खयाल
रखना।'
'क्यों? बहुत तीखी है क्या?'
'हाँ, तीखी तम तमा तम! हैपी आवर को आग लगा दे सकती है! थोड़ी
टेस्ट कर लो पहले। देख लो कितना लगाना है।' चार्ली ने थोड़ी सी
चटनी मुँह मे रखी। चंद घड़ी के लिये कुछ हुआ नहीं, फिर जलन शुरू
हुई।
'तीखी तो ज़रूर है, मगर टेस्ट बढ़िया है! तुम्हारे जितनी तो नहीं
मगर थोड़ी सी तो लगानी ही होगी।'
अमर ने कुछ चिक–पीज़ भी गरम कर दिये। लंच तैयार हो गया। डाइनिंग
टेबल पर बहुत सी किताबें पड़ी थीं। अमर ने कुछ किताबें इधर–उधर
कर के दो प्लेटों की जगह बना दी। हैपी आवर में अब कुछ गरमी आने
वाली थी!
'जब भी मै तुम्हें देखता हूँ, मुस्कराता हुआ चेहरा नज़र आता है!
वजह क्या हो सकती है, चार्ली? क्या पार्टी पे पार्टी चलती रहती
है?'
'हाँ, पार्टी के चक्कर तो होते रहते हैं! अच्छा खाते है, अच्छा
पीते है, जिंदगी बड़ी मजेदार है!'
'जिंदगी मज़ेदार होना तो काफ़ी ज़रूरी है! तुम्हारी काया बिलकुल
कसरती दिख रही है। माना, तुम जवान हो, फिर भी, बहुत सारी
पार्टियाँ तो किसी को भी चौड़ा बना दे सकती है!'
'मैं सप्ताह में तीन दिन जिम्नेज़ियम जाता हूँ। जब बियर का मज़ा
लो तो वर्क–आउट करना ज़रूरी रहता है। कुछ स्पोर्टस भी हो जाते
हैं। आजकल डर्ट–बाइकिंग चल रही है।'
'डर्ट–बाइकिंग? मोटर–साइकल डर्ट में?'
'हाँ, बाइक को पहाड़ियों में ले जाता हूँ। कभी जानी पहचानी
ट्रेइल पर बाइक चलती है, कभी कभी नई ट्रेइल बन जाती है। अगर
कुछ बीच में आ गया तो कुदान भी हो जाती है! बड़ा रोमांचक सफर
बना रहता है!'
सेंडविच सब खतम, और प्लेटें बिलकुल साफ। चार्ली ने बियर की दो
और बोतलें खोल दी। अमर ने कुछ कोर्न चिप्स और साल्सा ला कर
टेबल पर रख दिये। हैपी आवर जारी रहा।
'फिर ये बताओ, चार्ली, इन सब पार्टियो में क्या होता है? मतलब
कि तुम सब जवाँ लोग वहाँ कैसे खुशी मनाते हो?'
'सिर्फ जवाँ ही नहीं, हर उम्र के लोग। डॉक्टर्स, लॉयर्स,
प्रोफेशनल्स, हर किस्म के लोग देखे हैं मैंने। कुछ लोग पीते
हैं, कुछ स्मोक करते हैं, कुछ दोनो साथ–साथ। एक अनोखा माहौल
रहता है!'
'ड्रग्स?'
'नहीं, ज्यादातर मरूआना। सिगरेट या पाइप में। कभी ट्राय किया
है, अमर?'
