१५ सुझाव जो जीवन को
स्वस्थ, सुखद, संतुष्ट बना सकते हैं
(संकलित)
४- खुशियों
के खजाने हमारे त्यौहार
खुशियों के खजाने हैं
हमारे त्यौहार! भारत एक उत्सवधर्मी देश ऐसे ही नहीं बन
गया। हमारे विद्वान पूर्वजों ने गहन अनुसंधान से हमारे
पर्वों को चुना, सजाया, सँवारा है। त्यौहारों के साथ ही
जुड़ी हैं कुछ रचनात्मक प्रक्रियाएँ जो हमें मनोवैज्ञानिक
रूप से स्वस्थ, सुखी और संतुष्ट बनाती हैं। व्रत रखना,
अल्पना बनाना, विशेष भोजन की तैयारी, सजावट, खुद सजना
सँवरना, उपहार देना, दिये जलाना, गीत संगीत, धार्मिक
क्रिया-कलाप, मिलना मिलाना आदि अनेक बातें त्योहार से
जुड़ी होती हैं जो हमारे मन और मस्तिष्क की अनेक उलझनों को
अनायास ही सुलझा देती हैं और हम अगले त्यौहार तक तरोताजा
बने रहते हैं। इसलिये हर किसी का त्यौहारों से जुड़ना
आवश्यक है। अगर परिवार के साथ त्यौहार नहीं मना सकें तो
पड़ोस और मित्रों के साथ जुड़ें। ये जीवन के महत्वपूर्ण
अंग हैं। इन्हें पूरी गंभीरता से निभाकर खुशी के अमूल्य पल
सँजोए जा सकते हैं। इसलिये पर्वों की उपेक्षा न करें।
उन्हें गंभीरता से मन लगाकर निभाएँ।
२०
अक्तूबर १९१४ |