साहित्य और
संस्कृति में-
|
समकालीन कहानियों में
इस माह
प्रस्तुत है- भारत
से
कमलकांत लाल की
कहानी
जिजीविषा
कीमती
जीन्स, टी शर्ट, एक हाथ में खालिस लेदर की बैग और दूसरे में
अपना कीमती मोबाईल फोन लेकर जब अविनाश रेलवे के ए. सी. वेटिंग
रूम के सामने पहुँचा तो कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि वह
पूरी तरह कड़का है। वह एक नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आया था
और उसके पास टैक्सी करने के भी पैसे नहीं थे।
अटेंडेंट ने उसकी साहबी ठाठ से प्रभावित होकर उसकी टिकट जाँच
किए बिना उसके लिए अदब से दरवाजा खोल दिया। नॉन ए. सी. में सफर
करने वाले अपनी सूरत और हाव-भाव से ही पहचाने जाते हैं,
जिन्हें वह दरवाजे पर ही रोक लेता है। अविनाश उसपर एक उड़ती
हुई नजर डालकर अंदर चला गया। एक खाली कुर्सी तलाश करके उसने
अपना बैग उसपर रखा और बगल वाली खाली कुर्सी पर पैर चढ़ाकर ऐसे
बैठ गया जैसे यह उसका ड्राईंग रूम हो।
अभी छः महीने पहले ही वह एक बड़ी सी कंपनी में सीनियर मैनेजर
था। उसकी कंपनी का अचानक एक अन्य कंपनी के साथ विलय हो गया था।
अधिकांश लोगों की छँटनी हो गई और रातों-रात वह भी अन्य
कर्मचारियों के साथ सड़क पर आ गया था।
... आगे-
***
|
नितिन उपाध्ये की
लघुकथा- चूड़ियाँ
***
|
प्रकृति और
पर्यावरण में गिरीश भंडारी का आलेख
वृक्षः भिन्न देश भिन्न परम्पराएँ
***
|
उत्कर्ष
अग्निहोत्री का
ललित निबंध- ग्रीष्म ऋतु की साधुता
***
|
आज सिरहाने नमिता सचान सुंदर के
कहानी संग्रह
खिड़की पर टिका
आसमान पर गीता कुमारी के विचार
***
|
|
|