'शायद नहीं। कोई बीस साल पहले दो गहरे कश लिये थे, कुछ हुआ
नहीं था।'
दो कश वाली घटना अमर की आँखो के सामने छा गयी।
फिलाडेल्फिआ, सीटी ओफ ब्रदरली लव। बीस साल पहले, शहर में एक
पार्टी किसी के घर आकार ले रही थी। अमर खास किसी पार्टी मे
जाता नहीं, मगर आज कोई उपाय नहीं था। कम्प्यूटर कंपनी, जहाँ
अमर काम करता था, घाटे में जा रही थी। जीवित रहने के लिये
कंपनी को कुछ करना ज़रूरी था। भीतर का बहुत विरोध होने के
बावजूद भी कंपनी ने एक नया प्रॉडक्ट बाज़ार में रखा था। सचेत और
सावधान होते हुए भी अमर ने चान्स लिया था। नये प्रॉडक्ट के
मार्गदर्शन में अमर अग्रणी रहा। पुराने रेकार्ड टूट रहे थे,
नये रेकार्ड बन रहे थे, नये प्रॉडक्ट की सफलता किसी की कल्पना
से भी अधिक थी। कंपनी और कंपनी में काम करनेवालो की जान में
जान आयी थी। सफलता की खुशी मनाने का दिन था। कंपनी के सब से
सफल सेल्स–पर्सन के घर पार्टी आयोजित हुई थी। अमर को हाज़िर
होना ज़रूरी था। सब को मालूम था कि यह दिन अमर के बिना आया नहीं
होता। इस दिन की हस्ती अमर की सख्त मेहनत, नेतृत्व, और
दूरदर्शिता पर कुर्बान थी। अमर पार्टी का सितारा था, और सब अमर
को बधाई देने इकट्ठे हुए थे।
महल जैसा, बड़ा आलीशान मकान था। बार खुला था। बारटेन्डर अपनी
ड्रिन्कस बनाने की कला दिखा रहा था। पूरा मकान आज की खुशी के
लिये खुला था। हर प्रकार के खाने की चीज़ हर जगह दिखाई रही थी।
बैंड बज रहा था। कुछ जोड़ियाँ डान्स फ्लोर पे अपना कमाल दिखा
रही थीं। हौट टब भर गया था, स्वीमिंग पूल में नेट लगी थी, और
बॉल का कोई खेल चल रहा था। हरी घास के लॉन पर कपड़े और जूते इधर
उधर पड़े थे। पानी में कूदने की दौड़ में लोगो ने अपने वस्त्र
जल्दी से उतार कर बिखेर दिये थे। हवा में धुआँ था। सफेद धुएँ
के बादल तैर रहे थे, और आँखों को जलन देते हुए कुछ अज़ीब सी महक
फैला रहे थे। हर जगह ड्रिन्कस के गिलास पड़े थे। वक्त गुज़र रहा
था, नशा बढ़ रहा था, और नज़दीकी गिलास नज़दीकी मुँह की और बढ़ रहा
था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सबको काम की दुनिया को भूल जाना था।
किसी को आने वाली सुबह की नाफिक्र थी, ना इंतज़ार!
'थोड़ा घूमने चलोगे साथ, अमर?'
'ज़रूर, कहाँ चलेंगे, जेनेट?'
'मकान के दूसरी ओर, लॉन को पार कर के पार्किग लॉट की तरफ।'
अमर सबको पहचानता था। नये प्रॉडक्ट की सफलता में जेनेट का
हिस्सा काफ़ी था। दोनों ने, हाथों में हाथ, पार्किग लॉट की ओर
चलना शुरू किया। जैसे कुछ इशारा मिल गया हो, एक दूसरे युगल ने
भी कुछ कदम पीछे चलना शुरू किया। धीमी गति से, लॉन पार कर के,
चारों एक कार के नज़दीक आ कर ठहरे।
'जबरदस्त स्पॉर्टस कार है, तुम्हारी, जेनेट?'
'हाँ, और अंदर से भी बहुत अच्छी है, देखोगे?'
