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					समकालीन कहानियों में प्रस्तुत 
					है भारत सेअश्विन गाँधी
					की कहानी-
					
					
					आवारा कुत्ते
 
                     
					'सत्या, क्या आज सुबह सुबह शुगर 
					को घूमा के आये ? ''हाँ, आज मैं और सुमी शुगर को कुछ कसरत कराने के लिये चक्कर 
					मारने निकले थे, अमृत। साथ साथ हमारी भी कुछ कसरत हो जाती है!'
					सत्या और सुमी एक युवा युगल हैं, करीब तीस साल के। 
					श्रीधाम में कोई दस साल पहले सस्ते भाव में एक प्लौट खरीदा था, 
					और कोई पाँच साल पहले अपना घर बना लिया था। अपने खुद के कोई 
					बच्चे नहीं, मगर कुत्तों से बहुत प्यार करते हैं। तीन कुत्ते 
					पाल के रखे हैं। दो पीले रंग के, और सब से बड़ा काले रंग का 
					शुगर। सब एक ही घर में साथ साथ रहते हैं। 'अभी मैं दस मिनट 
					पहले मेरे बगीचे का चक्कर मारने निकला था। मेरे गेट के बाहर 
					जहाँ मैंने गुलाब बोये हैं वहाँ मैंने कुत्ते की बड़ी शौच देखी। 
					ताज़ा दिख रही थी। धुआँ उठ रहा था। तुम दोनों को शुगर के साथ 
					मेरे कंपाउंड के नज़दीक से गुज़रते हुए देखा था तो सोचा कि पूछ 
					लूँ। आज कल हमारे श्रीधाम में आवारा कुत्ते काफी दिख रहे हैं। 
					शुगर तो तुम दोनों के नियंत्रण में होता है तो यह शुगर की 
					प्रबल इच्छा का तो परिणाम नहीं हो सकता!'
					
					...आगे-
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                      उमेश अग्निहोत्री का व्यंग्यअमेरिका में कुत्ते
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					छोटलाल बहरदार की कलम से लोक जीवन में ऋतुगीत
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					डॉ. परमानंद पांचाल का आलेखप्राचीन भारत में विदेशी पर्यटक
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									पुनर्पाठ में- 
									संस्कृति के अंतर्गत ममता भारती से जानें- 
              						  भारतीय
              संस्कृति में सात का 
      महत्व
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