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वेसेल में १६०० डिग्री
सेंटीग्रेड तापक्रम पर पिघला हुआ (मोल्टेन) इस्पात था, जिसे
प्लैटफॉर्म के नीचे स्टील ट्रांस्फर कार पर रखे लैडेल (बाल्टी)
में टैपिंग (ढालना) किया जा रहा था। ठीक इसी वक्त ओवरहेड क्रेन
के ऊपर से कोई वर्कर ज्वालामुखी से भी तप्त लैडेल में धम्म से
गिर पड़ा। कौन था वह अभागा? पूरे शॉप में अफरा-तफरी मच गई।
विभाग के काफी लोग जुट आए....लेकिन कोई कुछ नहीं कर सकता था,
चूँकि सभी जानते थे कि वह आदमी गिरते ही ठोस से द्रव में बदलना
शुरू हो गया होगा। उस बाल्टी से छिटककर एक बूँद भी अगर जिस्म
पर पड़ जाए तो गोली लगने से भी बुरा घाव बन जाता है। यहाँ तो
भरे लैडेल में ही वह बदनसीब गिर पड़ा। डिविजनल मैनेजर (विभाग
प्रमुख) सहित इस स्टील मेकिंग विभाग एल डी-१ शॉप के सारे
अधिकारी इकट्ठे हो गए। उनमें खड़े-खड़े तुरंत मँत्रणा हुई और
एक निश्चय के तहत सभी वर्करों से कहा गया कि वे इसी वक्त
कॉन्फ्रेंस रूम में उपस्थित हों, वहाँ हाजिरी ली जाएगी।
एक शिफ्ट के लगभग सौ आदमी की भीड़ में सभी लोग अपने-अपने
नजदीकी आदमी को ढूँढ़ने में लगे थे। इस भीड़ में सीनियर मेकेनिक
तरुण भी अब तक शामिल हो गया और वह अपने इलेक्ट्रिशियन दोस्त
संदीप की टोह लेने लगा। संदीप उसे हठात् कहीं नजर नहीं आया,
फिर भी उसे यह खयाल में भी लाना अच्छा नहीं लगा कि ऐसा
दुर्भाग्य उसके दोस्त का हो सकता है। |