जेनेट ने रिमोट कंट्रोल से कार अनलोक कर दी। दूसरा युगल पीछे
की सीट पर बैठ गया, जेनेट और अमर आगे। लेदर सीट, हर प्रकार की
सुविधा कार के अंदर! अमर प्रभावित हो गया। जेनेट ने कुछ बटन
दबा दिये, और सुरीला संगीत शुरू हो गया। अमर की ओर झुक कर
ग्लॅव कंपार्टमेन्ट खोला, और एक चमकता हुआ सिगरेट केस निकाला।
एक सिगरेट अपने मुँह में रखी। अमर ने अपने लाइटर से जेनेट की
सिगरेट जला दी।
'एक कश लोगे, अमर?' गहरा कश ले कर जेनेट ने अपनी सिगरेट अमर की
ओर बढ़ाई।
'मैं सिर्फ एक ही ब्रान्ड की सिगरेट पीता हूँ। जब भी ब्रान्ड
बदली है, सरदर्द को दावत दी है। मगर, तुम्हारी सिगरेट कुछ अलग
सी दिखती है। क्या कोई स्पेशियल चीज़ है?' अमर ने जेनेट की
सिगरेट अपने हाथ में ली।
'अगर ठीक से गहरा कश लिया तो दूसरी दुनिया में पहुँच जाओगे।
ऐसी दुनिया जहाँ सिर्फ आराम ही आराम होगा, जमीं के हर दर्द भूल
जाओगे।'
'सच? सिगरेट तो कुछ सालों से पीता आया हूँ, गहरा कश कैसे लेना
तो मुझे ठीक से मालूम होना चाहिये!' अमर ने स्पेशियल सिगरेट
अपने मुँह में रखी।
'जोर से कश लो, जहाँ तक हो सके वहाँ तक अपने अंदर रखो, और फिर
धीरे से छोड़ दो।'
अमर ने गुरू के बोल सुने। सिगरेट बुझ गई थी। फिर से जला दी।
जोर से कश खींचा, दर्द होते हुए भी लंबे समय धुआँ अंदर रखा, और
फिर धीरे से हवा में छोड़ दिया। अमर ने देखा तो जेनेट कहीं
दूर–दूर देख रही थी, और पीछे का युगल अपने निजी कार्यक्रम में
मस्त था।
'ये दूसरी दुनिया का सफर कब शुरू होता है?' अमर को कुछ असर
नहीं हुआ था, पाँव जमीं पर थे, और पंख खुले नहीं थे।
जेनेट ने सिगरेट अपने हाथ में ली, फिर से जलाई, कश खींचा, और
अमर को वापिस दी।
'एक बार और ट्राय करो। क्या मालूम, दूसरा कश आप के लिये जादू
जगा दे!'
बड़ी गंभीरता से अमर ने कोशिश की, मगर उसकी उड़ान शुरू नहीं हुई।
गुडनाइट कह कर, उड़ते पंछी को पीछे छोड़ कर, अमर ने पुनःज़मीनी
यात्रा शुरू की।
चार्ली बियर की तीसरी बोतल खोल रहा था, और अमर वर्तमान के हैपी
आवर में फिर से आ गया।
'तो ये बताओ, चार्ली, क्या होता है जब लोग मरूआना स्मोक करते
हैं?'
'बहुत–सा आराम। हल्का–सा महसूस होता है।'
' कितना हल्का? फेदर जैसा? हवा में उड़ान?'
'हाँ, और कुछ लोग हँसना शुरू कर देते हैं, और हँसते ही रहते
हैं!'
'अच्छा? किसी वजह के बिना?'
'अरे! जब खुश हो तो तुम हँसते हो, छोटे बच्चे की तरह, कोई वजह
की ज़रूरत नहीं होती!'
'ये पंख–बिन उड़ान में माइन्ड कॅन्ट्रोल कम हो जाता होगा। कार
ड्राइव. करना मुश्किल हो जाता होगा, ठीक?'
'नहीं! इतनी नरमी रहती है कि ड्राइव करना और भी आसान हो जाता
है! अगर पुलिस ने आप को रास्ते में रोका, जाँचा और थोड़ा सा
मरूआना निजी उपयोग के लिये मिल गया, तो कोई बात नहीं! पुलिस
आपको जाने देगी। ये नहीं माना जायेगा कि आपकी ड्राइविंग किसी
को हानि करेगी।'
'ये मरूआना इलीगॅल है, नहीं?'
'हाँ, इलीगॅल तो है, मगर इसीलिये कि अपनी गवर्नमॅन्ट को इसमें
टैक्स की कोई कमाई नहीं!'
'वो कैसे? अगर मरूआना स्मोक करनेसे नुकसान नहीं, जैसे तुम कहते
हो, या ऐलकोहॉल और टोबैको से कम नुकसानकारी है, तो उसको लीगल
बनाया जा सकता है। खुले बाज़ार में बेचा जा सकता है, और
गवर्नमॅन्ट को टैक्स की कमाई हो सकती है, ठीक?'
'नहीं! कोई बाज़ार में खरीदेगा नहीं! ये मरूआना बहुत आसानी से
उगाया जा सकता है।'
'मतलब? घर के पिछवाड़े में या घर के अंदर उग जायेगा?'
'हाँ! सिर्फ सूरज का प्रकाश चाहिये। बारह घंटे रोशनी, बारह
घंटे अंधेरा। जल्दी उगता है, आसानी से उगता है, और सब आप की
आँखो के सामने! मैंने देखा है यहाँ। मरूआना प्लान्ट को हमारी
जलवायु बहुत पसंद है!'
'कितने में बिकता है?'
'आज कल कोई दो सौ बीस डालर होते है, एक आउन्स के।'
'ये तो बहुत ज्यादा पैसे है, कम से कम कितना खरीद सकते हो?'
'कोई तीस डालर में आउन्स का आँठवा हिस्सा मिल जायेगा।'
'प्लान्ट को कैसे स्मोक करोगे? पत्ते?'
'नहीं! मरूआना प्लान्ट में कलियाँ खिलती है। जब कलियाँ सूख
जाती है तब बहुमूल्य बन जाती है।
देखोगे कुछ बहुमूल्य कलियाँ?'
चार्ली अपनी कॉटेज की और भागा, और दो मिनट में अपनी कमीज़ के
नीचे छुपा के छोटा सा प्लास्टिक बैग ले आया।
'वाव! ये सब कलियाँ है? अजीब सी दिखती है! कलियों से सिगरेट
कैसे बन सकती है?'
'सिगरेट बनाने की ज़रूरत नहीं, पाइप से स्मोक कर सकते हो। मेरी
पाइप देखोगे?'
जवाब की राह देखे बिना चार्ली ने अपनी कॉटेज की ओर फिर से दौड़
लगाई, और जल्दी से पाइप लेके वापिस आ गया।
'ये पाइप तो बड़ी आर्टिस्टिक दिखती है! क्या पाइप में पूरी कली
रख के जलानी होती है?'
'नहीं! कली को कतरना होता है, फिर उस कतरन को पाइप में रखना
होता है। मैं दिखाता हूँ, क्या आप के पास कैंची होगी?'
अमर बाथरूम से कैंची ले कर आया। रंगमंच सज गया था। बात बनने
वाली ही थी। चार्ली को गुरू बनना था, अमर को शिष्य।
चार्ली ने बैग में से एक कली निकाली। कैंची से कतरना शुरू किया
जैसे कोई शिल्पी पत्थर में से मूर्ति बना रहा हो। जो भी कतरन
टेबल पर गिरी, बड़ी नाज़ुकता से उठा कर पाइप में रखी। चार्ली ने
पाइप मुँह में रखी, और लाइटर से कतरन को जलाया। ज़ोर से कश
लिया, थोड़ी देर धुएँ को कैद रखा अपने अंदर, और फिर हल्के से
निकाल दिया। अमरने पाइप अपने हाथ में ली।
कतरन बुझ गई थी, अमर ने फिर से जलाई, और ज़ोर से कश लिया। पाइप
इधर से उधर और उधर से इधर कुछ और बार हो गई। बीस साल पहले,
फिलाडेल्फिआ के दो कश का कोई असर अमर पर नहीं हुआ था। इस बार
अमर ने ज्यादा कोशिश की। अमर ने सर उठाया और चार्ली की ओर
ताकने लगा। अमर चार्ली से कहने ही वाला थाकि उसको कुछ अलग
महसूस नहीं हो रहा, मगर कह नहीं सका। कुछ ज़रूर हुआ। सर तैरने
लगा था। समंदर जो शांत था वहाँ लहरें उछलने लगी थीं। चार्ली के
सुंदर मुखारविंद पर साफ सुथरी छोटी सी काली दाढ़ी शोभा दे रही
थी। नौजवानों का आजकल का फैशन! चार्ली की एक महीने की कोशिश!
अमर की नज़र में दाढ़ी आ गई, और हँसने लगा। चार्ली ने भी जवाब
हँसी से दिया! कोई शब्द नहीं, कोई बातचीत नहीं, सिर्फ हँसी का
लेन देन! कुछ देर तक सिलसिला जारी रहा। अमर को चार्ली की कही
हुई हँसी के असर वाली बात याद आ गई। माइन्ड कन्ट्रोल गँवाना
अमर को अच्छा नहीं लगा। अमर मन दृढ़ कर के खड़ा हुआ। दरिया
तूफानी बन चुका था। अमर ने अशक्ति महसूस की, और संतुलन रख नहीं
सका। डगमगाते हुए सोफे की ओर चला। बैठा, और तुरंत ही लंबा हो
गया। चार्ली सब देखता रहा। चार्ली का माइन्ड कन्ट्रोल अखंड
रहा।
'चार्ली, मेरा सर घूम रहा है। ये मुझे क्या हो गया? कोई
कन्ट्रोल नहीं!'
'आँखे खुली रखो, अमर। अच्छा लगेगा।'
'हाँ, आँखे खुली रखने से कुछ कन्ट्रोल वापिस आ रहा है, मगर
आँखे खुली रहना नहीं चाहतीं। खोलता हूँ और किसी भार से बंद हो
जाती है! कमज़ोरी ने घेरा डाल दिया है। काश, अभी वीडियो
रिकार्डिंग चालू होती। मेरी इस अनोखी हालत का अजीब दस्तावेज़ बन
जाता!'
'फिक्र मत करो, अमर। सब की सब बातें याद रहेगी।' चार्ली एक
निष्णात की तरह मरीज़ का खयाल रख रहा था।
'चार्ली, मुझे इस हालत से मुक्त होना है . ..'
'थोड़ा इधर–उधर चलोगे तो अच्छा लगेगा।' अमर ने डॉक्टर की बात
सुनी, खड़ा होने की कोशिश की, मगर जहाँ था वहीं फिर से गिर गया।
'चार्ली, मुझ में खड़ा होने की शक्ति नहीं, चलूँगा कैसे? ऐसा
लगा जैसे मेरे पाँव घुटनों से अलग हो गये! मेरे हाथ बोझ जैसे
लगे!'
'ठीक है, थोड़ा आराम कर लो, बहुत थके हुए होगे।'
'मेरा गला, और मेरी जीभ सूख रही है, चार्ली। वो जो स्मोक किया
वो मेरी जीभ के मध्य कहीं चिपक गया है, उग रहा है, और नयी
कलियाँ वहाँ फूट. रही है! उसको जड़ से निकालना होगा, चार्ली!'
'मैं पानी का गिलास ला के देता हूँ।' चार्ली पानी ले के आया।
अमर ने पानी पिया, और थोड़ा खुद. पर खुश हो गया कि न गिलास गिरा
न पानी!
'ठंडे पानी से स्नान करोगे तो और भी अच्छा लगेगा।'
'चार्ली! मेरे लिये अभी खुद का संतुलन रखना भारी है। अगर अभी
स्नान करने गया तो कहीं टकरा जाऊँगा, और कहीं और ज़ख्मी हो
जाऊँगा! मेरे लिये सोना ज़रूरी है। अगर कोई दो घंटे सो सका तो
अपने आप ये मेरी हालत दुरुस्त हो जायेगी। तुम्हें बीवी को लेने
नहीं जाना है? कितने बज़े है?'
'साढ़े तीन।'
'ठीक है, चार्ली। जरा देखो तो, मेरे पलंग पर कुछ है तो नहीं?
मैं वहाँ सोने जाऊँगा।' अमर डगमगाते हुए अपने पलंग तक पहुँचा,
और लेट गया। अमर ने दरवाज़ा बंद होते हुए सुना, और चार्ली की
आवाज़ सुनी कि वह बाद में खाली बोतलें ले जायेगा।
अमर ने सोने की कोशिश की। हर पाँच मिनट पर आँखें खुलती रहीं।
जब भी आँखे खुलीं तो ऐसा लगा जैसे गूढ़ निद्रा से जागा हो। अमर
को संतुलन का अभाव सता रहा था। माइन्ड कन्ट्रोल वापस प्राप्त
करना ज़रूरी था। अमर को मालूम था कि चार्ली चला गया था, दरवाज़ा
बंद था, मगर अंदर से लॉक नहीं था। अमर ने ज़बरदस्ती खुद को खड़ा
किया। अब भी अशक्ति महसूस की, और कन्ट्रोल से विरक्त रहा।
डगमगाते हुए दरवाज़े तक पहुँचा, और लॉक किया। उसकी बियर की
तीसरी बोतल आधी भरी हुई टेबल पर पड़ी थी। देख कर अच्छा नहीं
लगा। बोतल को खाली कर दिया, और सब खाली बोतलें एक जगह रख दीं।
अमर फिर से लेटने गया। कोई साढ़े चार बजे थे, और अगली बार जब
उठा तब छः बजे थे। अमर को अच्छा महसूस हुआ। संतुलन वापस आ गया
था, कन्ट्रोल फिर से प्राप्त हो गया था, और अशक्ति ने विदा ली
थी। अमर को भगवान याद आ गये, मेहरबानी हुई कि वह दुःखी दुनिया
से लौट आया। अनजाने सफर की याद ताज़ा थी। झट से कागज पर सफर की
कुछ बातें लिख दीं।
ज़ोरो से भूख लगी थी। पूरे कन्ट्रोल और संतुलन के साथ ठीक से
खाना खाया।
दरवाज़े की घंटी बजी। कोई आठ बजे थे। मुस्कराता हुआ चार्ली खड़ा
था। डर्ट–बाइकिंग की यूनिर्फोम में, जैसे कोई सेनापति जंग जीत
के आया हो!
'अब कैसे हो, अमर?'
'ठीक हूँ, चार्ली। तुम्हारा कन्ट्रोल अजीब था! शायद तुम्हारी
जवानी, और कसरती काया की वजह होगी,
या तो शायद . . ..'
'शायद क्या? अनुभव?'
'देखो, मैंने वो नहीं कहा!'
'ऐलकोहॉल और मरूआना साथ में शायद स्वास्थ्यकारी ना भी हो। और,
पहली बार तो किसी भी चीज़ में तकलीफ हो सकती है।'
'चार्ली,
फिलाडेल्फिआ के दो कश मुझे सता रहे थे।
मेरे लिये ये होना ही था। बीस साल से पुकार थी।
मैंने सफर किया।
किसी अनजानी जगह पहुँच गया।
शुरुआत ठीक रही, मगर जहाँ पहुँचा वहाँ मैं दुःखी रहा।
कन्ट्रोल नहीं था, संतुलन नहीं था, और शक्ति भी गायब थी।
खुश हूँ कि मैं जाने पहचाने जगत में वापस लौट आया।
मैं फिर वहाँ नहीं जाऊँगा।'
चार्ली ने एक और दूसरे जगत वाली मुस्कान दे दी, और खाली बोतलों
के साथ अपने कॉटेज की ओर चल पड़ा। |